नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार बीसीसीआई के नए संविधान को औपचारिक तौर पर अपनाए जाने और चुनाव प्रक्रिया शुरू होने के बाद एमएसके प्रसाद की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय चयन समिति का कार्यकाल बढ़ने की संभावना नहीं है।
मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली उच्चतम न्यायालय की पीठ ने गुरुवार को सीनियर, जूनियर और महिलाओं के लिए फिर से पांच सदस्यीय चयन समिति के पुराने ढांचे को अपनाने का फैसला दिया। इस पीठ में न्यायमूर्ति ए एम खानविलकर और डीवाई चंद्रचूढ़ भी शामिल थे।
इसके अलावा विवादास्पद योग्यता प्रावधान (केवल टेस्ट क्रिकेटर) भी हटा दिया गया है तथा नई शर्तों के अनुसार सात टेस्ट, दस वनडे या 30 प्रथम श्रेणी मैच खेलने वाला क्रिकेटर भी चयनकर्ता बन सकता है।
उच्चतम न्यायालय के आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि प्रसाद और उनके साथी शरणदीप सिंह और देवांग गांधी का कार्यकाल नहीं बढ़ाया जाएगा तथा क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) नए पैनल के गठन में भूमिका निभाएगा। नया पैनल पांच सदस्यीय होगा।
शीर्ष अदालत के आदेश में कहा गया है, बीसीसीआई के चुनाव होने तक सीओए को क्रिकेट सलाहकार समिति (सीएसी) जिसमें नामी पूर्व अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर हैं, से परामर्श करके नई चयन समिति का गठन करने का अधिकार होगा।
जब बीसीसीआई के एक सीनियर अधिकारी से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने पुष्टि की कि प्रसाद और साथी चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक ही अपने पद पर रहेंगे।
अधिकारी ने कहा, वे चुनाव पूरे होने तक अपने पद पर रहेंगे। लोढ़ा सुधारों पर आधारित नए संविधान के अनुसार बीसीसीआई की शीर्ष परिषद के गठन के बाद वर्तमान चयनकर्ताओं का कार्यकाल बढ़ाए जाने की बहुत कम संभावना है।
वर्तमान चयनकर्ताओं की नियुक्ति पुराने संविधान के अनुसार की गई थी और आज के आदेश के बाद स्पष्ट है कि नए संविधान को अपनाए जाने के बाद वे अपने पद पर नहीं बने रहेंगे। (भाषा)