कोलम्बो: भारत की वनडे और टी20 अंतर्राष्ट्रीय कप्तान हरमनप्रीत कौर ने वर्तमान में अपने अच्छे फ़ॉर्म का श्रेय 'ख़ुद के साथ की हुई बातचीत' को दिया हैं। साथ ही उन्होंने बताया कि अब वह मैदान पर खेल का आनंद लेने लगी हैं। उन्हें इस बात की ख़ुशी हैं कि अब उनके पास कभी भी गेंदबाज़ी करने की 'आज़ादी' है जो पहले टीम की रणनीति और गेम प्लान के तहत संभव नहीं था।
तैंतीस वर्षीय हरमनप्रीत पिछले कुछ समय से वनडे में रन बनाने के लिये जूझ रही थी।हरमनप्रीत ने न्यूजीलैंड के खिलाफ पांच मैचों की वनडे श्रृंखला के पहले तीन मैचों में केवल 33 रन बनाये थे। हरमनप्रीत कीवी टीम के खिलाफ अपनी तीन पारियों मे केवल 10, 10 और 13 रन ही बना सकी थी।
उनपर बल्ले से प्रदर्शन करने का चौतरफा दबाव वैसे ही बढ़ता जा रहा था जैसे पुरुष क्रिकेट में पुजारा और रहाणे पर बढ़ा था।उन्हें चौथे मैच से बाहर कर दिया गया था। इसके बाद हरमनप्रीत ने आखिरी वनडे में 6 चौकों और 1 छक्के के सहारे 66 गेंदों में 63 रन बनाए थे।
श्रीलंका के विरुद्ध 2-1 से जीती टी20 अंतर्राष्ट्रीय सीरीज़ में महत्वपूर्ण योगदान देने के बाद हरमनप्रीत ने तीन वनडे मैचों में कुल 119 रन बनाए। इसमें तीसरे मैच में 88 गेंदों पर 75 रनों की मैच जिताऊ पारी शामिल थी जिससे भारत ने बतौर पूर्णकालिक कप्तान उनके कार्यकाल की पहली वनडे सीरीज़ को क्लीन स्वीप किया। टी20 अंतर्राष्ट्रीय सीरीज़ की तरह वनडे सीरीज़ में भी कप्तान प्लेयर ऑफ़ द सीरीज़ चुनी गई। यह स्वीकार करते हुए कि पिछले कुछ समय से वह खेल का आनंद नहीं ले रही थी, हरमनप्रीत ने बताया कि वह प्रसन्न हैं कि इस दौरे पर उनकी सभी योजनाएं सफल हुईं।
हरमनप्रीत ने कहा, "मेरे लिए यह महत्वपूर्ण है कि मैं हर एक पल का आनंद लूं। बीच में मैं आनंद नहीं ले रही थी क्योंकि मैंने बहुत दबाव बना लिया था जो किसी के साथ हो सकता है। मैं उस दौर से गुज़र रही थी लेकिन अब मैंने मज़े करने का प्लान बनाया है। मैच की स्थिति जो भी हो, मैं क्रीज़ पर खड़े रहकर टीम को योगदान दूंगी। पिछले कुछ महीनों में मैं यही करने की कोशिश कर रही हूं।"
उन्होंने आगे कहा, "साथ ही टीम के खेलने के अंदाज़ के देखकर मुझे और प्रसन्नता हो रही हैं। मैं हमारे तेज़ गेंदबाज़ों को मौक़े देना चाहती थी और मुझे ख़ुशी है कि उन्होंने दोनों हाथों से इन मौक़ों को स्वीकार किया। शुरुआती ओवरों में हम हमेशा स्पिनरों पर निर्भर करते थे लेकिन उन्होंने ज़िम्मेदारी ली और नतीजे आपके सामने है। जब योजनाएं सफल होती हैं, बहुत आनंद आता है। शायद यही कारण था कि मैं ख़ुश थी क्योंकि सब कुछ हमारी योजनाओं के अनुसार चल रहा था।"
दोनों सीरीज़ में हरमनप्रीत ने गेंद के साथ भी अपना योगदान दिया। अपनी ऑफ़ स्पिन से उन्होंने तीन वनडे मैचों में दो विकेट झटके। अपने करियर में 121 वनडे मैचों में उन्होंने केवल 68 में गेंदबाज़ी की हैं और 31 विकेट चटकाए हैं। हालांकि उन्होंने इशारा किया कि आने वाले मैचों में हम उन्हें गेंदबाज़ी करते देखेंगे। तीसरे वनडे में उन्होंने पांच ओवर फेंके और चमारी अटापट्टू की महत्वपूर्ण विकेट अपने नाम की।
भारतीय कप्तान ने कहा, "यहां आने से पहले मैंने स्वयं ख़ुद से बातचीत करते हुए कहा था कि मुझे अपना 100 प्रतिशत देना है और टीम के लिए रन बनाने हैं। मैं बहुत ख़ुश हूं कि मुझे विकेट भी मिले क्योंकि मैं हमेशा से गेंदबाज़ी करना चाहती थी। मैं बहुत ख़ुश हूं कि मैं दोनों भी विभागों में अपना योगदान दे पाईं।"
उन्होंने आगे कहा, "मैंने हमारे प्रमुख कोच (रमेश पोवार) को पहले भी कहा था कि मैं गेंदबाज़ी करने के लिए उपलब्ध हूं लेकिन वह किसी गेम प्लान के तहत संभव नहीं हो पाया। मैं भाग्यशाली थी कि (विश्व कप 2022 में भारत के) अंतिम मैच में मुझे कुछ ओवर डालने का अवसर मिला। मैं लंबे समय से तैयारी कर रही थी कि मुझे गेंदबाज़ी करनी चाहिए। मैं प्रसन्न हूं कि मुझे सफलताएं मिली। मैं हमेशा से गेंदबाज़ी करना चाहती थी और अब मेरे पास गेंदबाज़ी करने की आज़ादी है।"
इस साल की शुरुआत में हरमनप्रीत ने बताया था कि वह पांचवें नंबर की बजाय चौथे स्थान पर बल्लेबाज़ी करने में अधिक सहज महसूस करती हैं। हालांकि गुरुवार को वह छठे नंबर पर बल्लेबाज़ी करने उतरी। उन्होंने बाद में बताया कि टीम इस महीने के अंत में होने वाले राष्ट्रमंडल खेलों से पहले अन्य बल्लेबाज़ों को क्रीज़ पर समय बिताने का मौक़ा देना चाहती थी। इसके बाद दो ओवरों के भीतर तीन विकेट गंवाने के बाद हरमनप्रीत को छठे नंबर पर उतरना पड़ा।
इस विषय पर कप्तान ने कहा, "हम अपने शीर्ष पांच बल्लेबाज़ों को मौक़ा देना चाहते थे ताकि हरलीन (देओल) और ऋचा (घोष) विकेट पर समय बिताए। हालांकि हमने दो विकेट जल्दी गंवा दिए और मुझे जाना पड़ा वरना हम दूसरों को बल्लेबाज़ी करने का अवसर देना चाहते थे। राष्ट्रमंडल खेल बहुत महत्वपूर्ण है और मेरे लिए यह ज़्यादा ज़रूरी था कि बल्लेबाज़ी क्रम में सभी को पर्याप्त गेंदें खेलने का मौक़ा मिले। बल्लेबाज़ी क्रम में बदलाव करने का कारण यह था क्योंकि मैंने इस सीरीज़ में बहुत बल्लेबाज़ी की हैं।"
हरमनप्रीत, पूजा वस्त्रकर से काफ़ी प्रभावित थी जिन्होंने श्रीलंका की स्पिन गेंदबाज़ी का तोड़ निकाला और आठवें नंबर पर बल्लेबाज़ी करते हुए तीसरे वनडे में 65 गेंदों पर नाबाद 56 रन बनाए। हरमनप्रीत ने कहा, "उन्होंने (पूजा ने) दिखाया कि वह बल्लेबाज़ी कर सकती हैं। ड्रेसिंग रूम में हम यह चर्चा करते हैं कि हर एक बल्लेबाज़, फिर चाहे वह किसी भी स्थान पर खेल रहा हो, टीम के लिए रन बना सकता है और जो भी गेंदबाज़ी कर रहा हो वह विकेट दिला सकता है। एकादश में मौजूद प्रत्येक खिलाड़ी दोनों चीज़ें करने में सक्षम है। पूजा वस्त्रकर ने अब तक बढ़िया प्रदर्शन किया हैं। मुझे लगता है कि यह बल्लेबाज़ी क्रम उनके लिए अनुकूल था और भविष्य में अगर कुछ बदलने की ज़रूरत पड़ी तो हम उसी के अनुसार बदलाव करेंगे।"