क्रिकेट की सर्वोच्च संस्था अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (आईसीसी) आज जितना भारत को तवज्जो दे रही है, उतनी कभी उसने किसी को नहीं दी। इसके दो कारण है, पहला यह कि भारत ही ऐसा पहला देश था, जिसने आईसीसी को यह सिखाया कि क्रिकेट के प्रसारण अधिकार बेचने पर वह अपनी तिजोरी भर सकता है, दूसरा कारण अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में टीम इंडिया और उसके खिलाड़ियों का 'दबंग' प्रदर्शन रहा है। आईसीसी ने हाल ही में टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी को जो सम्मान दिया है, वैसा सम्मान इससे पहले किसी क्रिकेटर को नहीं मिला...
300 टी20 मैच खेलकर दुनिया के पहले क्रिकेटर बनने वाले धोनी के सम्मान में आईसीसी भी नतमस्तक हुआ। उसने रविवार को अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट पर जो 14 ट्वीट किए हैं, उसमें से सबसे बड़ा ट्वीट महेंद्र सिंह धोनी के लिए है। आईसीसी ने शायराना अंदाज में लिखा 'सोचो अगर धोनी ना होते तो क्या होता? ऐसा सोचना भी बड़ा मुश्किल है। तब मुश्किल कैच या स्टम्प ना होते। कुछ चुटीली बातें भी सुनने को नहीं मिलतीं। हर बल्लेबाज दो रन, तीन रन भाग रहा होता।’
आईसीसी ने क्रिकेट इतिहास में आज तक ऐसी बात किसी क्रिकेटर के लिए नहीं की। यह धोनी और भारतीय क्रिकेट दोनों के लिए एक बड़ा सम्मान है। 1987 में भारत ने पहली बार जगमोहन डालमिया जैसे चतुर बनिये की अगुवाई में विश्व कप की मेजबानी की थी।
डालमिया के कारण आईसीसी हुआ मालामाल : डालमिया का यह व्यावससिक दिमाग ही था कि उन्होंने आईसीसी को यह समझाया कि क्रिकेट से किस तरह पैसा कमाया जा सकता है। रिलायंस वर्ल्ड कप में पहली बार क्रिकेट प्रसारण अधिकार बेचे गए और यही से उसके मालामाल बनने की शुरुआत हो गई। वरना इससे पहले क्रिकेट विश्व कप आयोजित करने वाला देश घाटे में ही रहता था।
आईसीसी में भारत का दबदबा : जगमोहन डालमिया 1997 से 2000 तक आईसीसी के चेयरमैन बने। यह पहला मौका था, जब बीसीसीआई का कोई मुखिया आईसीसी के सर्वोच्च पद पर आसीन हुआ। डालमिया के बाद शरद पवार (2010 से 2012) चेयरमैन बने तो उसके बाद 2016 में यह सम्मान शशांक मनोहर को हासिल हुआ। भारत ने आईसीसी को 3 चेयरमैन-अध्यक्ष दिए हैं और ऐसा करने वाला वह दुनिया का पहला देश है। वरना इससे पहले तो आईसीसी पर गोरे लोगों का कब्जा रहता था और वीटो पावर के जरिए एशियाई देशों को हाशिए पर रखते थे।
युवाओं के आइकॉन बने धोनी : बहरहाल, बात महेंद्र सिंह धोनी की, जिनका जन्म पानसिंह के घर 7 जुलाई 1981 को रांची में हुआ। अपनी लगन, मेहनत के बूते पर वे भारत के सबसे सफल कप्तान तो बने ही, मसाला क्रिकेट कहे जाने वाले आईपीएल में भी उन्होंने अपनी टीम चेन्नई सुपर किंग्स की धाक जमा रखी हुई है। यदि आईसीसी धोनी को क्रिकेट का सबसे बड़ा खिलाड़ी मानता है तो किसी को अचरज नहीं होना चाहिए क्योंकि खेल के बूते पर उन्होंने दोनों हाथों से शोहरत और दौलत तो बटोरी ही साथ ही वे युवाओं के भी आइकॉन बने हुए हैं।
भारतीय क्रिकेट का कोहिनूर हीरा : दरअसल भारतीय क्रिकेट को धोनी के रूप में ऐसा 'कोहिनूर' हीरा मिला है, जिसकी चमक समय के साथ-साथ और अधिक निखरती जा रही है। धोनी रफ्तार के बाजीगर हैं और उन्हें हर काम तेज रफ्तार से करना भाता है। मैदान पर जब उनके बल्ले से रनों का सैलाब निकलता है, तब स्टेडियम में जमा हजारों दर्शक रोमांचित हो जाते हैं और टीवी पर मैच देख रहे लाखों-करोड़ों लोगों में जोश भर जाता है।
यादगार जीत के लम्हे दिए : धोनी के बाजुओं में गजब की ताकत है। वे खुद के लिए रणनीति बनाते हैं और अपनी धमाकेदार बल्लेबाजी से अपने आसपास ऐसा आभा मंडल निर्मित कर देते हैं, जिसमें से कोई भी बाहर निकलना नहीं चाहता। क्रिकेट जैसे रोमांच के दीवानों को धोनी ने अपना मुरीद बना दिया है। उन्होंने 2007 के टी-20 विश्व कप और 2011 के आईसीसी विश्व कप में अपनी नेतृत्व क्षमता का परिचय देते हुए भारतीय टीम को विजेता बनाया है।
ताकत और साहस का मिश्रण : धोनी की ताकत और पैंतरा उन्हें दुनिया के विशिष्ट श्रेणी के क्रिकेटरों की कतार में खड़ा करता है। वे हमेशा मर्दानगीभरी पारी खेलते हैं, जो ताकत और साहस दोनों गुणों से परिपूर्ण होती है। धोनी का लुक और स्टाइल बॉलीवुड सितारे जैसा है, लेकिन क्रिकेट के इस महारथी ने शोहरत के मामले में फिल्मी सितारों को भी पीछे छोड़ दिया है।
300 टी20 मैच खेलने वाले धोनी पहले मैच में 0 पर आउट : क्रिकेट के जानकारों को याद दिलाना जरूरी है कि जिस धोनी के 300 टी20 मैच पूरे होने पर आईसीसी उन्हें बधाई दे रहा है, उसी धोनी ने ट्वेंटी-20 क्रिकेट में पहला अंतरराष्ट्रीय मैच 1 दिसम्बर 2006 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेला था। तब वे 0 पर आउट हुए थे।
कॅरियर के पहले वनडे मैच में भी धोनी 0 पर ही आउट हुए : सौरव गांगुली की कप्तानी में धोनी ने 23 दिसम्बर 2004 को बांग्लादेश के खिलाफ पहला एक दिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैच खेला और यहां भी वे 0 पर ही आउट हो गए जबकि पहले टेस्ट मैच (2 से 6 दिसम्बर 2005) में श्रीलंका के खिलाफवे महज 30 रन का ही योगदान दे सके। शुरुआती असफलता ने धोनी में न जाने ऐसी कौन-सी खुन्नस भरी कि बाद में वे जलजला बनकर क्रिकेट बिरादरी में छा गए।
300 टी20 मैचों में बनाए 6136 रन : धोनी ने अब तक खेले 300 टी20 मैच में 6136 रन बनाए हैं। उन्होंने कुल 158 कैच लपके और 78 स्टम्पिंग की हैं। आईपीएल में फेवरेट क्रिकेटर और दक्ष कप्तानी का लोहा मनवा चुके हैं। हाल ही में न्यूजीलैंड दौरे के पूर्व भारत ने ऑस्ट्रेलियाई दौरे में टेस्ट सीरीज 2-1 से जीतने के बाद वनडे सीरीज भी 2-1 से जीती, जिसमें धोनी ने शानदार प्रदर्शन किया। तीसरे वनडे में धोनी ने नाबाद 87 रन बनाए थे और वे 7 साल बाद 'मैन ऑफ द सीरीज' के पुरस्कार को जीतने में सफल रहे।
2019 के विश्व कप में धोनी से अपेक्षाएं : कुछ माह बाद 7 जुलाई को अपनी उम्र के 38 साल पूरे करने वाले धोनी के लिए इंग्लैंड में खेले जाने वाला विश्व कप आखिरी विश्व कप होगा और टीम इंडिया के साथ ही करोड़ों फैंस उम्मीद कर रहे हैं कि धोनी 2011 का कारनामा दोहराएं। कप्तान विराट कोहली भी खुद स्वीकार कर चुके हैं कि उन्होंने दुनिया में धोनी जैसा चतुर खिलाड़ी कभी नहीं देखा। 2016 में धोनी नंबर 4 पर बल्लेबाजी करने उतरे थे लेकिन बाद में वे पांचवें या छठे नंबर के ऐसे बल्लेबाज बन गए हैं जिनमें टीम इंडिया की नैया पार कराने की कूवत है...
आईपीएल में चेन्नई सुपर किंग्स का शानदार प्रदर्शन : इंडियन प्रीमियर लीग का 12वां संस्करण 23 मार्च 2019 से शुरू होने जा रहा है। चेन्नई सुपर किंग्स की टीम आईपीएल में 2 साल के प्रतिबंध (2016 और 2017) के कारण नहीं खेली।
यानी 9 आईपीएल खेलकर धोनी की कप्तानी में चेन्नई 7 बार फायनल तक पहुंची और 3 बार चैम्पियन बनी। यही नहीं, धोनी ने चेन्नई को 2010 व 2014 की चैम्पियन्स लीग में भी विजेता बनाया। यही कारण है कि धोनी को आईपीएल का सबसे सफल कप्तान माना जाता है।