नई दिल्ली। ऑस्ट्रेलिया के पूर्व बल्लेबाज डीन जोंस के मुताबिक भारतीय क्रिकेटर रोहित शर्मा विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं लेकिन टेस्ट क्रिकेट में कमजोर रक्षात्मक तकनीक के कारण उनका प्रदर्शन प्रभावित हो रहा है।
कप्तान विराट कोहली के अलावा कोई भी विशेषज्ञ भारतीय बल्लेबाज मौजूदा श्रृंखला के दो टेस्ट मैचों में दक्षिण अफ्रीका के तेज गेंदबाजों का मजबूती से सामना नहीं कर पाया। लगातार दो हार के साथ भारत ने श्रृंखला भी गंवा दी है।
श्रीलंका के खिलाफ श्रृंखला के दौरान एकदिवसीय मैचों में तीसरा दोहरा शतक और अंतरराष्ट्रीय टी-20 में सबसे तेज शतक का भारतीय रिकॉर्ड बनाने वाले रोहित के ‘मौजूदा फॉर्म को देखते हुए उपकप्तान अजिंक्य रहाणे की जगह उन्हें टीम में चुना गया था लेकिन 4 पारियों में 19.50 की औसत से सिर्फ 78 बना वह इसे सही नहीं ठहरा पाए।
जोंस ने कहा कि मैंने उन्हें देखा है और वह तकनीकी रूप से दक्ष है। लेकिन आपके खेल में गलती तब होती है जब आपका रक्षात्मक पहलू कमजोर होता है और वह (रोहित) अपनी रक्षात्मक तकनीक के कारण विफल हो रहा है।
उन्होंने कहा कि टेस्ट क्रिकेट में अपकी बल्लेबाजी का 70 प्रतिशत हिस्सा रक्षात्मक तकनीक पर निर्भर करता है और एक दिवसीय में इसकी जरूरत 40 प्रतिशत होती है। उनकी रक्षात्मक तकनीक उन्हें विफल बना रही है। उन्हें अपनी रक्षात्मक तकनीक पर सुनील गवास्कर, राहुल द्रविड़, सचिन तेंदुलकर और यहां तक कि विराट कोहली के जैसे भरोसा होना चाहिए।
जोंस ने कहा कि भारत को टीम चयन के मुद्दों को हल करने के लिऐ दक्षिण अफ्रीका जैसे कड़े दौरे की जरूरत थी। उन्होंने कहा कि अपको टीम का संयोजन सही करने के लिए ऐसे दौरे की जरूरत होती है ताकि यह पता चल सके कि खिलाड़ी दक्ष हैं या नहीं? उन्होंने कहा कि अगर अगली श्रृंखला में उन्हें टीम में जगह नहीं मिलती तो रवि (शास्त्री) और कोहली उन्हें कह सकते हैं कि हमने आपको मौका दिया।
भारत के पूर्व कप्तान अजीत वाडेकर और बिशन सिंह बेदी ने भारत के लचर प्रदर्शन के लिए बिना तैयारी (बिना अभ्यास मैच खेले) के श्रृंखला में जाने को कारण बताया। जोंस उनकी बातों से इत्तेफाक नहीं रखते।
ऑस्ट्रेलिया के लिए 52 टेस्ट और 164 एकदिवसीय खेलने वाले जोंस ने कहा कि गुरुवार को के दौर की क्रिकेट में अभ्यास मैचों का समय नहीं मिलता। लेकिन आप सिर्फ अभ्यास मैचों के भरोसे क्यों रहेंगे। मैंने वीवीएस लक्ष्मण से बात की है जिन्होंने बताया कि द्रविड़ और तेंदुलकर ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए 3 महीने पहले से ही तैयारी शुरू कर देते थे। उछाल लेती गेंद से निपटने की जिम्मेदारी खिलाड़ी को खुद लेनी चाहिए। (भाषा)