Ramcharitmanas

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

भारत में राजनीतिक दलों को कौन देता है चंदा

Advertiesment
हमें फॉलो करें Political Parties

वेबदुनिया न्यूज डेस्क

, गुरुवार, 10 अप्रैल 2025 (07:57 IST)
आमिर अंसारी
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने राजनीतिक दलों को मिले डोनेशन का विश्लेषण किया और पाया कि राष्ट्रीय दलों द्वारा घोषित कुल दान 2,544.278 करोड़ था, जिसमें से 2,243 करोड़ अकेले बीजेपी द्वारा घोषित किया गया।
 
एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक वित्त वर्ष 2023-24 में चुनावी चंदे में सबसे ज्यादा लाभ पाने वाली पार्टी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) रही। बीजेपी की डोनेशन की संख्या 8,358 थी, जिससे उसे 2243 करोड़ रुपये का कुल चंदा मिला। एडीआर की रिपोर्ट से पता चलता है कि कांग्रेस 1994 चंदों से 281.48 करोड़ रुपये के साथ दूसरे स्थान पर रही।
 
7 अप्रैल को जारी एडीआर रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को मिले 20,000 रुपये से अधिक के दान पर चुनाव आयोग के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।
 
विश्लेषण में सिर्फ 20,000 रुपये से अधिक के चंदे पर विचार किया गया है, क्योंकि चंदा देने वाला चाहे वे व्यक्तिगत हों या कॉर्पोरेट जो किसी भी राजनीतिक दल को एक बार में 20,000 रुपये से कम का चंदा देते हैं, उन्हें अपना विवरण देने की जरूरत नहीं है और उनके चंदे को अज्ञात आय के रूप में बताया जाता है।
 
बीजेपी को मिलने वाला चंदा बढ़ा
बीजेपी को मिलने वाला चंदा वित्त वर्ष 2022-23 में 719.858 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 2,243.947 करोड़ हो गया, जो 211.72 प्रतिशत की वृद्धि है। इसी तरह कांग्रेस को मिलने वाला डोनेशन वित्त वर्ष 2022-23 में 79.924 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 2023-24 में 281.48 करोड़ हो गया, यह 252.18 प्रतिशत की वृद्धि है।
 
बीजेपी द्वारा घोषित दान, इसी अवधि के लिए कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (आप), नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीईपी) और सीपीआई (एम) द्वारा घोषित कुल दान से छह गुना अधिक है।
 
पिछले वित्त वर्ष की तुलना में आप द्वारा घोषित दान में 70.18 प्रतिशत या 26.038 करोड़ रुपये की कमी आई, जबकि एनपीईपी द्वारा घोषित दान में 98।02 प्रतिशत या 7.331 करोड़ रुपये की कमी आई।
 
राजनीतिक दलों को कॉरपोरेट चंदे
एडीआर की रिपोर्ट में बताया गया है कि राष्ट्रीय दलों को अधिकतम चंदा (3,755) कॉरपोरेट/कारोबारी क्षेत्रों द्वारा दिया गया, जिसकी राशि 2262.5 करोड़ रुपये है और यह कुल चंदे का 88.90 फीसदी थी।
 
कुल कॉरपोरेट चंदे में से सबसे ज्यादा दान बीजेपी को मिला। रिपोर्ट से पता चला है कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान बीजेपी को कॉरपोरेट/कारोबारी क्षेत्रों से 3,478 चंदे के रूप में 2064.58 करोड़ रुपये, जबकि 4,628 व्यक्तिगत दानकर्ताओं ने पार्टी को 169.126 करोड़ का चंदा दिया।
 
वहीं कांग्रेस को वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कॉरपोरेट/कारोबारी क्षेत्रों से कुल 190.3 करोड़ का चंदा और 1,882 व्यक्तिगत दाताओं के जरिए 90.899 करोड़ रुपये का चंदा मिला।
 
एडीआर ने अपनी रिपोर्ट में राष्ट्रीय राजनीतिक दलों को चंदा देने वाले शीर्ष 10 दानकर्ताओं की सूची भी जारी की है। जिनमें प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट सबसे ऊपर है। प्रूडेंट इलेक्टोरल ट्रस्ट ने बीजेपी और कांग्रेस को मिलाकर 880 करोड़ रुपये का चंदा दिया। ट्रस्ट ने बीजेपी को 723.6 करोड़ रुपये (पार्टी को मिले कुल फंड का 32.25%) और कांग्रेस को 156.4 करोड़ रुपये (पार्टी को मिले कुल फंड का 55.56%) दान किए। दूसरे नंबर पर ट्रायंफ इलेक्टोरल ट्रस्ट है, जिसने बीजेपी को 127.50 करोड़ रुपये का दान दिया।
 
चंदा देने को लेकर क्या कहते हैं नियम
भारत में राजनीतिक दलों की फंडिंग को लेकर समय-समय पर चुनाव आयोग और सुप्रीम कोर्ट ने कई निर्देश दिए हैं। साल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसले में कहा था उम्मीदवार के हलफनामे का कोई भी हिस्सा खाली नहीं छोड़ा जाना चाहिए, हलफनामे में उम्मीदवार की आमदनी, कर्ज और कोर्ट में चल रहे मुकदमे शामिल होते हैं।
 
इसी तरह अगर राजनीतिक दलों को 20,000 रुपये या उससे अधिक का चंदा मिलता है, तो उन्हें जमा किए गए फॉर्म 24ए में कोई भी भाग खाली छोड़े बिना विवरण देना चाहिए। 20,000 रुपये या उससे अधिक का दान देने वालों को अपने पैन कार्ड का डिटेल्स देना जरूरी है। नियम यह भी है कि 20,000 रुपये से कम के दान की जानकारी देना भी जरूरी है।
 
चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक राजनीतिक फंडिंग में पारदर्शिता बढ़ाने के लिए कॉरपोरेट घरानों को अपने राजनीतिक डोनेशन का विवरण अपनी वेबसाइटों पर हर साल प्रकाशित करना होगा।
 
एडीआर का कहना है कि चुनाव आयोग को अपनी वेबसाइट पर उन राजनीतिक दलों के खिलाफ उठाए गए कदमों की जानकारी सार्वजनिक करनी चाहिए, जो चंदा देने वालों के नाम, पते, पैन और भुगतान के तरीके जैसी जरूरी जानकारी देने में विफल रहते हैं।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

क्या होम्योपैथी वाली दवाओं की शक्ति समय के साथ घट जाती है?