7 साल पहले अलविदा कह गए थे फिलिप ह्यूज, निधन के बाद क्रिकेट में बदले हेलमेट और बना कनकशन सबस्टिट्यूट का नियम

Webdunia
शनिवार, 27 नवंबर 2021 (13:32 IST)
नई दिल्ली: क्रिकेट के खेल में बल्लेबाजी और गेंदबाजी में हर दिन बनने वाले रिकार्डों की चर्चा तो बहुत होती है, लेकिन कभी-कभी ऐसा कुछ हो जाता है जो इतिहास में अलग तरह से दर्ज होता है। 27 नवंबर, 2014 को भी एक दु:खद घटना हुई, जब एक मैच के दौरान आस्ट्रेलिया के बल्लेबाज फिलिप ह्यूज का सिर में बाउंसर से चोट लगने के कारण निधन हो गया।

हालांकि यह इस तरह की पहली घटना नहीं है। इससे पहले भी विभिन्न देशों के खिलाड़ी बल्लेबाजी के दौरान अथवा क्षेत्ररक्षण के दौरान गेंद लगने से अपनी जान गंवा चुके हैं। इनमें भारत के बल्लेबाज रमन लांबा शामिल हैं। चार टेस्ट मैच और 32 एकदिवसीय मैचों में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले रमन लांबा की 1998 में ढाका में एक क्लब मैच में क्षेत्ररक्षण के दौरान सिर पर गेंद लगने से मौत हो गई थी।

'सबारकोनाएड हैमरेज' बना मौत का कारण

डॉक्टर ने बताया था कि ह्यूज की चोट को डॉक्टरी भाषा में 'सबारकोनाएड हैमरेज' कहते है जब पीड़ित की रक्तवाहिनी फट जाती है और उससे खून का रिसाव दिमाग में होने लगता है। उन्होंने बताया था कि तब तक क्रिकेट गेंद से हुआ यह मात्र दूसरा मामला है।

सेंट विंसेट अस्पताल के ट्रॉमा सर्जरी प्रमुख टोनी ग्रैब्स ने कहा था कि ह्यूज को मैदान पर ही कुछ उपचार दिया गया था , जिसके कारण उनकी स्थिति और खराब नहीं हुई और समय पर ही उन्हें एयर एंबुलेंस से अस्पताल लाया गया था। इसके बाद उनकी सर्जरी कर दिमाग पर दबाव को कम करने का प्रयास किया गया लेकिन 48 घंटों में उनकी तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ और इसी कारण उनका निधन हुआ था।

हेलमेट बदला, कनकशन सबस्टिट्यूट का नियम आया

इस हादसे के बाद लगातार सवाल उठे  कि बल्लेबाज को किस तरह के हेलमेट पहनने चाहिए ताकि वे खतरनाक तेज गेंदबाजों के सामने सुरक्षित रह सकें। इस दर्दनाक घटना के बाद हेलमेट की बनावट में बदलाव आया और पीछे सिर और गर्दन की जोड़ की जगह पर भी कंपनियों ने सुरक्षात्क ढांचा देना शुरु किया।

यही नहीं अगर यह कहा जाए कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में कनकशन प्रोटोकोल इस घटना के कारण ही शुरु हुआ तो गलत नहीं होगा। अब किसी भी क्रिकेटर को अगर हेलमेट पर चोट लगती है तो फीजियो मैदान पर आता है और उसकी प्रथम दृश्या जांच के बाद ही उसको फिट घोषित करता है।

इसके अलावा कनकशन सबस्टिट्यूट का नियम भी आया जिससे सिर पर मैदान पर चोटिल होने वाले खिलाड़ी की जगह उस ही भूमिका का कोई खिलाड़ी अंतिम ग्यारह में उसकी जगह ले सकता है।

ऐसा रहा फिलिप ह्यूज का करियर

न्यू साउथ वेल्स के एक छोटे से केले की खेती के लिए मशहूर इलाके मैक्सविले में 30 नवंबर 1988 को जन्मे ह्यूज ने अपनी प्रतिभा और क्रिकेट के लिए जुनून के दम पर 18 वर्ष की आयु में प्रथम श्रेणी क्रिकेट में कदम रखा था। वर्ष 2009 में बेहद कम उम्र में टेस्ट क्रिकेट में कदम रख ह्यूज ने क्रिकेट के दिग्गजों को अपनी ओर आर्कषित किया था।

हालांकि अपनी तकनीक और खासतौर पर शार्ट पिच गेंदों को खेलने में हमेशा असहज महसूस करने वाले ह्यूज को आलोचना का शिकार होना पड़ा था और वह राष्ट्रीय टीम में कभी स्थाई जगह हासिल नहीं कर पाए थे।

ओपनिंग बल्लेबाज ने अपने संक्षिप्त करियर में 26 टेस्टों में 32.65 के औसत से 1535 रन बनाए जबकि 25 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में 35.91 के औसत से 826 रन बनाए। उन्होंने 34 ट्‍वेंटी 20 मैचों में 42.69 के बेहतरीन औसत से 1110 रन भी बनाए। ह्यूज इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में मुंबई इंडियंस टीम का हिस्सा भी रहे थे।

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