यूनुस के लड़ाके बने लॉर्ड्‍स के शहंशाह

Webdunia
- लंदन से अनवर जे. अशर फ

PTI
क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले दुनिया के सबसे खूबसूरत मैदान लॉर्ड्‍स पर रविवार के दिन ट्‍वेंटी-20 विश्वकप फाइनल मुकाबला सिर्फ एक मैच नहीं था, बल्कि अंदरूनी संकट में घिरे दो मुल्कों श्रीलंका और पाकिस्तान के लिए एक बेहद भावनात्मक लम्हा भी था।

लिट्टे के खूनी संघर्ष के बाद उबर रहे श्रीलंका और लगातार आतंकवादी हमलों से सहमे पाकिस्तान के लिए विश्वकप के बिलकुल अलग मायने थे। तभी तो राष्ट्रपति आसिफ जरदारी ने पाकिस्तान के कप्तान यूनुस खान को फोन करके कहा है था कि पूरा राष्ट्र विश्वकप के तोहफे का इंतजार कर रहा है। जाहिर था कि विश्वकप में जीत संकट और तनाव के बीच पाकिस्तान के लोगों के चेहरे पर मुस्कान का बड़ा बहाना बनने जा रही थी।

दोनों टीमों के लिए मुकाबला इसलिए भी अहम था कि पाकिस्तान के खिलाफ खेलते हुए तीन मार्च को श्रीलंका की टीम पर लाहौर में कातिलाना हमला हुआ, जिसमें कप्तान संगकारा के अलावा कई खिलाड़ी घायल हुए थे। इस मैच के बाद अलग-थलग पड़े पाकिस्तान ने बड़ी मजबूती के साथ टीम तैयार की और अपनी अवाम को विश्वकप का तोहफा देकर लम्बे अरसे बाद जश्न मनाने का मौका भी मुहैया करवाया।

भावनाओं से अलग जहाँ तक क्रिकेट का सवाल है तो साफ था कि ग्रुप मुकाबले में यूनुस खान को पटखनी दे चुकी श्रीलंकाई टीम बेहद मजबूत समझी जा रही थी, खासकर गेंदबाजी में। फाइनल मैच के पूर्व लसित मलिंगा और अजंता मेंडिस 12-12 विकेट लेकर टूर्नामेंट में सबसे आगे चल रहे थे, जबकि सेमीफाइनल में एंगेलो मैथ्यूस ने पाकिस्तान के लिए एक और ख़तरे की घंटी बजा दी थी।

कप्तान कुमार संगकारा एक सधी हुई कप्तानी कर रहे थे और तो ‘दिलस्कूप’ शॉट का इजाद कर चुके दिलशान कभी भी सामने वाली टीम के लिए मुसीबत बन सकते थे। सलामी बल्लेबाज़ सनथ के बारे में अकसर कहा जाता रहा है कि जिस दिन जयसूर्या चल गए, उस दिन वे अकेले जीत दिलाने का माद्दा रखते हैं।

फाइनल मैच के पूर्व संगकारा ने कहा था कि उन्हें एक ऐसी टीम के सामने टक्कर लेनी है, जिसके बारे में कोई भविष्यवाणी नहीं कर सकता है। यानी संगकारा जैसे कद्दावर कप्तान के‍ दिल के किसी कोने में पाकिस्तान के जाँबाज खिलाड़ियों का खौफ तो था ही।

इस विश्वकप के जरिये कप्तान यूनुस खान के सामने न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में पाकिस्तान की मौजूदगी को मजबूत करने का मौका था, बल्कि 'अंडरडॉग' से निकलकर खिताब जीत लेने तक की चुनौती थी। यहाँ यूनुस के लड़ाकों की प्रशंसा करनी होगी कि उन्होंने हर मोर्चे पर खुद को खरा साबित किया और पूरी दुनिया को अपनी जुझारू क्षमता से रूबरू करवाया।

ट्‍वेंटी-20 ‍विश्वकप के अंतिम मुकाबले में पाकिस्तान की सबसे बड़ी परीक्षा श्रीलंका के गेंदबाजों से पार पाने की थी, जिसमें वे कामयाब हुए। शाहिद अफरीदी और अब्दुल रज्जाक यूनुस की टीम में दो तुरुप के पत्ते थे और दोनों ने ही अपने-अपने किरदार बखूबी से निभाए। इन दोनों की मैदान पर निभाई जीवंत भूमिका ने सदा मुस्कराते रहने वाले पाकिस्तानी कप्तान को एक ऐसा उपहार दे डाला, जिसे बरसो-बरस याद किया जाता रहेगा।

अब चलते हैं आँकड़ों पर। लॉर्ड्‍स पर उतरने के पूर्व पाकिस्तान और श्रीलंका ने भले ही आपस में कोई विश्वकप का खिताबी मुकाबला न खेला हो लेकिन वनडे मैचों में दोनों ही टीमों को दो-दो फाइनल खेलने और एक-एक जीतने का तजुर्बा था।

पाकिस्तान ने 1992 का विश्वकप अपनी झोली में डाला था और 1999 में लंदन के इसी लॉर्ड्स ग्राउंड पर फाइनल तक पहुँचा था। हालाँकि तब उसकी ऑस्ट्रेलिया के हाथों हार हो गई थी।

दूसरी तरफ श्रीलंका ने 1996 में विश्वकप पर कब्जा किया था, जबकि दो साल पहले हुए विश्वकप के फाइनल में भी उसकी टीम पहुँची थी। इसी तरह पाकिस्तान भी 2 बरस पूर्व ट्‍वेंटी-20 विश्वकप का फाइनल खेलकर भारत से हार चुकी थी लेकिन इस बार उसने विश्व चैंपियन बनने की अपनी मुराद पूरी करके ही दम लिया।

फाइनल में मीडिया का सैलाब

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