एक जर्मन लड़की की हत्या के जुर्म में एक जर्मन शरणार्थी को साढ़े आठ साल कैद की सजा सुनाई गई है। इस मामले ने जर्मनी में सरकार की शरणार्थी नीति पर जारी बहस को तेज कर दिया था।
जर्मनी के दक्षिण पश्चिमी शहर लिंडाऊ में सोमवार को अदालत ने अब्दुल डी नाम के शरणार्थी को सजा सुनाई। यह मामला कंडेल शहर में पिछले साल हुई एक किशोरी की हत्या से जुड़ा था। इस मामले से जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की शरणार्थी नीति का विरोध करने वाले को उन पर हमला करने का एक और मौका मिला था।
मारी गई लड़की 15 साल की थी जिसका नाम मिया वी था। यह अफगान शरणार्थी उसका पूर्व बॉयफ्रेंड था। लड़की की चाकू से हत्या की गई थी। अभियोजकों का कहना है कि दोनों के बीच प्रेम संबंध कई महीनों तक चला। 2017 दिसंबर में लड़की ने अफगान लड़के से अलग होने का फैसला किया। ब्रेक के बाद मिया और माता पिता पुलिस में भी गए कि अब्दुल लड़की को तंग कर रहा है। अभियोजकों का कहना है कि अफगान शरणार्थी ने ब्रेक अप का बदला लेने के लिए मिया की हत्या की।
अब्दुल 2016 में जर्मनी आया और उसे एक ऐसे नाबालिग के तौर पर रजिस्टर किया गया जिसके साथ कोई नहीं है। अधिकारियों का मानना है कि हमले के वक्त अब्दुल नाबालिग था इसलिए उसके खिलाफ मुकदमा नाबालिग समझ कर ही चलाया गया। जर्मनी के जुवेलाइल कानून के मुताबिक हत्या की अधिकतम सजा 10 साल है।
हालांकि अभियोजकों ने अब्दुल की उम्र को लेकर संदेह जताया है। उसका कहना है कि हमले के वक्त वह 15 साल का था लेकिन एक मेडिकल जांच में उसकी उम्र 17 से 20 साल के बीच होने का अनुमान जताया गया है। अब्दुल के वकील ने इस बात से इनकार किया है कि उसकी उम्र 20 साल से ज्यादा है।
इसी तरह की घटना पिछले दिनों जर्मन शहर खेमनित्स में भी देखने को मिली है जहां एक जर्मन व्यक्ति की चाकू घोंप कर हत्या कर दी गई। इस हत्या के आरोप में एक सीरियाई और एक इराकी व्यक्ति को पुलिस ने हिरासत में लिया है। इस घटना के बाद खेमनित्स में भी शरणार्थियों के खिलाफ प्रदर्शन हुए। हालांकि दक्षिणपंथियों का विरोध करने भी लोग सड़कों पर उतरे।
रिपोर्ट रेबेका श्टाउडेनमायर