टीम इंडिया की जो कंपनी प्रायोजक बनी वह डूबी, सहारा से लेकर Dream 11 तक का सफर

WD Sports Desk
मंगलवार, 26 अगस्त 2025 (19:59 IST)
भारतीय क्रिकेट टीम का मुख्य प्रायोजक कौन नहीं बनना चाहता। भारत में क्रिकेट जितने लोग देखते हैं उनके सामने अगर अपनी कंपनी का नाम टीम इंडिया की जर्सी पर चस्पा हो तो करोड़ो रुपए का निवेश भी फलीभूत हो जाए। लेकिन पता नहीं क्यों भारतीय क्रिकेट टीम का जो भी  मुख्य प्रायोजक बनता है उसकी कंपनी या तो डूब जाती है या फिर बैन हो जाती है। कम से कम यह घाटे का सौदा तो जरूर ही साबित होता है। जानते हैं यह श्राप का खेल कब से शुरु हुआ।

साल 2001 से साल 2013 का भारतीय क्रिकेट टीम का सहारा हुआ बेसहारा

सहारा इंडिया वास्तव में भारतीय क्रिकेट टीम का एक प्रमुख  मुख्य प्रायोजक था, जिसका 2001 से 2013 तक का 11 वर्षों का उल्लेखनीय कार्यकाल रहा।  2010 में नवीनीकृत समझौते के तहत सहारा ने प्रत्येक टेस्ट, वनडे और टी20I मैच के लिए ₹3.34 करोड़ का भुगतान किया। सौरव गांगुली से लेकर महेंद्र सिंह धोनी ने सहारा ग्रुप की जर्सी पहली और मैदान पर उतरे। सहारा ने 21वीं सदी में सबसे लंबे समय तक भारतीय टीम के मुख्य प्रायोजक होने का गौरव हासिल किया। 

वित्तीय तंगी और खिलाड़ियों की नीलामी और विदेशी खिलाड़ियों पर प्रतिबंध जैसे विभिन्न मुद्दों पर भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के साथ मतभेदों के कारण सहारा ने प्रायोजन से अपना नाम वापस ले लिया।उल्लेखनीय क्षण: भारतीय क्रिकेट के साथ सहारा के जुड़ाव के कुछ उल्लेखनीय क्षण रहे, जिनमें इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) में पुणे वॉरियर्स टीम के लिए उनका समर्थन भी शामिल है। हालाँकि, कंपनी ने अंततः बीसीसीआई के साथ मतभेदों का हवाला देते हुए आईपीएल से भी हाथ खींच लिया।सहारा कंपनी की वित्तीय हालत गिरने लगी।इससे पहले उन्होंने अपने एयरलाइंस सहारा एयरलाइंस को जेट एयरलाइंस को बेचना पड़ा।

हालत इतनी खस्ता हो गई कि सुब्रत रॉय की कंपनी दिवालिया हो गई।  इसके बाद सुब्रत रॉय सहारा को जेल तक जाना पड़ा। शीर्ष अदालत ने चार मार्च 2014 से तिहाड़ जेल में बंद सुब्रत राय को जमानत के लिए दस हजार करोड़ रुपए का भुगतान करने का आदेश दिया था। इसमें से उन्हें पांच हजार करोड़ रुपए नकद और इतनी ही राशि की बैंक गारंटी देनी थी।

3 साल तक स्टार इंडिया रहा टीम इंडिया का प्रायोजक

सहारा के जाने के बाद ऐसा प्रतीत हो रहा था कि स्टार इंडिया और टीम इंडिया की जोड़ी बहुत अच्छी जमेगी और लंबे समय तक जमेगी। इसका कारण यह माना जा रहा था कि स्टार इंडिया खेल और विशेषत क्रिकेट प्रासरण का शीर्ष नाम था। प्रसारक के लिए इससे बड़ा विज्ञापन और क्या हो सकता है कि प्रायवेट लिमिटेड का नाम टीम इंडिया की जर्सी पर हो और वह मैच भी स्टार स्पोर्टस पर आ रहा हो। 

करीब 3 साल तक स्टार इंडिया भारतीय टीम की मुख्य प्रायोजक रही। इस दौरान ना केवल स्टार इंडिया को 385 करोड़ रुपए मिले बल्कि अंतरराष्ट्रीय के साथ घरेलू मैचों के भी प्रसारण का अधिकार मिला।

लेकिन यहां भी बात जमी नहीं। साल 2017 में स्टार ने इस कारण कन्नी काट ली क्योंकि कंपनी को लगा कि यह सफेद हाथी है। खेल प्रसारण में ही कंपनी की मुख्य दिलचस्पी थी। करार के शुरुआत में ही स्टार इंडिया के क्रिकेट विश्लेषण कार्यक्रम जैसे की स्टार पॉवर शुरु हुए थे लेकिन खराब गुणवत्ता के कारण बंद भी हो गए। यह कंपनी आईपीएल के प्रसारण अधिकार भी इस दौरान नहीं खरीद पाई।

2 साल ही चल पाई ओपो की टीम इंडिया से साझेदारी, बहिष्कार की हुई मांग

भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के मुख्य प्रायोजक के रूप में ओप्पो का कार्यकाल ₹1,079 करोड़ का भुगतान करने के बावजूद, केवल दो साल बाद 2019 में समाप्त हो गया। उनके पतन में दो प्रमुख  शामिल थे:
- भारत-चीन तनाव: भारत और चीन के बीच बढ़ते तनाव ने देश में ओप्पो के कारोबार को प्रभावित किया। एक चीनी कंपनी होने के नाते, ओप्पो को प्रतिबंधों और आलोचनाओं का सामना करना पड़ा, जिससे उनकी ब्रांड प्रतिष्ठा प्रभावित हुई।
- अल्पकालिक प्रायोजन: ओप्पो की टैगलाइन "इंस्पिरेशन अहेड" उनके लिए कारगर नहीं रही, क्योंकि उनका प्रायोजन केवल दो साल, 2017 से 2019 तक चला।

बायजू4 साल तक ही था का करार लेकिन बीच में ही हुए बखेड़ा

भारतीय क्रिकेट टीम की जर्सी पर भी लंबे तक समय बायजू का नाम दिखाई दिया। बायजू ने 2019 में ‘ओप्पो’ की जगह ली। जून 2022 में बायजूस ने करीब 3.50 करोड़ डॉलर में BCCI के साथ नवंबर 2023 तक अपना जर्सी प्रायोजन करार बढ़ा दिया। हालांकि यह करार मार्च 2023 तक खत्म हो गया।अमेरिकी कर्जदाताओं का भुगतान रोकने के बाद अब डेलॉयट ने कंपनी का ऑडिट का कार्य छोड़ दिया । ऑडिट कंपनी डेलॉयट ने शिक्षा प्रौद्योगिकी मंच बायजू की तरफ से वित्तीय विवरण देने में देरी होने पर इसके ऑडिटर के दायित्व से खुद को अलग कर लिया है।आर्थिक मोर्चे पर संघर्ष कर रही बायजूस में डायरेक्टर्स के इस्तीफे हुए छटनी के बादल छाए और छात्रों और अभिभावकों का भरोसा तो कंपनी खो ही चुकी थी। ऐसे में यह कंपनी भी दिवालिया हो गई।

Fantasy Platform Dream 11 हुआ बैन, अपने आप हटा टाइटल स्पॉंसर के तौर पर

फैंटेसी स्पोटर्स कंपनी ड्रीम 11 अब भारतीय क्रिकेट टीम की टाइटल प्रायोजक नहीं है और बोर्ड ने उसके विकल्प की तलाश शुरू कर दी है लेकिन यह अगले महीने एशिया कप से पहले होने की संभावना नहीं है।हाल ही में पारित ‘ऑनलाइन गेमिंग संवर्धन एवं विनियमन विधेयक, 2025’ के तहत सरकार के वास्तविक धन गेमिंग पर प्रतिबंध लगाने के बाद ड्रीम11 अब भारतीय क्रिकेट टीम का टाइटल प्रायोजक नहीं है।ड्रीम 11 ने भारतीय टीम के टाइटल अधिकार लगभग 44 मिलियन अमेरिकी डॉलर (लगभग 358 करोड़ रुपये) में खरीदे थे। उनका करार खत्म होने में अभी एक साल बाकी है लेकिन इसके लिये उन्हें कोई दंड नहीं लगाया जायेगा।
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