चेन्नई। महेंद्र सिंह धोनी का विपरीत हालात में भी धैर्य बरकरार रखना उन्हें महान खिलाड़ियों में जगह दिलाता है लेकिन इस पूर्व भारतीय खिलाड़ी को यह स्वीकार करने में कोई दिक्कत नहीं है कि उन पर भी दबाव और डर का असर होता है। खेलों में शीर्ष प्रदर्शन हासिल करने के लिए मानसिक अनुकूलन कार्यक्रम की पेश कर रही पहल एमफोर का समर्थन करते हुए धोनी ने मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दे पर अपना नजरिया रखा।
एमफोर की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में धोनी के हवाले से कहा गया, ‘मुझे लगता है कि भारत में अब भी यह स्वीकार करना बड़ा मुद्दा है कि मानसिक पहलू को लेकर कोई कमजोरी है लेकिन आम तौर पर हम इसे मानसिक बीमारी कहते हैं।’ एमफोर ने कहा कि धोनी ने विभिन्न खेलों के कोचों से बातचीत के दौरान यह टिप्पणी की। कोविड-19 महामारी के कारण देश में लॉकडाउन लागू किए जाने से पहले यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था।
पिछले साल जुलाई में विश्व कप सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद से अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर से दूर धोनी ने कहा, ‘कोई भी असल में यह नहीं कहता कि जब मैं बल्लेबाजी के लिए जाता हूं तो पहली 5 से 10 गेंद तक मेरे दिल की धड़कन बढ़ी होती है, मैं दबाव महसूस करता हूं, मैं थोड़ा डरा हुआ भी होता हूं क्योंकि सभी इसी तरह महसूस करते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘यह छोटी सी समस्या है लेकिन काफी बार हम कोच को यह कहने में हिचकते हैं और यही कारण है कि किसी भी खेल में कोच और खिलाड़ी का रिश्ता काफी महत्वपूर्ण होता है।’
भारतीय कप्तान विराट कोहली के हवाले से कहा गया कि जीवन में मानसिक स्पष्टता महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ‘मुझे लगता है कि मानसिक स्वास्थ्य और मानसिक स्पष्टता सिर्फ खेल ही नहीं बल्कि जीवन में भी सबसे महत्वपूर्ण पहलू है।’
एमफोर के संस्थापक पूर्व भारतीय बल्लेबाज एस बद्रीनाथ और श्रवण कुमार हैं। स्पोर स्पोर्ट्स 1 तमिल ने 10 मई को ‘माइंड मास्टर्स बाय एमफोर’ शो को शुरू करने की तैयारी की जिसमें धोनी, कोहली और रविचंद्रन अश्विन के अलावा अन्य खेलों में मानसिक अनुकूलन और मानसिक कौशल पर अपने विचार रखेंगे। (भाषा)