हत्या के आरोपियों और पीड़ित का धर्म अलग-अलग होने के चलते इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश भी हो रही है।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में एक ढाई साल की बच्ची की अमानवीय तरीके से हत्या की गई। पुलिस के मुताबकि बच्ची की हत्या की वजह पैसों के लेन देन के चलते हुई निजी दुश्मनी थी। पहले आशंका जताई गई थी कि बच्ची से रेप के बाद उसकी हत्या की गई। अलीगढ़ पुलिस ने पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के हवाले से रेप से इनकार किया है।
दस हजार रुपए का झगड़ा
यह मामला अलीगढ़ के टप्पल थाना क्षेत्र का है। इंडिया टुडे की खबर के मुताबिक बच्ची के पिता प्लंबर का काम करते हैं। वहीं दोनों आरोपी जाहिद और असलम मिस्त्री का काम करते हैं। बच्ची के पिता ने आरोपियों से 40,000 रुपये उधार लिए थे। बच्ची के पिता ने 30,000 रुपये लौटा दिए। बचे हुए 10,000 रुपयों को लेकर विवाद हो गया। विवाद के दौरान हुई कहासुनी में दोनों पक्षों ने एक दूसरे को धमकी दी। यूपी पुलिस का दावा है कि बदला लेने के लिए ही बच्ची की हत्या की गई।
पुलिस रिपोर्ट के मुताबिक टप्पल क्षेत्र के बूढ़ा गांव में 31 मई को घर के बाहर खेल रही बच्ची गायब हो गई। परिजनों ने पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई। पुलिस ने छानबीन शुरू की। 2 जून को कचरे के ढेर में बच्ची का शव मिला। शव को कुत्ते खा रहे थे तभी किसी स्थानीय नागरिक की उस पर नजर पड़ी।
पुलिस एसपी आकाश कुलहरी के मुताबिक पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से पता चला है कि बच्ची की हत्या गला दबाकर की गई। बच्ची का रेप नहीं हुआ था। पुलिस ने शक के आधार पर आरोपियों का पता लगाया। 4 जून को दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। आरोपियों के ऊपर राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत भी मुकदमा दर्ज किया है। मुकदमा फास्ट ट्रैक कोर्ट में चलेगा।
इस हत्या में आरोपी और पीड़ित का धर्म अलग-अलग होने की वजह से इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश भी की जा रही है। पुलिस इलाके में सांप्रदायिक तनाव को कम करने पर भी काम कर रही है। पुलिस विभाग ने एक इंस्पेक्टर समेत पांच पुलिसकर्मियों को निलंबित भी किया है।
सोशल मीडिया पर लोगों का गुस्सा
भारत में ट्विटर पर पीड़ित बच्ची के समर्थन में हैशटैग और Aligarh ट्रेंड कर रहा है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी, प्रियंका गांधी वाड्रा समेत कई नेताओं ने भी इस घटना पर अपनी चिंता जाहिर की है। अलीगढ़ पुलिस सोशल मीडिया पर चल रहीं अफवाहों पर अपनी प्रतिक्रिया दे रही है। और इस मामले को सांप्रदायिक रंग देने से बचाने की कोशिश कर रही है।
भारत में बच्चों के खिलाफ अपराध
बच्चों के लिए काम करने वाले संगठन चाइल्ड राइट्स एंड यू ने नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के डाटा से बताया है कि भारत में बच्चों के खिलाफ होने वाले अपराधों में बढ़ोत्तरी हुई है। 2016 तक उपलब्ध डाटा के मुताबिक 2006 से 2016 के बीच बच्चों के खिलाफ अपराधों में 500 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई।
2006 में ऐसे 18,967 मामले दर्ज किए गए थे वहीं साल 2016 में यह संख्या 1,06,958 पहुंच गई। इनमें 50 प्रतिशत से भी अधिक मामले उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल और दिल्ली में सामने आए। सबसे ज्यादा मामले अपहरण और बलात्कार के हैं। 2016 में दर्ज हुए सभी मामलों में 49.9 प्रतिशत यानी 52,253 मामले अपहरण के थे। बच्चों से बलात्कार के 18 फीसदी मामले थे।