कानपुर: भारत और न्यूजीलैंड के बीच खेले जाने वाले पहले टेस्ट मैच की मेजबानी करने वाले यहां के ग्रीन पार्क स्टेडियम के स्थानीय क्यूरेटर शिव कुमार का कहना है कि इस मैदान की पिच पर घास नहीं है लेकिन इसके टूटने (ज्यादा दरार पड़ने) की संभावना काफी कम है।
पहले कई बार टीम प्रबंधन ने कुछ विशिष्ट प्रकार की पिच तैयार करने के निर्देश दिये है, लेकिन कुमार ने कहा कि इस बार न तो कोच राहुल द्रविड़ और न ही कप्तान अजिंक्य रहाणे की कोई विशेष मांग थी।
पिछले दो दशक से इस मैदान में काम रहे कुमार ने कहा, हमें बीसीसीआई से कोई निर्देश नहीं मिला है, न ही टीम प्रबंधन से किसी ने मुझसे संपर्क करके पूरी तरह से स्पिनरों की मददगार पिच बनाने की बात कही। मैंने अच्छी पिच को ध्यान में रखते हुए एक पिच तैयार की है।
उन्होंने कहा, यह नवंबर का महीना है और दुनिया के इस हिस्से में इस समय पिच में थोड़ी नमी होगी। मैं आपको इस बात के लिए आश्वस्त कर सकता हूं कि यह पिच जल्दी टूटेगी नहीं।
कानपुर में 2016 में खेला गया भारत और न्यूजीलैंड का टेस्ट मैच पांचवें दिन तक चला था लेकिन पिछले कुछ समय से ज्यादातर विदेशी टीमें स्पिनरों के अनुकूल पिचों में तीन दिनों में ही घुटने टेक दे रही है।
कुमार ने मैचों के तीन दिनों के अंदर खत्म होने के बारे में पूछे जाने पर कहा, इसके लिए सिर्फ पिचें ही जिम्मेदार नहीं है। टी20 क्रिकेट के कारण बल्लेबाजों के स्पिनरों को खेलने का तरीका भी एक वजह है।
सिर्फ सुबह के सत्र में मिलेगी तेज गेंदबाजों को मदद
शिव कुमार ने कहा कि पिच में कोई कमी नहीं छोड़ी गयी है। उनका प्रयास रहा है कि पिच गेंदबाज और बल्लेबाजों को बराबर मदद दे। मैदान के गंगा तट पर स्थित होने के कारण पहले दो दिन सुबह के सत्र में पिच तेज गेंदबाजों के लिये मददगार साबित हो सकती है हालांकि समय गुजरने के साथ पिच पर फिरकी गेंदबाजों के खिलाफ बल्लेबाजी करने में परेशानी आ सकती है।
विवादों से रहा है पुराना नाता
दरअसल, ग्रीनपार्क की पिच कई बार विवादों में आयी है। वर्ष 2008 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ यहां खेला गया टेस्ट मैच तीन दिन में ही निपट गया था। साउथ अफ्रीका ने मैच में मिली करारी शिकस्त के बाद पिच पर छेड़छाड़ का आरोप लगाया था। इस पर आईसीसी ने क्यूरेटर समेत बीसीसीआई से स्पष्टीकरण तक मांग लिया था।
क्यूरेटर के खिलाफ साल 2008 में भारत-अफ्रीका टेस्ट मैच के दौरान पिच के साथ छेडछाड़ की शिकायत पर केस दर्ज हुआ था। हालांकि, यूपीसीए के निवर्तमान पदाधिकारी ने आईसीसी से माफी मांग कर मामला रफा-दफा करवा दिया था।
दादा हुए थे ग्रीन पार्क की पिच पर नाराज
वर्ष 2009 में श्रीलंका के ऑफ स्पिनर मुथैया मुरलीधरन ने भी टीम की हार का ठीकरा पिच पर मढ़ा था और कप्तान कुमार संगकारा के साथ संयुक्त रूप से आईसीसी से पिच के साथ छेडछाड़ करने का आरोप लगाया था। वर्ष 2010 में रणजी ट्रॉफी में यूपी और बंगाल के मैच दो दिन में ही निपट गये थे। उस समय बंगाल के कप्तान सौरभ गांगुली ने बीसीसीआई से शिकायत की थी और पिच क्यूरेटर पर भी जमकर नाराजगी जताई थी।