वापसी के लिए सुनहरा अवसर

रवि शास्त्री की कलम से

Webdunia
बुधवार, 13 अप्रैल 2011 (09:34 IST)
अब तक हम जान चुके हैं कि जैक्स कैलिस, सचिन तेंडुलकर और लसिथ मलिंगा जैसे विश्व स्तरीय खिलाड़ी हमेशा अपनी साख छोड़ते हैं। भारत के युवा खिलाड़ी रैना, कोहली, पुजारा, पांडे, तिवारी और शर्मा इससे इत्तेफाक रखेंगे। लेकिन इस समय मेरा ध्यान उन पर है जो मुख्य धारा से बाहर हैं।

ईशांत शर्मा एक बेहद अच्छे गेंदबाज हैं और उन्हें टीम में अपना स्थान फिर से पाना होगा। यदि वे वन-डे या ट्वेंटी-20 में तालमेल नहीं बैठा पा रहे हैं तो उन्हें केवल टेस्ट मैचों में आजमाना चाहिए।

वे ब्रेट ली से सबक ले सकते हैं जिन्होंने अपनी तेजी या घातकता का बलिदान दिए बगैर टीम में फिर अपना स्थान पक्का किया। प्रज्ञान ओझा और अमित मिश्रा दो ऐसे स्पिनर हैं जिन्हें खुद पर भरोसा करना होगा। आर. अश्विन ने उन्हें दौड़ में पीछे छोड़ दिया है लेकिन अब उनका समय आ सकता है। ये दोनों हालाँकि खुद को पीयूष चावला से आगे पा सकते हैं।

यहाँ बेहतर प्रदर्शन के बल पर वे वेस्टइंडीज जाने का दावा पेश कर सकते हैं। दोनों ही डेक्कन चार्जर्स में हैं और अभी तक का उनका प्रदर्शन खराब है लेकिन यह तो शुरुआत है।

ऐसे ही रोहित शर्मा भी उम्मीद के अनुरूप नहीं रहे हैं। एक वर्ष पहले ही जिम्बाब्वे के खिलाफ लगातार दो शतक लगाकर उन्होंने बेहतर उम्मीद जगाई थी। अगले 17 वन-डे में वे कुल 300 रन भी नहीं जोड़ सके। उनके पास कौशल है, उन्हें केवल शारीरिक और मानसिक तौर पर सशक्त होने की जरूरत है। रॉबिन उथप्पा भी इसी नाव में सवार हैं।

2008 में उनके और गंभीर के बीच जबर्दस्त प्रतिस्पर्धा थी, लेकिन अब गंभीर टीम का अहम स्तंभ बन चुके हैं और वे इस आईपीएल के सबसे महँगे खिलाड़ी हैं। उथप्पा विकेटकीपिंग भी कर सकते हैं और भविष्य उनका हो सकता है।

श्रीसंथ भी जल्द ही ढलते जा रहे हैं। वे अपनी घरू टीम के सितारा खिलाड़ी हैं लेकिन उनकी शुरुआत अच्छी नहीं रही। उनका करियर दो छोर की तरह रहा है- कभी सबसे ऊपर तो कभी सबसे नीचे। ऐसे ही आरपी सिंह भी हैं, जो शीर्ष पंक्ति में शामिल होने चाहिए। इंग्लैंड दौरे पर वे अपने चरम पर थे, अब उनका लक्ष्य अगला दौरा होना चाहिए।

और अंततः इरफान पठान। इस समय उनकी गेंदबाजी उनके खिलाफ जा रही है। वे ट्वेंटी-20 में हमेशा से ही एक उपयोगी खिलाड़ी रहे हैं लेकिन वन-डे और टेस्ट में उनकी तेजी और स्टेमिना की असल परीक्षा होगी। प्रदर्शन में निरंतरता ही उन्हें बचा सकती है।

- टीसीएम


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