बढ़ती उम्र के साथ सचिन के खेल में और भी निखार आता जा रहा है और कमाल की बात यह है कि 22 साल के अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट करियर में सचिन ने अपनी फिटनेस इस स्तर तक बनाए रखी है कि वे बिना किसी कठिनाई के टी-20 क्रिकेट खेल रहे हैं। टी-20 क्रिकेट को युवाओं का खेल कहा जाता है, लेकिन इंडियन प्रीमियर लीग के पिछले दो सीजन से सचिन ने सबसे ज्यादा रन बनाकर साबित कर दिया है कि क्रिकेट के सारे किन्तु परन्तु उनके लिए नहीं हैं। 38 साल की उम्र में भी सचिन की बल्लेबाजी में 18 साल वाले रिफ्लेक्स हैं।
पिछले आईपीएल सीजन में उन्होंने जमकर रन कूटे और अपनी टीम को फाइनल तक का सफर तय करवाया। इस आईपीएल में भी अब तक वे सर्वाधिक रन बनाने वाले बल्लेबाजों में शुमार हैं। वे ऑरैंज कैप की दौड़ में बने हुए हैं। ऑरैंज कैप आईपीएल टूर्नामेंट में सबसे ज्यादा रन बनाने के लिए दी जाती है। इसके अलावा सचिन ने टी-20 क्रिकेट में अपना पहला शतक भी पूरा किया। यह शतक उन्होंने कोच्चि टीम के खिलाफ बनाया।
सचिन का खेल उम्र के साथ और परवान चढ़ता जा रहा है। सचिन के साथ युवा खिलाड़ियों के खेलने से उनका मनोबल सातवें आसमान पर है, जो भारतीय क्रिकेट के लिए अच्छा संकेत है। यकीनन सचिन युवाओं के युवा हैं।
सचिन की तमाम उपलब्धियों के बावजूद शहद में कीडे़ निकालने वालों की कमी नहीं है। कुछ लोगों का मानना है कि सचिन अगर आईपीएल और वनडे क्रिकेट का मोह छोड़ दें तो वे अपना टेस्ट करियर लंबा खींच सकते हैं। कुछ लोग यह भी कहते हैं कि विश्व कप जीतने के बाद अब समय आ गया है कि सचिन को युवाओं के लिए रास्ता बनाना चाहिए। लेकिन सवाल फिर वही है कि अगर 38 की उम्र में मास्टर-ब्लास्टर 18 साल के युवा की तरह खेल रहे हैं तो उनके खेलते रहने में किसी को क्या परेशानी हो सकती है?