नई दिल्ली। प्रशासकों की समिति सीओए की सदस्य डायना एडुल्जी जांच समिति के गठन से पहले ही बीसीसीआई सीईओ राहुल जौहरी को बर्खास्त करने के पक्ष में थी और बुधवार को इस अधिकारी के यौन उत्पीड़न के आरोपों से दोषमुक्त होने के बाद भी उनका नजरिया नहीं बदला।
सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राकेश शर्मा, दिल्ली महिला आयोग की पूर्व अध्यक्ष बरखा सिंह और वकील कार्यकर्ता वीना गौड़ा ने बुधवार को जौहरी के पक्ष में फैसला सुनाया लेकिन सीओए प्रमुख विनोद राय और एडुल्जी के बीच जांच समिति की रिपोर्ट पर मतभेद थे। वीना समिति की एकमात्र सदस्य थीं जिन्होंने एक मौके पर जौहरी के गैरपेशेवर आचरण का संज्ञान लिया और उनके लिए लैंगिक संवेदनशील काउंसिलिंग की सलाह दी।
एडुल्जी समिति के दो अन्य सदस्यों सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राकेश शर्मा और बरखा की सिफारिशों से सहमत नहीं थीं। दोनों ने जौहरी को किसी भी गलत काम से दोषमुक्त किया और आरोपों को मनगढ़ंत करार दिया। रिपोर्ट में एडुल्जी के नजरिए के अनुसार, समिति के प्रत्येक सदस्य की अंतिम सिफारिशों से गुजरने के बाद एडुल्जी ने कहा कि वह सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति राकेश शर्मा और बरखा सिंह के निष्कर्ष से सहमत नहीं हैं।
एडुल्जी समिति के गठन के खिलाफ थीं और चाहती थीं कि आरोपों के आधार पर जौहरी को बर्खास्त किया जाए जबकि राय का मानना था कि प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत के अनुसार किसी कार्रवाई से पहले जांच जरूरी है। एडुल्जी ने वीना की सिफारिशों के आधार पर कहा कि बीसीसीआई जैसे संस्थान के सीईओ के रूप में जौहरी के गैरपेशेवर और अनुचित व्यवहार से बीसीसीआई की प्रतिष्ठा पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
एडुल्जी ने बुधवार को अपनी टिप्पणी में भी जौहरी को तुरंत प्रभाव से पद छोड़ने को कहा। उन्होंने कहा, एडुल्जी ने कहा कि यह तथ्य कि वीना ने सिफारिश की है कि जौहरी को लैंगिक संवेदनशील काउंसिलिंग/ट्रेनिंग से गुजरना चाहिए, उनके लिए इस निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए पर्याप्त है कि वह बीसीसीआई का सीईओ बनने के लिए फिट नहीं हैं।