13 सलामी जोड़ी आजमाई हैं भारत ने

Webdunia
शुक्रवार, 25 जनवरी 2008 (13:01 IST)
कभी किसी बल्लेबाज की खराब फार्म तो कभी युवराज सिंह जैसे खिलाड़ी को खपाने के ल िए सलामी जोड़ी में तब्दील करने वाले भारत ने पिछले चार साल के अंदर टेस्ट मैचों में 13 नई जोड़ियों से पारी का आगाज कराया है।

सुनील गावस्कर के संन्यास लेने के बाद से पिछले 20 वर्ष में एक अदद सलामी जोड़ी खोलने में असफल रहे भारत ने ओपनिंग में लगातार अदल ा- बदली करने में कोई परहेज नहीं की। एडीलेड में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चौथे टेस्ट क्रिकेट मैच में पहले दिन वीरेंद्र सहवाग के साथ इरफान पठान का पारी की शुरुआत करने के लिए उतरने से साफ हो गया कि भारतीय टीम प्रबंधन इस महत्वपूर्ण भूमिका के प्रति बहुत गंभीर नहीं है।

भारत के यदि पिछले 2003-04 ऑस्ट्रेलियाई दौरे से लेकर भारतीय सलामी जोड़ियों पर गौर किया जाए तो यह उसकी 49 टेस्ट मैचों में 13वीं नई जोड़ी है। वर्तमान श्रृंखला में ही भारतीय टीम प्रबंधन ने तीसरी सलामी जोड़ी अपनाई है।

भारत ने मेलबोर्न और सिडनी में खेले गये पहले दो टेस्ट मैच में वसीम जाफर और राहुल द्रविड़ से पारी का आगाज कराया। पर्थ में सहवाग की वापसी के बाद उन्होंने जाफर के साथ शुरुआत की लेकिन मुंबई के बल्लेबाज की खराब फार्म और पाँचवां गेंदबाज खपाने के लिए अब पठान को इस विशेषज्ञ भूमिका में उतरना पड़ा।

भारत को अपने पिछले आस्ट्रेलियाई दौरे में सलामी जोड़ी को लेकर इतना सरदर्द नहीं झेलना पड़ा था। तब सहवाग के साथ आकाश चोपड़ा थे और इन दोनों ने टीम को अच्छी शुरुआत भी दी थी।

सहवाग और चोपड़ा ने इस श्रृंखला से लेकर आठ मैच की 15 पारियों में 44.8 की औसत से 672 रन सलामी जोड़ी के तौर पर बनाए जिसमें तीन शतकीय भागीदारियाँ भी शामिल हैं। चोपड़ा हालाँकि अच्छी शुरुआत को बड़े स्कोर में तब्दील करने में नाकाम रहे और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 2004 के नागपुर टेस्ट के बाद उन्हें बाहर कर दिया गया। तब से चोपड़ा वापसी के लिए संघर्षरत हैं।

सहवाग ने इस बीच एक पारी में पार्थिव पटेल के साथ भी पारी का आगाज किया। उन्हें बाद में गौतम गंभीर के रूप में अच्छा साथी मिला जिसके साथ उन्होंने 12 मैच की 19 पारियों में 55.66 की औसत से 1002 रन बनाए जिसमें 218 रन की सबसे बड़ी साझेदारी भी शामिल है।

गंभीर को 2006 में पाकिस्तानी दौरे में इसलिए टीम से बाहर किया गया क्योंकि तब युवराज के लिए जगह बनानी थी। युवराज इससे पहले आस्ट्रेलिया के खिलाफ चेन्नई में सलामी बल्लेबाज के तौर पर असफल रहे थे और इसलिए द्रविड़ को सहवाग के साथ पारी का आगाज करना पड़ा। इन दोनों ने लाहौर में रिकार्ड 410 रन की भागीदारी की।

लेकिन फैसलाबाद के अगले टेस्ट और कराची में तीसरे टेस्ट की पहली पारी में वीवीएस लक्ष्मण और द्रविड़ ने पारी का आगाज किया जबकि दूसरी पारी में द्रविड़ के साथ सहवाग क्रीज पर उतरे।

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