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बाहर से शांत पाटीदार के अंदर है सफलता के लिये ज्वालामुखी, बचपन के कोच ने क्या कहा

भारत के लिए वनडे मैच में सलामी बल्लेबाजी कर चुके इंदौर के क्रिकेटर अमय खुरासिया है पाटीदार के बचपन के कोच

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WD Sports Desk

इंदौर , गुरुवार, 5 जून 2025 (15:54 IST)
रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (RCB) को इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) में पहली बार खिताब दिलाने वाले कप्तान रजत पाटीदार की तारीफ करते हुए जूनियर दिनों के उनके कोच अमय खुरासिया ने कहा कि संकल्प को पूरा करने की उनकी मजबूत इच्छाशक्ति उन्हें खास बनाती है।भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी खुरासिया लंबे समय तक इंदौर में मध्य प्रदेश क्रिकेट संघ (APCA) के अकादमी के मुख्य कोच रहे हैं और उनके मार्गदर्शन में पाटीदार ने अपनी बल्लेबाजी और नेतृत्व कौशल में काफी सुधार किया है।

खुरासिया ने पाटीदार को मजबूत इच्छाशक्ति वाली खिलाड़ी करार देते हुए कहा कि वह बाहर से बेहद सौम्य और शांत दिखते है लेकिन उनके अंदर सफलता के लिए ज्वालामुखी जैसे आग है। बायें हाथ के पूर्व बल्लेबाज ने PTI (भाषा) को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘ धैर्य और सही समय पर सही फैसला लेना सफल व्यक्ति के दो बड़े गुण होते है और पाटीदार इन दोनों कसौटी पर पूरी तरह से खरे उतरते हैं।’’

पाटीदार ने अपनी कप्तानी कौशल से प्रभावित करने के साथ इस सत्र में 15 मैचों में दो अर्धशतक की मदद से 312 रन बनाये। उन्होंने आईपीएल में 42 मैचों में एक शतक और नौ अर्धशतक की मदद से 1111 रन बनाये हैं।पाटीदार इस फ्रेंचाइजी से चोटिल खिलाड़ी के विकल्प के तौर पर जुड़े थे लेकिन 2022 सत्र में लखनऊ सुपरजायंट्स के खिलाफ शतकीय पारी खेलकर उन्होंने टीम में जगह पक्की की।

आरसीबी ने जब उन्हें इस सत्र से पहले कप्तान बनाने का फैसला किया तो कइयों को हैरानी हुई थी लेकिन यह ‘मास्टरस्ट्रोक’ साबित हुआ । पाटीदार ने 13 मैचों की टीम की अगुवाई की जिसमें से 10 में जीत दर्ज की। टीम ने इस दौरान खिताब उठाने के साथ पहली बार चेन्नई सुपर किंग्स को उसके घर में मात दी।
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आरसीबी ने जब पाटीदार को कप्तान बनाया तभी खुरासिया को लगा गया था कि यह टीम इस सत्र में कुछ खास करेगी।उन्होंने कहा, ‘‘ आरसीबी ने जब उन्हें कप्तान बनाया था तब भी कई पत्रकारों ने मेरा साक्षात्कार किया था। मैंने तब ही कहा था कि इस सत्र में यह टीम कुछ अलग करने वाली है। पाटीदार बाहर से काफी शांत दिखते है लेकिन अंदर से ज्वालामुखी की तरह है। उनके मन में सबको साथ लेकर सफलता हासिल करने की जिजीविषा बहुत है। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘जब वह किशोरावस्था में थे तभी एमपीसीए में मेरी देखरेख में कई शिविर में शामिल हुए थे।’’उस समय पाटीदार की उम्र पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘‘जब वह पहली पर शिविर में आये थे तक वहां कई खिलाड़ी थे ऐसे में सटीक उम्र बताना मुश्किल है। लेकिन वह 15  से 18 साल वाली आयु वर्ग में रहे होंगे।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ वह उस समय भी काफी विविधताओं से भरे हुए थे, शांत थे, धैर्यवान थे और मेहनत करने से पीछे नहीं हटते थे। उनकी आंखों में सफलता हासिल करने की ललक थी। जब वे छोटे थे तब भी ऐसे ही थे। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने उनकी बल्लेबाजी की तकनीकी पहलुओं पर काफी कम किया। वह संकल्प शक्ति के उदाहरण हैं क्योंकि हमने जितना काम किया उससे कहीं ज्यादा मेहनत उन्होंने अपने खेल पर किया । उन्होंने इस खेल की काफी साधना की है।’’

खुरासिया को उम्मीद है कि पाटीदार जल्द ही भारतीय टीम में वापसी करेंगे। इस मध्यक्रम के बल्लेबाज ने भारत के लिए तीन टेस्ट और एक वनडे खेला है लेकिन वह इन सीमित मौकों को भुनाने में नाकाम रहे।

भारत के लिए 12 वनडे खेलने वाले इस पूर्व खब्बू बल्लेबाज ने कहा, ‘‘ उसने कर के दिखा दिया। उसने अपने आप को साबित कर दिया है। वह कम से कम सीमित ओवरों (एकदिवसीय और टी20) की भारतीय टीम में जगह का हकदार है। उसके टीम में होने टीम की मध्यक्रम को काफी मजबूती मिलेगी। वह पिछले काफी समय से ऐसा कर रहा है। यह चयनकर्ताओं के हाथ में और उन्हें उसके प्रदर्शन का संज्ञान लेना चाहिये। ’’

पाटीदार के साथ ही खुरासिया के मार्गदर्शन में आवेश खान, वेंकटेश अय्यर, आशुतोष शर्मा,  कुलदीप सेन जैसे खिलाड़ियों का कैरियर भी परवान चढ़ा। इन सभी खिलाड़ियों ने आईपीएल के पिछले कुछ सत्रों के अलावा घरेलू क्रिकेट में भी काफी प्रभावित किया है।

खुरासिया के मार्गदर्शन में केरल टीम ने पिछले सत्र रणजी ट्रॉफी में पहली बार फाइनल में जगह बनाई।खुरासिया ने कहा, ‘‘ मेरे लिए पाटीदार से बड़ी सफलता केरल की टीम की है। वह इसलिए क्योंकि इस टीम में कोई बड़ा सितारा नहीं था और इसने 74 साल के इतिहास में पहली बार रणजी ट्रॉफी के फाइनल में जगह बनाई।’’
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अगर मौका मिला तो भारतीय टीम की कोचिंग प्रणाली से जुड़ना चाहेंगे, इस बारे में पूछे जाने पर कहा, ‘‘ क्यों नहीं (भारतीय टीम का कोच बनना)। यह तो बड़ा सम्मान होगा।’’उन्होंने ‘संघर्ष पथ’ कविता का जिक्र करते हुए कहा, ‘‘ ‘क्या हार में क्या जीत में, किंचित नहीं भयभीत मैं। संघर्ष पथ पर जो मिले यह भी सही।’ इस कविता की अगली पंक्ति है वरदान मांगूंगा नहीं लेकिन मैं इस तरह का वरदान मांगना पसंद करूंगा।’’

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