सचिन से नहीं डरते थे शोएब अख्तर

Webdunia
शनिवार, 19 मार्च 2011 (23:09 IST)
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सचिन तेंडुलकर के साथ उनकी मैदानी जंग जगजाहिर है लेकिन पाकिस्तानी तेज गेंदबाज शोएब अख्तर का दावा है कि उन्हें इस चैम्पियन बल्लेबाज से कभी डर नहीं लगा।

शोएब ने कहा कि उन्हें 14 बरस के अपने अंतरराष्ट्रीय करियर में ऑस्ट्रेलियाई विकेटकीपर बल्लेबाज एडम गिलक्रिस्ट और कैरेबियाई बल्लेबाज ब्रायन लारा से डर लगा है।

विश्वकप के बाद अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कहने का ऐलान कर चुके शोएब ने कहा यह सच है, लेकिन इसके यह मायने नहीं है कि मैं सचिन की इज्जत नहीं करता। वह लीजैंड है और रहेंगे। लेकिन उनसे मुझे कभी डर नहीं लगा। गिलक्रिस्ट और लारा से डर लगता था।

उन्होंने ईएसपीएन स्टार डॉट कॉम को दिए इंटरव्यू में कहा क‍ि गिलक्रिस्ट मेरी गेंदों की जबर्दस्त धुनाई करते थे। वहीं लारा का क्लास ही अलग है। मैं उनसे इतना प्रभावित था कि मुझे पता ही नहीं चलता था कि गेंद कहाँ डाली जाए।

मैदान से बाहर भी अपनी हरकतों के कारण विवादों के घेरे में रहे शोएब का मानना है कि यदि उनके दौर में इमरान खान होते तो हालात दीगर होते। उन्होंने कहा कि इमरान पितातुल्य हैं। मुझे उनकी कमी बहुत खलती है। यदि वह खेल रहे होते तो मैं बेहतर गेंदबाज और इंसान होता।

पीसीबी के साथ अक्सर होने वाले विवादों के बारे में शोएब ने कहा कि व्यवस्था ने उन्हें व्यवस्था विरोधी बना दिया। उन्होंने कहा कि व्यवस्था ने मुझे व्यवस्था के खिलाफ कर दिया। जब से मैंने क्रिकेट खेलना शुरू किया, मुझे यही कहा गया कि मैं अच्छा नहीं हूँ। क्लब स्तर पर, राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मुझे यही जतलाया जाता रहा। इससे मेरी दृढता बढ़ती गई।

उन्होंने कहा कि मैं व्यवस्था के विपरीत दिशा में रहा लेकिन मैने फख्र के साथ क्रिकेट खेली। कोई यह नहीं कह सकता कि पाकिस्तान के लिए खेलते समय मैने कोई समझौता किया। क्या कभी मैच फिक्सिंग में मेरा नाम आया?

फिटनेस समस्याओं से जूझते आए इस तेज गेंदबाज ने कहा कि ऐसा भी दौर था जब मेरे घुटनों में पाँच-पाँच इंजेक्शन लगते थे। मैं दर्द से कराहता था क्योंकि मेरे घुटने तरबूज की तरह फूल जाते थे लेकिन अगले दिन मैं 150 किमी की रफ्तार से गेंदबाजी करता था। यही शोएब अख्तर है।

शोएब ने कहा मेरे भीतर दो शोएब अख्तर हैं। एक कहता है कि क्रिकेट छोड़ दो जबकि दूसरा कहता है कि विपरीत हालात का डटकर सामना करो। हमेशा दूसरा ही जीतता है और यही वजह है कि मैं विश्वकप खेल रहा हूँ।

जज्बाती लहजे में उन्होंने कहा मैं खालीपन और गम से जूझता रहा हूँ। 20 साल तक मैंने खेलने के लिए लड़ाई लड़ी। मैं चोटों से लड़ा और बहुत सारी चीजों से लड़ा। अब मैं उस चीज को छोड़ रहा हूँ, जिससे मुझे बेपनाह मुहब्बत है। बहुत तकलीफ होती है।

अपने आदर्श इमरान की तरह वह भी अस्पताल बनाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि मैं इस्लामाबाद में अस्पताल बनाना चाहता हूँ। मैं उसकी पहली ईंट रखूँगा और अल्लाह आगे मदद करेंगे। अब मेरी असल जिंदगी शुरू होगी। मैं आम इंसान के तौर पर अपनी छाप छोड़ना चाहता हूँ। (भाषा)

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