म्युनिख: बर्फ और बीयर का बिंदास शहर

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जर्मनी के बावारिया सूबे की राजधानी है म्युनिख। इसे लोग जर्मनी की सीक्रेट यानी गुप्त राजधानी भी कहते हैं। लोकप्रियता में म्युनिख बर्लिन को टक्कर देता है। म्युनिख एक गाँव भी लगता है और एक शहर भी और एकदम आला दर्जे का।

ठीक यूरोप के दिल पर बसे इस शहर इतनी रफ्तार से विकसित हुआ कि इसने एक समय के अपने ताकतवर पड़ोसियों इनगोलश्टाड्ट, आउसबुर्ग और न्युरेमबर्ग को पीछे छोड़ दक्षिणी जर्मनी के प्रमुख महानगर का दर्जा हासिल कर लिया। अपने जीवंत वैविध्यपूर्ण और कोस्मोपोलिटन चरित्र, शानदार इमारतों, संग्रहालय और दुकानों की बदौलत म्युनिख जर्मनी के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में एक है।

लाखों लोगों का गाँव : बर्लिन और म्युनिख की अगर तुलना की जाए तो बर्लिन जहाँ विशाल, जंगली, केओटिक और शोरगुल भरा है और साथ में प्रेरणास्पद और खोजपरक भी है वहीं म्युनिख ठीक उसका उलटा है। छोटा और खामोश। ज्यादा तरतीबी और सुगठित, लेकिन साथ ही पुरातनपंथी और बिसरा हुआ-सा, इसीलिए कुछ लोग शहर को एक गाँव भी कहते रहे हैं। ऐसा गाँव जहाँ लाखों लोग हैं।

बावारिया और बीयर : बावारिया असल में प्रांत का नाम है और म्युनिख इसकी राजधानी है। गाँव जैसा चरित्र होने के अपने फायदे भी हैं। म्युनिख में वो सब कुछ है जो एक आधुनिक शहर को खुशनुमा बनाता है। कई आम चौराहें और सुंदर बाग बागीचे, गोथिक और नई क्लासिक शैली की इमारतें और एक से बढ़कर एक संग्रहालय, थियेटर, कंसर्ट हॉल और शॉपिंग बाजार।

म्युनिख का श्वाबिंग कस्बा अपने सड़क किनारे के कैफे, बार, किताब घरों और कापियों की दुकानों के लिए मशहूर है। म्युनिख हरा भरा भी है। शहर के मशहूर पार्कों में इत्जार नदी के तट पर बना इंग्लिश गार्डन है। म्युनिख में लोकप्रिय 80 बीयर गार्डन हैं जहाँ गर्मियों में लोग पूरी मस्ती और पूरे जलवे के साथ बावरिया की विख्यात बीयर के लंबे घूंट भरते हैं।

कारें और तकनीकी : म्युनिख महज रोचक टूरिस्ट गाह नहीं है। ये एक फलता-फूलता आर्थिक पावर हाउस भी है। बावरिया के कार निर्माता बीएमडब्लू, इलेक्ट्रॉनिक्स का दिग्गज सीमेंस और डाएमलेर-क्राइसलर एयरोस्पेस सब्सिडियरी, डीएएसए जैसे प्रतिष्ठानों के मुख्यालय म्युनिख में हैं। प्रांतीय सरकार ने हाईटेक कंपनियों और शोध परियोजनाओं को शहर में लाने की भारी मशक्कत की है। खासकर जैव तकनीकी और सूचना प्रौद्योगिकी के लिए शहर के दरवाजे खुले हुए हैं।

अध्ययन और शोध : और ये भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं कि म्युनिख उच्च शिक्षा का झंडाबरदार भी है। करीब एक लाख छात्र शहर के दस विश्वविद्यालयों में नामांकित हैं। प्रसिद्ध शोध संस्थाओं, माक्स प्लांक सोसायटी और फ्राउनहोफर सोसायटी के मुख्य दफ्तर म्युनिख में ही हैं।

दूसरे विश्व युद्ध के दौरान, म्युनिख के दो छात्र हिटलर के खिलाफ एक प्रतिरोधी संगठन खड़ा करने के लिए याद किए जाते हैं। उनके उदाहरण से समझा जा सकता है कि यहाँ नात्सियों को खामोशी से स्वीकार नहीं किया गया था।

सोफी शॉल और उनके भाई हांस ने हिटलर के खिलाफ 'वाइजे रोजे' यानी 'सफेद गुलाब' नाम से प्रतिरोध का आंदोलन छेड़ा था। इस आंदोलन की भनक नात्सी हुकूमत को लग गयी, इसके कार्यकर्ताओं को जेल में ठूँस दिया गया और हांस और सोफी को 1943 में फाँसी दे दी गई, लेकिन अब भी म्युनिख अपने दो दिलेर छात्रों की कुरबानी और साहस को नहीं भूला है।

कला का म्युनिख : म्युनिख के निवासी शताब्दियों से अपने कला प्रेम के लिए जाने जाते रहे हैं। बारोक्यू काल और रोकोको काल में यहाँ जो कला कृतियाँ बनी थीं उनकी तुलना इतालवी और फ्रांसीसी काम से की जाती है। नव क्लासिकी शैली में हुए विकास और निर्माण कार्यों ने म्युनिख को एक अलग ही नाम दे दिया- एथेंस ऑन इत्जार। यानी इत्जार नदी का एथेंस शहर। शहर के लुडविगस्ट्रास या क्योनिंगप्लात्ज से आप गुजरे तो आपको इस नाम के पीछे छिपा मर्म समझ आ जाएगा। आप ग्लीपिटोथेक भी जा सकते हैं जहाँ चित्रकार लुडविग प्रथम के यूनानी और रोमन मूर्तिशिल्प का संग्रह रखा हुआ है। 19वीं सदी के आखिर में म्युनिख एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स को यूरोप के आला कला स्कूलों में गिना जाता था। दुनिया के चोटी के थियेटर, ऑपेरा हाउस और संग्रहालय म्युनिख में हैं।

म्युनिख के मेले यानी जीवन संगीत : म्युनिख की खूबियाँ सिर्फ कला तक सीमित नहीं हैं। जर्मनी का सबसे बड़ा लोक महोत्सव ओक्टोबरफेस्ट हर साल म्युनिख में ही अपनी शान बिखेरता है। शानदार दुकानें पेरिस और मिलान के बाजारों का मुकाबला करती हैं। सामान की गुणवत्ता में भी और अपनी कीमतों में भी। म्युनिख में कई टीवी स्टेशन और फिल्म स्टुडियो हैं। तीन सौ के करीब पुस्तक प्रकाशनों और अखबारों के मुख्य दफ्तर म्युनिख में हैं।

म्युनिख एक मोहकता भरा शहर है। जीवंत और उद्दाम शहर। म्युनिख जैसे एक खोज का मोह है। अगर आप किसी शहर में जाएँ और उसका अर्थ खोज लें तो ये आपकी कामयाबी है। उस शहर की भी ये जीत है। म्युनिख ऐसा ही विजयी लेकिन विनम्र शहर है।

- शिव प्रसाद जोशी

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