अहमदाबाद:कई क्रिकेट विशेषज्ञ चेतेश्वर पुजारा को राहुल द्रविड़ का क्लोन मानते हैं। दोनों ही एक क्लासिक टेस्ट बल्लेबाज हैं। दोनों ही दांए हाथ के बल्लेबाज अपनी तकनीक के लिए जाने जाते हैं। खासकर ऐसी पिच पर जहां घास हो, टीम को इन दोनों से ही उम्मीद रही है।
ऑस्ट्रेलिया से हुई सीरीज में उन्होंने सिडनी और ब्रिसबेन टेस्ट में अहम पारियां खेलकर हार का खतरा टाला था। हालांकि इंग्लैंड से हुई सीरीज में वह सिर्फ एक अर्धशतक ही बना पाए। यह पारी पुजारा ने टेस्ट की पहली पारी में खेली थी।
पूरी सीरीज में वह 4 मैचों की 6 पारियों में 22 की औसत से 133 रन ही बना सके। इस कारण आईसीसी टेस्ट रैंकिंग के टॉप 10 बल्लेबाजों की रैंकिंग से तो वह निकल ही चुके हैं। लचर प्रदर्शन के कारण वह भारत और इंग्लैंड की हालिया सीरीज के टॉप 10 बल्लेबाजों में भी नहीं है।
दिलचस्प बात यह है कि वनडे क्रिकेट स्पेशलिस्ट रोहित शर्मा और विकेटकीपर ऋषभ पंत की 747 अंको के साथ सातवीं रेंक पर है और क्लासिक टेस्ट बल्लेबाज पुजारा से 5 रैंक आगे हैं।
विराट कोहली की ही तरह चेतेश्वर पुजारा को भी शतक लगाए हुए अरसा बीत गया। पुजारा का आखिरी टेस्ट शतक ऑस्ट्रेलिया के 2018-19 दौरे पर आया था जब उन्होंने 193 रनों की पारी खेली थी। इसके बाद से उन्होंने टिक कर बल्लेबाजी तो की लेकिन शतक नहीं बना पाए।
हाल ही में दूसरा कारण रहा जैक लीच की गेंदबाजी, इस सीरीज में वह बाएं हाथ के स्पिनर जैक लीच की गेंदो पर 5 बार आउट हुए। इनमें से तो ज्यादातर बार उन्हें पगबाधा आउट किया या फिर स्लिप में कैच करवाया। माना यह जाता था कि पुजारा स्पिनर को बहुत अच्छा खेलते हैं लेकिन इस बार ऐसा नहीं दिखा।
यही नहीं अहमदाबाद के पसंदीदा मैदान पर जहां चेतेश्वर पुजारा ने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ स्कोर (203) बनाया है वहां भी वह कुछ नहीं कर पाए। सीरीज से पहले तो अहमदाबाद में पुजारा ने विकेट नहीं गंवाया था और तीसरे टेस्ट में वह बिना खाता खोले आउट हो गए।
चेतेश्वर पुजारा सिर्फ टेस्ट क्रिकेट खेलते हैं वनडे से उन्होंने 7 साल से दूरी बना रखी है और टी-20 में उनका चयन हुआ नहीं है । ऐसे में उनका ध्यान सिर्फ टेस्ट मैचों में ही रहता है। एक ही फॉर्मेट में खेलने के बावजूद उनकी एकाग्रता में कमी पुजारा के लिए तो चिंता का विषय है ही , टीम इंडिया के लिए भी चिंताजनक है। (वेबदुनिया डेस्क)