बर्मिंघम। क्रिकेट में कहावत है ,छोड़ो कैच हारो मैच, यह कई समय से मैच के नतीजों पर असर डालता है। वनडे से ज्यादा टेस्ट में कैच लपकने की अहमियत ज्यादा हो जाती है क्योंकि एक बार जीवनदान मिलने के बाद बल्लेबाज दुुुबारा मौका कब दे, यह कहा नहीं जा सकता।
एक आंकड़े पर नजर डालें तो भारत के टेस्ट टीम के स्लिप कॉडर्न पर सवालिया निशान उठता है। टेस्ट मैचों में साल 2015 से 2018 तक, अपने तेज गेंदबाजों के लिए स्लिप्स में तैनात भारतीय खिलाड़ियों ने सिर्फ 67 फीसदी बार ही कैच लपका है। इस फहरिस्त में बांग्लादेश से ही भारत ऊपर है। बांग्लादेश ने सिर्फ 42 फीसदी कैच लपके हैं।
इस लिस्ट में शीर्ष पर काबिज है न्यूजीलैंड जिसके स्लिप कॉ़डर्न ने 91 फीसदी कैच लपके हैं। दूसरे नंबर पर है दक्षिण अफ्रीका जिनके खिलाड़ियों ने स्लिप्स में 85 फीसदी कैच पकड़े हैं। यहीं नहीं लचर फील्डिंग के लिए कुख्यात पाकिस्तानी स्लिप कॉर्डन भी अपने तेज गेंदबाजों के लिए 79 फीसदी कैच लपक लेता है। इस पर टीम मैनेजमेंट को ध्यान देने की जरुरत है।