अमेरिका के राष्ट्रीय श्रम बोर्ड ने अमेजॉन के खिलाफ 2 मुखर कर्मचारियों को अवैध रूप से निकाल दिए जाने के आरोपों की पुष्टि की है। दोनों कर्मचारियों ने कंपनी की नीतियों की आलोचना की थी। एमिली कन्निंघम और मारेन कोस्टा अमेजॉन के सिएटल स्थित दफ्तर में काम करते थे और उन्होंने सार्वजनिक रूप से कंपनियों की कुछ नीतियों की आलोचना की थी। उन्होंने कंपनी को जलवायु परिवर्तन पर अपने असर को कम करने के लिए और कंपनी के गोदामों में काम करने वाले मजदूरों को कोरोनावायरस से बचाने के लिए और बेहतर कदम उठाने के लिए कहा था।
राष्ट्रीय श्रम बोर्ड को पता चला है कि दोनों को पिछले साल गैरकानूनी तरीके से नौकरी से निकाल दिया गया। कन्निंघम ने बोर्ड से मिली एक ई-मेल साझा की है जिसमें उसने इस बात की पुष्टि की है कि कंपनी ने दोनों कर्मचारियों के अधिकारों का उल्लंघन किया था। बोर्ड ने खुद भी कहा है कि मामला महत्वपूर्ण है और अगर अमेजॉन ने इसका समाधान नहीं किया तो उसके खिलाफ शिकायत दर्ज कर ली जाएगी। शिकायत दर्ज होने के बाद सुनवाई भी शुरू हो सकती है।
इस खबर को सबसे पहले 'न्यूयॉर्क टाइम्स' ने छापा था। अमेजॉन ने एक बयान में कहा कि वो प्राथमिक जांच के नतीजों से सहमत नहीं है और कर्मचारियों को बार-बार आंतरिक नियमों का उल्लंघन करने के लिए निकाला गया था। कंपनी ने कहा कि हम कंपनी की नीतियों की आलोचना करने के हर कर्मचारी के अधिकार का समर्थन करते हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कर्मचारियों को हमारी आंतरिक नीतियों का उल्लंघन करने की छूट मिल जाती है। हमारी सभी नीतियां कानून की नजर में वैध हैं।
कन्निंघम ने कहा कि बोर्ड का फैसला यह साबित करता है कि वो इतिहास के सही तरफ थे। उन्होंने कहा कि अमेजॉन ने हमारी आवाज दबाने की कोशिश की लेकिन वह इसमें सफल नहीं हो पाई। इस फैसले के बाद अमेजॉन को मजबूरन दोनों कर्मचारियों को उनकी नौकरी वापस, इस पूरे अंतराल का वेतन और नौकरी जाने से संबंधित खर्चों का हर्जाना देना पड़ सकता है।
दोनों कर्मचारी अमेजॉन में यूजर एक्सपीरियंस डिजाइनर थे और कर्मचारियों के समूह के सबसे मुखर सदस्यों में से थे। यह समूह चाहता था कि विशाल कार्बन फुटप्रिंट वाली यह कंपनी जलवायु परिवर्तन के खिलाफ और कदम उठाए और तेल और गैस कंपनियों के साथ व्यापार बंद कर दे। उन्होंने प्रदर्शन आयोजित किए और अपनी चिंताओं के बारे में मीडिया से भी बातचीत की।
करीब 1 साल पहले कन्निंघम और कोस्टा ने अमेजॉन के गोदामों में काम करने वाले और दफ्तर में काम करने वाले कर्मचारियों के बीच एक कॉल की योजना बनाई थी। योजना थी कि कॉल पर गोदामों में असुरक्षित हालात पर बातचीत की जाएगी। लेकिन इससे पहले कि वो कॉल कर पाते, दोनों को कंपनी से निकाल दिया गया। इसके बाद एक और कर्मचारी ने विरोध में इस्तीफा दे दिया, यह कहते हुए कि आवाज उठाने वालों को शांत किया जा रहा है और ऐसे में वो चुपचाप खड़ा नहीं रह सकता है। अमेजॉन के अपने कर्मचारियों के प्रति बर्ताव को लेकर आजकल काफी चर्चा है।
इस समय अलाबामा स्थित कंपनी के एक गोदाम में हाल ही में हुए मतदान के मत गिने जा रहे हैं। मतदान यह जानने के लिए हुआ था कि गोदाम के कर्मचारी एक यूनियन में शामिल होना चाहते हैं या नहीं? आयोजक चाहते हैं कि अमेजॉन अपने कर्मचारियों का वेतन बढ़ाए, उन्हें काम के बीच में ब्रेक लेने के लिए और समय दे और उनके साथ और ज्यादा इज्जत से पेश आए।
पिछले साल अमेजॉन ने क्रिश्चियन स्मॉल्स नाम के एक और कर्मचारी को नौकरी से निकाल दिया था जिसने न्यूयॉर्क में कंपनी के एक गोदाम में एक विरोध प्रदर्शन आयोजित किया था। उसकी भी मांग यही थी कि कंपनी अपने कर्मचारियों को कोरोनावायरस से बचाने के लिए और कदम उठाए। अमेजॉन ने कहा था कि उसे सामाजिक दूरी के नियमों का उल्लंघन करने पर निकाला गया था।
न्यूयॉर्क के अटॉर्नी जनरल ने कंपनी के खिलाफ कर्मचारियों को महामारी के दौरान पर्याप्त रूप से सुरक्षित नहीं रखने पर मामला दर्ज किया है। अटॉर्नी जनरल का आरोप है कि लोगों को इसलिए नौकरी से निकाला गया ताकि दूसरे कर्मचारियों की आवाज दबाई जा सके।