विदर्भ: टी-20 विश्वकप में अगर भारत का सफर सेमीफाइनल से पहले समाप्त हो गया था तो उसका सबसे बड़ा कारण था पहले दो मैच में लचर गेंदबाजी। पाकिस्तान और न्यूजीलैंड से हुए पहले दो मैचों में भारतीय गेंदबाजों ने 194 गेंदो में 263 रन लुटाए थे और महज 2 विकेट लिए थे। लेकिन भारत की प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कल एक गेंदबाज ने बिना 1 रन खर्च किए अपने 4 ओवरों में 2 विकेट झटके।
विदर्भ के ऑलराउंडर अक्षय कर्णेवार ने सैयद मुश्ताक़ अली टी20 ट्रॉफ़ी टूर्नामेंट में एक विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया। सोमवार को मणिपुर के विरुद्ध मैच में उन्होंने किफ़ायती गेंदबाज़ी कर अपने चार ओवरों में एक भी रन नहीं दिया। इतना ही नहीं, उन्होंने दो विकेट भी झटके। इस दौरान उन्होंने टी20 क्रिकेट में सबसे किफ़ायती स्पेल डालने का कीर्तिमान स्थापित किया।
टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी करने के बाद विदर्भ की टीम ने अपने निर्धारित 20 ओवरों में 222 रन बनाए। हरफ़नमौला कर्णेवार को बल्ले के साथ कमाल करने का अवसर नहीं मिला लेकिन वह कहां पीछे हटने वाले थे। अपनी फिरकी का जादू बिखेरते हुए उन्होंने पारी के सातवें ओवर की पहली गेंद पर सनातंबरॉय लैफांगबाम को शून्य पर बोल्ड कर दिया। आने वाले बल्लेबाज़ जॉनसन सिंह को उनकी गेंद समझ नहीं आ रही थी। लगातार पांच गेंदें डॉट कर उन्होंने उसे मेडन विकेट ओवर में तब्दील कर दिया।
इसके बाद जॉनसन की मुश्किलें कम नहीं हुई। कर्णेवार के अगले ओवर में चार गेंदों पर चकमा खाने के बाद उन्होंने दबाव को कम करने के लिए बड़ा शॉट लगाने का प्रयास किया। कदमों का इस्तेमाल करते हुए वह क्रीज़ से बाहर तो आए लेकिन गेंद के साथ संपर्क नहीं कर पाए। विकेटकीपर अक्षय वड़कर ने तेज़ी से गिल्लियां बिखेरी और उन्हें स्टंप आउट किया। अपने अगले दो ओवरों में एक भी रन न देकर कर्णेवार पुरुषों के टी20 क्रिकेट में चार ओवरों में शून्य रन खर्च करने वाले विश्व के पहले खिलाड़ी बन गए।
महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र के पांढरकवडा गांव में अपने क्रिकेट करियर की शुरुआत करने वाले कर्णेवार दोनों हाथों से गेंदबाज़ी करने की कला के लिए जाने जाते है। अपने करियर की शुरुआत उन्होंने दाएं हाथ के ऑफ़ स्पिन गेंदबाज़ के तौर पर की थी। वह 13 साल के थे जब उनके कोच बालू नवघरे सर ने देखा कि दाएं हाथ से गेंदबाज़ी करने के अलावा कर्णेवार बल्लेबाज़ी और थ्रो दोनों बाएं हाथ से करते थे। तभी उन्होंने उन्हें दोनों हाथों से गेंदबाज़ी करने को कहा और कड़ी मेहनत से वह एक द्विहत्थी (ऐंबीडेक्सट्रस) गेंदबाज़ बन गए।
इस रिकॉर्ड पर कर्णेवार के कोच बालू नवघरे सर ने कहा, "मेरी आंखों में पानी बहुत जल्द आ जाता है। जब उन्होंने ईरानी ट्रॉफ़ी में शतक जड़ा था तब भी मेरी आंखों में ख़ुशी के आंसू थे और आज भी मेरी आंखें भर आई हैं। मुझे मेरे शिष्य पर गर्व हो रहा है। अक्षय की ख़ास बात यह है कि वह ज़मीन से जुड़ा हुआ व्यक्ति है। मैं नागपुर के पाद्दे सर और सुलक्षण कुलकर्णी सर का आभारी हूं, जिन्होंने अक्षय को खेलने का मौक़ा दिया और दोनों हाथों से गेंदबाज़ी करने के लिए प्रोत्साहित किया।"
उन्हें साल 2016 में रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु ने 10 लाख रपयों की रकम देकर अपनी टीम में शामिल किया था। हालांकि उस सीज़न वह एक भी मैच नहीं खेल पाए थे। इसके अलावा वह इंडिया ए का भी प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।
साल 2020-21 घरेलू सत्र के लिए नवघरे सर उत्साहित हैं। वह चाहते हैं कि कर्णेवार इसी तरह बल्ले और गेंद के साथ अच्छा प्रदर्शन करें। साथ ही उन्होंने कहा, "मैंने अपने कोचिंग करियर में एक इंडिया प्लेयर देने का वादा किया है और मुझे लगता है कि अक्षय उस सपने को पूरा करेगा।"
दोनों हाथ से कर सकते हैं गेंदबाजी
साल 2016 में सैयद मुश्ताक अली ट्वेंटी-20 ट्रॉफी टूर्नामेंट में भी विदर्भ के अक्षय कर्णेवार ने करिश्मा किया था, जिसकी वजह से उनका नाम सबकी जुबां पर चढ़ गया था।
अक्षय ने इस घरेलू टी-20 टूर्नामेंट में दोनों हाथ से गेंदबाजी कर विपक्षी बल्लेबाजों और स्टेडियम में बैठे दर्शकों को भी चौंका दिया था। क्रिकेट विशेषज्ञ अक्षय की इस कला पर आश्चर्य व्यक्त करते रह गए थे।
बड़ौदा के खिलाफ हुए मैच में विदर्भ के कप्तान ने 15वें ओवर के लिए अक्षय को गेंद सौंपी थी। अक्षय ने अंपायर को सूचित किया कि वे इरफान पठान को दाएं हाथ से और हार्दिक पंड्या को बाएं हाथ से गेंदबाजी करेंगे। अक्षय की इस बात पर अंपायर चौंक गए थे, लेकिन अक्षय ने बखूबी ऐसा करके दिखाया था।