वेस्टइंडीज Westindies के खिलाफ अपने पदार्पण मैच में शतक जड़ने वाले युवा बल्लेबाज Yashsvi Jaiswal यशस्वी जायसवाल की सफलता का राज है लगातार अभ्यास से पीछे नहीं हटना। जायसवाल की इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) टीम राजस्थान रॉयल्स के हाई परफार्मेंस निदेशक और मुंबई के पूर्व बल्लेबाज जुबिन भरूचा ने बताया कि 21 साल का यह खिलाड़ी तालेगांव (महाराष्ट्र) के सुविधा केंद्र एक ही शॉट का अभ्यास 300 बार करता था और अपनी ताकत को बढ़ाने के लिए उन्होंने बेसबॉल कोच के साथ काम किया और लंबे समय तक बल्लेबाजी अभ्यास के कारण उनके हाथ में छाले भी पड़ जाते थे।
आईपीएल के ट्रायल में जायसवाल की प्रतिभा को पढ़ने के बाद भरूचा ने इस खिलाड़ी के खेल में सुधार लाने में अहम योगदान दिया। उन्होंने PTI-भाषा से कहा, वह भारतीय टीम के लिए अंडर-19 क्रिकेट खेलकर आया था। आईपीएल में हालांकि बहुत अलग तरह की चुनौती होती है। ट्रायल के दौरान उसने पहली ही गेंद को स्क्वायर की दिशा की तरफ शानदार तरीके से फ्लिक किया। मुझे याद नहीं कि गेंदबाज कौन था लेकिन उनका शॉट कमाल का था।
उन्होंने कहा, मैं किसी को लेकर बनी पहली प्रतिक्रिया के साथ जाना पसंद करता हूं। मैंने उस गेंद पर उसकी बल्लेबाजी के दौरान गजब का आत्मविश्वास देखा था। भरूचा जब जायसवाल से मिले थे तब इस इस खब्बू बल्लेबाज की उम्र महज 18 साल थी। उन्होंने कहा, एक कहावत है कि चैंपियन बनाने के लिए एक गांव की जरूरत होती है। ऐसे कई लोग हैं जिन्होंने यशस्वी की अब तक की यात्रा में योगदान दिया है और मैं उनमें से एक हूं। वह ऐसी जगह से आया था जहां उसके पास कुछ करने का बहुत कम मौका था।
उन्होंने कहा, वह निश्चित रूप से जानता है कि वह कहां से आया है। वह इस बात को लेकर स्पष्ट है कि उसका सफर शून्य से शुरू हुआ है। भरूचा ने मुंबई की बहुत मजबूत टीम के लिए 17 प्रथम श्रेणी मैच खेले। इस टीम में रवि शास्त्री, संजय मांजरेकर और सचिन तेंदुलकर जैसे खिलाड़ी थे। जायसवाल को अभ्यास के लिए तालेगांव इसलिए ले जाया गया ताकि उसका ध्यान पूरी तरह से अपने खेल पर रहे।
100 मीटर दूर गेंद पहुंचाने का लक्ष्य था यशस्वी के पास
उन्होंने कहा, तालेगांव नागपुर से 90 मिनट की दूरी पर है। हमारा विचार उसे अन्य चीजों से अलग करना था ताकि उसके दिमाग में अभ्यास के अलावा कुछ नहीं रहे। यहां तक कि कोविड-19 के दौरान भी वह वहीं था और अभ्यास कर रहा था। इस दौरान भी उनकी प्रगति में कोई रुकावट नहीं आई। भरूचा ने रॉयल्स अकादमी में अपनाए जाने वाले प्रशिक्षण का खुलासा करते हुए कहा, हमारे पास एक बहुत स्पष्ट योजना थी। चाहे वह 300 कट शॉट हों या 300 रिवर्स स्वीप या 300 पारंपरिक स्वीप, हम तब तक नहीं रुकेंगे जब तक हम उस विशेष शॉट के साथ एक निश्चित स्तर की स्थिरता हासिल नहीं कर लेते। जायसवाल भी ऐसा ही करता था।
वह आक्रामक स्ट्रोक खेलने में थोड़ा पिछड़ रहा था। इसलिए हमने बेसबॉल से उसे अभ्यास करने पर ध्यान दिया। उन्होंने कहा, हम उसे अलग-अलग वजन के गेंद और बल्ले से रोज 100 शॉट मारने के लिए कहते थे। इसमें उसे अपने शॉट को 100 मीटर दूर मारने का लक्ष्य दिया जाता था।