50 पार हुए कोच राहुल द्रविड़, बोर्ड के लिए अब तक हैं भरोसेमंद
कोच राहुल द्रविड़ मना रहे हैं अपना 50वां जन्मदिन
- टेस्ट क्रिकेट में सचिन से भी बड़े माने गए राहुल द्रविड़
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कोचिंग में भारत को जिता चुके हैं अंडर 19 विश्वकप
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सीनियर टीम की कोचिंग में अब तक खास सफल नहीं रहे द्रविड़
टेस्ट क्रिकेट में भारत का सबसे विश्वसनीय खिलाड़ी राहुल द्रविड़ का आज 50वां जन्मदिन है। राहुल द्रविड़ की शख्सियत के बारे में सभी जानते हैं, उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में योगदान दिया है शायद ही किसी बल्लेबाज ने दिया हो।
सौरव गांगुली के साथ अपने टेस्ट करियर की शुरुआत करने वाले राहुल द्रविड़ नर्वस नाइनटीस में आउट हो गए थे और पहले टेस्ट में शतक बनाने से चूक गए थे। हालांकि इसके बाद उन्होंने अपना पहला टेस्ट शतक जॉहन्सबर्ग में बनाया।यहां से ही विदेशी पिचों पर राहुल द्रविड़ भारत के संकटमोचन बनने लगे। कोई और टेस्ट या वनडे में चले ना चले बाहर राहुल द्रविड़ ही टीम इंडिया को बचाते थे।
ऐसा रहा है करियर
राहुल द्रविड़ ने 164 टेस्ट में 36 शतक की मदद से 13288 रन जबकि 344 वनडे में 12 शतक की मदद से 10889 रन बनाए। एकमात्र टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेलने वाले द्रविड़ बेहतरीन स्लिप क्षेत्ररक्षक भी थे। उन्होंने 2012 में खत्म हुए अपने टेस्ट करियर के दौरान विश्व रिकार्ड 210 कैच लपके। उनकी कोचिंग में भारतीय अंडर 19 टीम ने साल 2018 का विश्वकप भी जीता था।
द्रविड़ की कोचिंग में जूनियरों ने जीता विश्वकप
राष्ट्रीय क्रिकेट अकादमी (एनसीए) के निदेशक रहे राहुल द्रविड़ ने भारत की अंडर—19 और 'ए' स्तर की टीमों के साथ बतौर कोच कार्यकाल में सुनिश्चित किया कि दौरे पर गये प्रत्येक खिलाड़ी को मैच खेलने का मौका मिले जबकि उनके जमाने में ऐसा नहीं होता था।
भारत की युवा प्रतिभाओं को तराशने का श्रेय द्रविड़ को जाता है। यही कारण है कि भारत एक ही समय पर दो टीमों को अलग अलग दौरे पर भेज सकता है। जिसकी शुरुआत अगस्त 2021 में हुई थी। भारत की सीनियर टीम इंग्लैंड में थी तो राहुल द्रविड़ को श्रीलंका दौरे के लिए कोच नियुक्त किया गया था जिसमें बहुत से जूनियर खिलाड़ियों को मौका दिया गया था।उनके कार्यकाल में भारतीय टीम साल 2018 में आईसीसी अंडर 19 क्रिकेट वनडे विश्वकप जीती।
सीनियर टीम की कोचिंग में मिला दूसरा मौका
राहुल द्रविड़ जब साल 2021 के बाद भारत के कोच नियुक्त हुए थे तो फैंस को उनसे बहुत आशा थी। लेकिन अब तक उनके कार्यकाल में ज्यादातर निराशा ही हाथ लगी है। वह भारत के 10 साल से लंबे आईसीसी ट्रॉफी का इंतजार खत्म नहीं कर पाए।
उनके कार्यकाल में वनडे एशिया कप की खिताबी जीत ही एक सांत्वना पुरुस्कार रही। टीम इंडिया टी-20 एशिया कप के फाइनल में नहीं पहुंच पाई और पिछले साल हुआ टी-20 विश्वकप के सेमीफाइनल में मुकाबला हार बैठी।
विश्व टेस्ट चैंपियनशिप की खिताबी हार द्रविड़ की छवि पर एक धब्बा बनी क्योंकि टेस्ट क्रिकेट में वह सचिन तेंदुलकर से भी ऊपर माने जाते हैं। साल के अंत में भारतीय टीम को विश्वकप फाइनल में पहुंचाने के बावजूद भी वह विश्वकप नहीं जिता पाए।
हालांकि इसके बाद भी टीम ने उनपर भरोसा जताए रखा है। और उनका करार वेस्टइंडीज में होने वाले टी-20 विश्वकप तक बढ़ा दिया है।