मोहिंदर अमरनाथ को भारतीय उपमहाद्वीप में एक साधारण गेंदबाज माना जाता था, लेकिन जब वे इंग्लैंड की पिचों पर गेंदबाजी करते तो उनकी गेंद असाधारण स्विंग होती थीं। यही हाल सौरव गांगुली का भी रहा। भारतीय विकेटों पर सौरव को एक गेंदबाज के तौर पर कभी इतनी तवज्जो नहीं मिली, लेकिन अगर सौरव के हाथों में गेंद है और वे टोरेंटों या इंग्लैंड के विकेटों पर खेल रहे हैं तो वे एक असाधारण गेंदबाज साबित हुए।
यह बात पूरी दुनिया मानती है कि स्विंग गेंदबाज विकेट की परिस्थिति का मोहताज होता है। गर्म मौसम में इयॉन बॉथम, कपिल देव, इमरान खान, सरफराज नवाज, वसीम अकरम, कोर्टनी वॉल्श, डेनिस लिली, कर्टले एम्ब्रोस, रिचर्ड हेडली जैसे गेंदबाजों ने भी संघर्ष किया, लेकिन जैसे ही उन्हें अपने मुताबिक तेज विकेट मिले, उन्होंने वहां विश्वस्तरीय बल्लेबाजों की नाम में दम कर दिया।
वर्तमान में भी भारत के पास जहीर खान, ईशांत शर्मा, प्रवीण कुमार, मुनाफ पटेल, इरफान पठान, एस श्रीसंथ, आशीष नेहरा, एल बालाजी, जैसे स्विंग गेंदबाज हैं, जो उपमहाद्वीप में भले ही साधारण साबित होते हैं, लेकिन इन्हें स्विंग गेंदबाजी की कला आती है, लेकिन सवाल यह भी है कि इनकी इस कला ने इनके करियर को संवारने में कितनी मदद की?
हर सफल तेज गेंदबाज के पास गति, स्विंग, चेंज ऑफ पेस, एक्यूरेसी, जैसे हथियार होते हैं, जिनके दम पर वह अपनी कामयाबी की कहानी लिखता है। इनमें से किसी एक के दम पर सफलता नहीं हासिल की जा सकती। इसका उल्टा भी उतना ही सही है। इनमें से किसी एक विधा को छोड़कर भी सफलता नहीं मिल सकती। जहां तक स्विंग गेंदबाजी की बात है तो भारतीय गेंदबाज आज भी इस विधा में सक्षम हैं।