संन्यास की घोषणा के बाद बोले शाकिब, भारत का टेस्ट दौरे से 'तौबा-तौबा'

भारत का दौरा करना मुश्किल, पिचें ज्यादा मायने नहीं रखतीं : शाकिब

WD Sports Desk
गुरुवार, 26 सितम्बर 2024 (17:55 IST)
बांग्लादेश के स्टार ऑलराउंडर शाकिब अल हसन ने बृहस्पतिवार को स्वीकार किया कि भारत का टेस्ट दौरा करना सबसे कठिन है और उनके स्टार खिलाड़ियों को देखते हुए पिचों से ज्यादा फर्क नहीं पड़ता।बांग्लादेश 2000 के बाद से भारत के खिलाफ अपनी पहली टेस्ट जीत की कोशिश में है। दोनों टीमें एक दूसरे के खिलाफ 14 बार खेल चुकी हैं, जिसमें भारत ने 12 मुकाबले जीते हैं जबकि बाकी 2 मैच ड्रॉ रहे।

जब शाकिब से पूछा गया कि क्या भारत का दौरा सचमुच कठिन होता है तो उन्होंने कहा, ‘‘अगर आप दूसरे देशों को देखें तो वे कभी-कभार एक या दो मैच हार जाते हैं। लेकिन भारत में, आप उन्हें टेस्ट मैचों में हारते हुए शायद ही देखते हो। इसलिये आप सही हैं। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘हमने बांग्लादेश में वनडे श्रृंखला में उनके खिलाफ जीत हासिल की। हम बांग्लादेश में टेस्ट मैच में उनके खिलाफ मैच जीतने के बहुत करीब थे। टेस्ट क्रिकेट में हमें वैसी सफलता नहीं मिली है जिसकी हम कोशिश में जुटे हैं। कल हमारे पास एक और मौका होगा। ’’

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि चेन्नई में हमने टुकड़ों में अच्छा खेल दिखाया। लेकिन साढ़े तीन दिन में मैच खत्म करना हमारे लिए आदर्श नहीं था। हमें लगा कि हम उनसे बेहतर टीम हैं। इसलिए हमें कल के मैच में यह दिखाना होगा। ’’

बांग्लादेश ने भारत आने से पहले पाकिस्तान में टेस्ट श्रृंखला 2-0 से जीतकर अच्छा प्रदर्शन किया था।शाकिब ने दोनों टीमों के बीच तुलना करते हुए कहा, ‘‘पाकिस्तान की टीम अपेक्षाकृत नई टीम है। अनुभव के मामले में कहूं तो हमें उनसे ज्यादा अनुभव है। और टेस्ट क्रिकेट में मुझे लगता है कि यह एक बहुत अहम भूमिका निभाता है। ’’ (भाषा)<>

सम्बंधित जानकारी

Show comments
सभी देखें

ज़रूर पढ़ें

लीड्स की हार का एकमात्र सकारात्मक पहलू: बल्लेबाजी में बदलाव पटरी पर

ICC के नए टेस्ट नियम: स्टॉप क्लॉक, जानबूझकर रन पर सख्ती और नो बॉल पर नई निगरानी

बर्फ से ढंके रहने वाले इस देश में 3 महीने तक फुटबॉल स्टेडियमों को मिलेगी 24 घंटे सूरज की रोशनी

The 83 Whatsapp Group: पहली विश्वकप जीत के रोचक किस्से अब तक साझा करते हैं पूर्व क्रिकेटर्स

क्या सुनील गावस्कर के कारण दिलीप दोषी को नहीं मिल पाया उचित सम्मान?

अगला लेख