नई दिल्ली। विशेषज्ञों का मानना है कि कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल को भले ही मौजूदा सत्र में टी-20 क्रिकेट में राष्ट्रीय टीम के साथ मौका नहीं मिला हो लेकिन अगले साल होने वाले विश्व कप से पूर्व खेल के सबसे छोटे प्रारूप में इन्हें चुका हुआ मानना जल्दबाजी होगी।
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सीमित ओवरों की टीम में जगह पक्की करने वाले कुलदीप और चहल को लगातार 2 टी-20 श्रृंखला के लिए भारतीय टीम में जगह नहीं दी गई जिसमें दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ मौजूदा घरेलू श्रृंखला भी शामिल है। टी-20 से पहले पूर्व भारतीय कप्तान विराट कोहली ने धर्मशाला में कहा था कि वे राहुल चाहर और वॉशिंगटन सुंदर जैसे खिलाड़ियों का आजमा रहे हैं, क्योंकि वे बल्लेबाजी में अधिक गहराई और लगातार 200 से अधिक का स्कोर बनाना चाहते हैं।
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भारत के पूर्व सलामी बल्लेबाज आकाश चोपड़ा ने कुलदीप और चहल को बाहर रखने के फैसले के संदर्भ में कहा कि इसके पीछे विचार यह है कि अगर बल्लेबाजी में गहराई है तो आप निश्चित तरीके से बल्लेबाजी कर सकते हैं। भारत टी-20 में इसी तरह का आक्रामक रवैया अपनाना चाहता है और इसमें कुछ भी गलत नहीं है। अब भारत को लगातार 220 रन बनाने की इच्छाशक्ति दिखानी होगी।
चोपड़ा ने कहा कि 8वें, 9वें और 10वें नंबर तक बल्लेबाजी काफी महत्वाकांक्षी है (क्योंकि शायद 20 ओवर के मैच में आपको इसकी जरूरत ही नहीं पड़े) लेकिन अगर आप 220 रन बनाने का प्रयास कर रहे हैं तो ठीक है।
चोपड़ा का मानना है कि अगर कोई टीम विकेट चटकाने की अपनी क्षमता के साथ समझौता करना चाहती है तो उसे अधिक रन बनाने होंगे।
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जाने-माने स्पिन कोच सुनील जोशी ने युवाओं को आजमाने के कदम का स्वागत करने के साथ ही साथ चेताया है कि ऐसी स्थिति स्पिनरों के मन में भ्रम पैदा कर सकती है। जोशी ने कहा कि मैं सुझाव दूंगा कि कुलदीप और चहल जब राष्ट्रीय टीम का हिस्सा नहीं हों तो घरेलू क्रिकेट खेलें।
उन्होंने कहा कि यहां अंगुली के स्पिनर या कलाई के स्पिनर का सवाल नहीं है। यह बल्लेबाजों को छकाने की रणनीति है तथा अब देखते हैं कि युवा स्पिनर कैसा करते हैं? उन्हें पर्याप्त मौके दिए जाने चाहिए लेकिन साथ ही अगर चहल और कुलदीप सिर्फ एक प्रारूप में खेलते हैं तो उनकी लय बिगड़ सकती है। सफेद गेंद का क्रिकेट पूरी तरह से लय पर निर्भर है।