कोरोना और उस पर डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया की जांच को लेकर यूरोपीय देश और ऑस्ट्रेलिया समर्थन जुटा रहे हैं ताकि 'निष्पक्ष और स्वतंत्र समीक्षा' हो पाए। अब जांच को लेकर मसौदा प्रस्ताव विश्व स्वास्थ्य सभा में पेश किया जाएगा।
दुनिया के 210 देश इस वक्त कोरोना वायरस महामारी की मार झेल रहे हैं। वैक्सीन की गैरमौजूदगी में यह वायरस हर रोज हजारों लोगों की जान ले रहा है। सोमवार 18 मई की सुबह तक इस बीमारी के कारण दुनियाभर में 3,15,191 लोगों की मौत हो गई और 47,14,240 लोग इससे संक्रमित हैं। भारत में भी अब तक 96,169 कोरोना पॉजिटिव केस सामने आ चुके हैं और सोमवार की सुबह तक 3,029 लोगों की मौत हो चुकी है।
इस बीच सोमवार 18 मई से शुरू होने वाली 2 दिवसीय 73वें विश्व स्वास्थ्य सभा से पहले भारत समेत 62 देशों ने एक मसौदा प्रस्ताव पेश किया है। इस प्रस्ताव में कोविड-19 महामारी को लेकर डब्ल्यूएचओ की प्रतिक्रिया की स्वतंत्र जांच कराने का आग्रह किया गया है। इस मसौदा प्रस्ताव को विश्व स्वास्थ्य सभा में अनुमोदन के लिए रखा जाएगा। इस प्रस्ताव का समर्थन भारत भी कर रहा है और कोरोना वायरस के फैलने को लेकर भारत ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रुख पेश किया है।
इस मसौदे में कोरोना संकट की 'निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक' जांच की मांग की गई है, इसके अलावा डब्ल्यूएचओ के कार्यों की जांच और कोविड-19 महामारी से जुड़ी उसकी समयसीमा की भी जांच की मांग की गई है। ड्राफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक सही समय पर और सदस्य देशों से सलाह करने के बाद निष्पक्ष, स्वतंत्र और व्यापक मूल्यांकन की एक चरणबद्ध प्रक्रिया शुरू हो जिसमें मौजूदा प्रणाली का इस्तेमाल शामिल हो। कोविड-19 के लिए डब्ल्यूएचओ समन्वय अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रतिक्रिया से सीखे गए अनुभवों और प्राप्त सबक की समीक्षा होनी चाहिए।
पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया ने कोरोना वायरस फैलने को लेकर स्वतंत्र जांच की मांग करने वाला पहला देश बना था। हालांकि चीन और अमेरिका इस प्रस्ताव में शामिल नहीं है। प्रस्ताव 7 पन्नों के मसौदे का हिस्सा है जिसे 35 देशों और 27 सदस्यीय यूरोपीय संघ ने पेश किया है। ईयू समर्थित इस मसौदे को जापान, ब्रिटेन, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया ब्राजील और कनाडा का समर्थन हासिल है। उम्मीद है कि इस प्रस्ताव पर सोमवार को सभा में चर्चा होगी।