न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत में बल्ले से सीरीज बचाने वाले हरभजन सिंह ने कह दी बड़ी बात

टर्निंग पिचों पर खेलने से हमारे बल्लेबाजों का आत्मविश्वास प्रभावित हुआ है: हरभजन

WD Sports Desk
सोमवार, 28 अक्टूबर 2024 (15:52 IST)
न्यूजीलैंड की टीम ने हाल ही में भारत को पहला टेस्ट 8 विकेट और दूसरा टेस्ट 113 रन से हराकर टेस्ट सीरीज में कब्जा जमा लिया। 21वीं सदी में न्यूजीलैंड इससे पहले साल 2010 में भारत में टेस्ट और सीरीज दोनों पर कब्जा करने के करीब थी। लेकिन हरभजन सिंह के बल्ले ने बिखरती भारतीय बल्लेबाजी को 2 शतक और 1 अर्धशतक लगाकर संभाला और थाला की इज्जत बचा ली।

हालांकि हरभजन ने जिन 2 मैचों में शतक जमाया उसमें भारत को ड्रॉ नसीब हुए। पहले मैच में शतक जमाने वाले हरभजन सिंह को मैन ऑफ द मैच पुरुस्कार दिया गया। अंतिम मैच को भारत ने पारी से जीता और सीरीज 1-0 से अपने नाम की।

इस सीरीज में अपने ऑलराउंड प्रदर्शन से मैन ऑफ द सीरीज का पुरुस्कार जीतने वाले पूर्व ऑफ स्पिनर हरभजन सिंह का मानना ​​है कि भारत के स्टार बल्लेबाजों ने पिछले कुछ वर्षों में टर्निंग (स्पिनरों की मददगार) पिचों पर खेलने से अपना आत्मविश्वास खो दिया है जिससे उनके घरेलू औसत में गिरावट आई है और उनके करियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है।

भारत 12 वर्षों में अपनी पहली टेस्ट श्रृंखला हार गया। न्यूजीलैंड के खिलाफ पुणे की टर्निंग पिच पर भारत ने महत्वपूर्ण टॉस गंवा दिया और इसके बाद टीम 156 और 245 रन ही बना सकी। इसमें न्यूजीलैंड के मुख्य स्पिनर मिशेल सैंटनर ने 13 विकेट लिए।

हरभजन ने  कहा, ‘‘आपका घरेलू मैदान पर इतने लंबे समय तक शानदार रिकॉर्ड रहा है और अगर आप हार जाते हैं तो जाहिर है कि चर्चा होगी। न्यूजीलैंड जिस तरह से खेला, उसे उसका श्रेय जाता है और ये विदेशी परिस्थितियां थीं और ऐसी पिच भी नहीं थी जिसमें ज्यादा दरार हो। ’’उन्होंने कहा, ‘‘यह स्पिनरों के लिए अनुकूल परिस्थितियां थीं, जहां गेंद को पहले घंटे से ही टर्न लेना चाहिए था। ’’’

हरभजन ने भारतीय टीम की सोचने की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए कहा, ‘‘पिछले दशकों के दौरान के चलन को देखें। हम पिछले दशक में ज्यादातर टर्नर पर इस उम्मीद के साथ खेल रहे हैं कि हम टॉस जीतेंगे और 300 रन बनाएंगे और मैच पर नियंत्रत करेंगे। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन हम नहीं जानते कि पासा उलटा पड़ जायेगा और टर्निंग पिच पर हमारे बल्लेबाजी चलेगी या नहीं। हमारे बल्लेबाजों ने इन पिचों पर खेलते हुए आत्मविश्वास खो दिया है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण अजिंक्य रहाणे हैं जो एक बेहतरीन खिलाड़ी हैं। इस तरह की पिचों के कारण उनका करियर प्रभावित हुआ। ’’<>

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