शिखर धवन को रास आएंगी अफ्रीका की पिचें

Webdunia
मंगलवार, 2 अप्रैल 2013 (00:21 IST)
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नई दिल्ली। भारतीय बल्लेबाज शिखर धवन का मानना है कि दक्षिण अफ्रीका की उछालभरी पिचें उनकी शैली के अनुकूल होंगी, लेकिन वे फिर भी साल के अंत में भारतीय टीम के इस दौरे से पहले सामंजस्य बिठाने के लिए अपनी बल्लेबाजी पर काम करेंगे।

धवन ने कहा, दक्षिण अफ्रीकी हालातों में प्रदर्शन करना निश्चित रूप से एक बड़ी चुनौती होगी, लेकिन मैं इस चुनौती का लुत्फ उठाऊंगा। मुझे हमेशा ही ऐसी पिचें पसंद हैं जिन पर उछाल होती है। मुझे तेज गेंदबाजों का सामना करना अच्छा लगता है। बल्कि गेंदबाजों की रफ्तार जितनी ज्यादा होगी, उतना ही अच्छा है।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ पदार्पण मैच में 187 रन की शानदार पारी खेलने वाले 27 वर्षीय धवन को लगता है कि दक्षिण अफ्रीका दौरे की तैयारी के लिए अब भी कुछ समय बचा है।

धवन अंगुली में फ्रैक्चर के कारण आईपीएल के शुरूआती मैचों में नहीं खेल पाएंगे। उन्होंने कहा, यह दौरा नवंबर के अंत में है, इसलिए अब भी कुछ समय बचा है और काफी क्रिकेट खेला जाना है, लेकिन हमें निश्चित रूप से श्रृंखला के लिए अच्छी तरह तैयार होना होगा।

धवन ने कहा, मुझे दक्षिण अफ्रीका की चुनौती के लिए तैयार होने के लिए अपनी विशिष्ट बल्लेबाजी ड्रिल का अभ्यास करना होगा। उन्होंने कहा, मुझे दो हफ्ते के समय में फिट होने और दूसरे दौर से आईपीएल में खेलने की उम्मीद है। अभी मैं टीम से मिलने हैदराबाद आया हूं, लेकिन सोमवार को मैं ऑस्ट्रेलिया रवाना हो रहा हूं।

धवन एकमात्र भारतीय बल्लेबाज हैं जिन्होंने पिछले दो सत्र में डेक्कन चार्जर्स की ओर से खेलते हुए दुनिया के नंबर एक तेज गेंदबाज डेल स्टेन का नेट पर सामना किया है लेकिन उन्हें नहीं लगता कि टेस्ट श्रृंखला में इससे कुछ फर्क पड़ेगा।

दिल्ली के इस सलामी बल्लेबाज ने कहा, हां, मैंने नेट पर डेल की गेंदों का काफी सामना किया है लेकिन जब हम मैच में एक-दूसरे के आमने सामने होंगे तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा। मुझे अच्छा प्रदर्शन करने का भरोसा है लेकिन मैं इससे आगे के बारे में नहीं सोचना चाहता।

सचिन तेंदुलकर ने ‘टेस्ट कैप’ सौंपते हुए उन्हें कहा था, अपना कौशल दिखाओ और जब वे ऑस्ट्रेलियाई आक्रमण का डटकर सामना करके अच्छी पारी खेलने के बाद लौटे तो इस महान क्रिकेटर ने उनकी पीठ थपथपाई।

उन्होंने कहा, सचिन पाजी ने कहा कि ‘हमें तुम पर गर्व है’। इससे बेहतर प्रोत्साहन नहीं हो सकता था। मैं अपने साथी खिलाड़ियों की आंखों में खुशी देख सकता था, जिसने मुझे सचमुच विशेष बनाया। (भाषा)

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