Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia
Advertiesment

विश्व कप में कपिल और युवराज जैसा कारनामा कर सकते हैं पांड्या

हमें फॉलो करें विश्व कप में कपिल और युवराज जैसा कारनामा कर सकते हैं पांड्या
, बुधवार, 22 मई 2019 (18:12 IST)
नई दिल्ली। पूर्व कप्तान कपिल देव ने 1983 में भारत को पहला विश्व कप जिताने और इसके 28 साल बाद ऑलराउंडर युवराज सिंह ने 2011 में भारत को फिर से चैंपियन बनाने में जो कारनामा किया था वही कारनामा ऑलराउंडर हार्दिक पांड्या इंग्लैंड की जमीन पर होने वाले विश्व कप में कर सकते हैं। 
 
कपिल, युवराज और पांड्या तीनों ही जबरदस्त ऑलराउंडर हैं जो गेंद और बल्ले के साथ टीम को अकेले अपने दम पर जीत दिला सकते हैं। कपिल ने 1983 के विश्व कप में अपनी कप्तानी में भारत को पहली बार विश्व चैंपियन बनाया था जबकि 2011 के विश्व कप में मैन ऑफ द टूर्नामेंट बने युवराज ने भारत को फिर से विश्व विजेता बनाने में अहम भूमिका निभाई थी। 
 
जो काम कपिल और युवराज ने किया था वही काम करने की क्षमता मुंबई के ऑलराउंडर पांड्या में मौजूद है। ईएसपीएन क्रिकइंफो के फैनटैस्टिक सर्वे में 50 फीसदी से अधिक भारतीयों ने पांड्या के लिए कहा है कि वह इस विश्वकप में भारत के ट्रंप कार्ड साबित हो सकते हैं। विश्व कप 30 मई से इंग्लैंड में शुरू होने जा रहा है और भारत का विश्व कप में पहला मुकाबला 5 जून को दक्षिण अफ्रीका से होगा। 
webdunia
अब से दो साल पहले इंग्लैंड की जमीन पर हुई आईसीसी चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पांड्या ने पाकिस्तान के खिलाफ मात्र 43 गेंदों पर 4  चौकों और 6 छक्कों की मदद से 76 रन की तूफानी पारी खेली थी लेकिन उनके रन आउट होने के बाद भारत की उम्मीदें टूट गईं। 
 
25 वर्षीय पांड्या भारत के लिए तीनों फार्मेट में खेलते हैं। 16 अक्टूबर 2016 को अपना वनडे पदार्पण करने वाले पांड्या ने अब तक 45 वनडे में 731 रन बनाने के अलावा 44 विकेट भी हासिल किए हैं। वह टीम के लिए तेज गेंदबाजी ऑलराउंडर की वही भूमिका निभा सकते हैं जो कपिल ने 1983 में निभाई थी। 
 
पांड्या के लिए खुद विश्व कप विजेता कप्तान कपिल का कहना है कि उनपर कोई दबाव नहीं डाला जाना चाहिए और न ही उनकी किसी से कोई तुलना की जानी चाहिए। कपिल का कहना है कि पांड्या को उनका स्वाभाविक खेल खेलने के लिए छोड़ देना चाहिए तभी वह टीम की जीत में महत्वपूर्ण योगदान दे सकेंगे। 
webdunia
1983 के विश्व कप में कपिल ने भारत की तरफ से 8 मैचों में सर्वाधिक 303 रन बनाए थे और उनका औसत 60.60 रहा था। उन्होंने 8 मैचों में 20.41 के औसत से 12 विकेट भी लिए थे। कपिल की उस विश्व कप में जिम्बाब्वे के खिलाफ टनब्रिज वेल्स में 18 जून को खेली गई नाबाद 175 रन की पारी आज भी याद की जाती है और यह विश्व कप की सर्वश्रेष्ठ पारियों में शुमार की जाती है। 
 
यह दुर्भाग्य है कि उस दिन हड़ताल होने के कारण कपिल की यह ऐतिहासिक पारी प्रसारण में नहीं आ पाई थी और उस पारी को देखने का कोई प्रत्यक्ष प्रसारण मौजूद नहीं है। कपिल ने यह पारी ऐसे समय खेली थी जब भारत ने अपने 5 विकेट 17 रन पर, 7 विकेट 78 रन पर और 8 विकेट 140 रन पर गंवा दिए थे। कपिल ने 138 गेंदों पर नाबाद 175 रन में 16 चौके और 5 छक्के लगाए थे जिसकी बदौलत भारत 8 विकेट पर 266 रन पर पहुंच चुका था। 
 
कपिल ने फिर गेंदबाजी में 11 ओवर में 32 रन देकर एक विकेट हासिल किया था। भारत के लिए कपिल की यह पारी उस विश्व कप का टर्निंग प्वांइट साबित हुई थी और भारत ने यह मुकाबला 31 रन से जीता था। 
 
कपिल जैसा प्रदर्शन 2011 में युवराज ने किया था। युवराज ने 9 मैचों में 90.50 के औसत से 362 रन बनाए थे जिनमें एक शतक और 4 अर्द्धशतक शामिल थे। उन्होंने 9 मैचों में 25.13 के औसत से 15 विकेट लिए थे। युवराज ने इंग्लैंड के खिलाफ 58 रन, आयरलैंड के खिलाफ नाबाद 50, हॉलैंड के खिलाफ नाबाद 51, वेस्टइंडीज के खिलाफ 113 और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ निर्णायक मुकाबले में नाबाद 57 रन बनाए थे।

युवराज ने श्रीलंका के खिलाफ नाबाद 21 रन की पारी भी खेली थी। युवराज उस विश्व कप में कैंसर के प्रारंभिक दौर से गुजर रहे थे और उस दौरान उन्होंने खून की उल्टियां भी की थीं लेकिन वह मैदान में डटे रहे और भारत को चैंपियन बनाकर ही दम लिया। 
 
पांड्या को विश्व कप से पहले इस साल जनवरी में अपने करियर के नाजुक दौर से गुजरना पड़ा था जब उन्होंने एक चैट शो में महिलाओं को लेकर अभद्र टिप्पणी की थी जिसके बाद उन्हें ऑस्ट्रेलिया दौरे से वापिस बुला लिया गया था।

उस समय ऐसा लग रहा था कि पांड्या कहीं विश्व कप टीम से ही बाहर न हो जाएं। लेकिन बीसीसीआई के लोकपाल के समक्ष उनकी सुनवाई के बाद उनपर 10 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया था, लेकिन उससे पहले तक उनकी टीम में वापसी हो गई थी। 
 
विश्व कप से पहले आईपीएल-12 के मुकाबलों में पांड्या का प्रदर्शन काफी शानदार रहा था जिसमें उन्होंने 16 मैचों में 402 रन बनाए थे और 14 विकेट भी हासिल किए थे। पांड्या की तूफानी बल्लेबाजी ने मुंबई इंडियन्स को चैंपियन बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया था।

उन्होंने टूर्नामेंट में 28 चौके और 29 छक्के मारे थे और सर्वाधिक छक्के मारने के मामले में वह तीसरे स्थान पर रहे थे। पांड्या के पास यह विश्व कप ऐसा मौका होगा जिसमें वह कपिल और युवराज की तरह महानता की ऊंचाइयों को छू सकते हैं।
 

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

World Cup 2019 : 71 फीसदी का मानना भारत बन सकता है विश्व विजेता