2007 विश्व कप की हार ने मुझे मजबूत बनाया : धोनी

Webdunia
शुक्रवार, 16 सितम्बर 2016 (15:52 IST)
नई दिल्ली। भारतीय वनडे एवं ट्वंटी-20 कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अपने जीवन के कुछ अहम पलों को याद करते हुए बताया है कि वर्ष 2007 विश्व कप में टीम के निराशाजनक प्रदर्शन के बाद मिली प्रतिक्रियाओं और आलोचनाओं ने उन्हें बेहतर और मजबूत शख्सियत बनने में मदद की।
 
धोनी इन दिनों अपने जीवन पर बनी फिल्म 'एमएस धोनी : द अनटोल्ड स्टोरी' को लेकर चर्चा में हैं और उन्होंने न्यूयॉर्क में इस फिल्म के प्रचार के समय जीवन और करियर से जुड़े कुछ अहम पलों को याद करते हुए ये बातें कही। अभिनेता सुशांत राजपूत स्टारर यह फिल्म भारत सहित विदेशों में 30 सितंबर को रिलीज होने जा रही है।
 
उन्होंने फिल्म प्रमोशन के दौरान यह भी बताया कि वे चाहते थे कि इस फिल्म में उनके जीवन की असल कहानी को ही बताया जाए। कप्तान ने कहा कि यह बहुत साधारण-सी कहानी है और मैंने इस फिल्म को बना रहे निर्देशक नीरज से भी कहा था कि इसमें मुझे ज्यादा विशेष दिखाने की कोशिश न की जाए। यह मेरे पेशेवर जीवन की कहानी है।
 
अपनी पत्नी साक्षी के साथ यहां मौजूद धोनी ने अपने करियर के कुछ अहम पलों को याद करते हुए वर्ष 2007 विश्व कप का खासतौर पर जिक्र किया। उन्होंने बताया कि जब टीम टूर्नामेंट के पहले ही दौर में बाहर हो गई थी तब स्वदेश लौटने पर उन्हें और बाकी खिलाड़ियों को जिस तरह की प्रतिक्रिया झेलनी पड़ी थी उससे उनके करियर को एक अलग ही दिशा मिल गई थी। 
 
धोनी ने कहा कि जब हम दिल्ली पहुंचे तो वहां बहुत मीडिया था और उस समय लोगों को लग रहा था कि हमें कोई फर्क ही नहीं पड़ा है, लेकिन बतौर खिलाड़ी मुझे लगा कि हमें काफी मजबूत होने की जरूरत है। हम सबके सामने रो नहीं सकते हैं। मैदान पर जो हुआ, वह हुआ। विश्व कप में भारत केवल बरमूडा जैसी कमजोर टीम को ही हरा सका था जबकि उसे श्रीलंका और बांग्लादेश तक से हार झेलनी पड़ी थी।
 
भारत के सबसे सफल कप्तान ने बताया कि उस समय उनका रांची में घर बन रहा था और लोगों ने उस पर भी पत्थरबाजी की थी। उन्होंने कहा कि जब हम वापस लौटे तो लोगों के गुस्से को देखते हुए हमें पुलिस वैन में ले जाया गया और हमने कुछ समय पुलिस स्टेशन में बिताया। मुझे ऐसा लग रहा था कि हम आतंकवादी हैं या हमने किसी का खून किया है। मीडिया भी लगातार हमारा पीछा कर रहा था। वह बहुत ही अजीब-सा मंजर था।
 
मैदान पर अपने शांत स्वभाव के लिए मशहूर धोनी ने कहा कि उस घटना का मुझ पर बहुत ही गहरा असर हुआ था, लेकिन मैंने उस गुस्से का इस्तेमाल एक बेहतर क्रिकेटर और बेहतर इंसान बनने में किया। मैनहैटन की फॉक्स बिल्डिंग में धोनी अपनी फिल्म के प्रमोशन के लिए पहुंचे थे, जहां बड़ी संख्या में उनके प्रशंसक भी मौजूद थे। 
 
फिल्म के अभिनेता सुशांत की तारीफ करते हुए धोनी ने बताया कि उनके लिए पुरानी बातों को बताना सबसे मुश्किल था। सुशांत बेहतरीन अभिनेता हैं लेकिन वे इस फिल्म के लिए सब कुछ जानना चाहते थे। उन्हें यह बताना कि किसी खास पल में आप कैसे सोच रहे हैं, मेरे लिए काफी मुश्किल था। पुरानी बातों को याद करने से आप भावुक भी महसूस करते हैं। यह काम आसान नहीं था।
 
धोनी ने कहा कि पहले तो मैं इस फिल्म की बात को सुनकर कुछ चिंता में पड़ गया था लेकिन जब हमने काम शुरू किया तो सब ठीक था, क्योंकि मुझे केवल अपनी कहानी बतानी थी। मैं केवल नीरज को बता रहा था कि क्या-क्या हुआ था? कप्तान ने साथ ही अपनी रेलवे की नौकरी के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया कि स्कूल के बाद रेलवे की नौकरी कमाई के लिहाज से अच्छी थी, क्योंकि क्रिकेट में करियर बनाना अनिश्चितता वाला था। 
 
उन्होंने कहा कि भारत में परिजनों को अपने बच्चों को खेल से जुड़ने के लिए जोर देना चाहिए और इसी से देश को खेलों के साथ जोड़ा जा सकेगा और इसी से भविष्य में अधिक पदकों की उम्मीद की जा सकेगी। (वार्ता) 
 
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