अमेरिका ने फिर भारत-चीन सीमा गतिरोध पर चिंता जाहिर की

DW
गुरुवार, 4 जून 2020 (08:48 IST)
अमेरिकी संसद की विदेशी मामलों की समीति ने कहा है कि वो भारत के खिलाफ चीन के आक्रामक रवैये को लेकर बहुत चिंतित है और वो चीन से बातचीत के जरिए इस गतिरोध का समाधान खोजने की अपील करती है।

लदाख में भारत और चीन के बीच की विवादित सीमा पर दोनों देशों की सेनाओं के बीच चल रहे गतिरोध पर अमेरिका बार-बार अपनी चिंता जता रहा है। पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दोनों देशों के बीच मध्यस्थता करने का प्रस्ताव रखा था। फिर विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा कि चीन ने अपने सैनिकों के वास्तविक नियंत्रण रेखा के पास उत्तरी भारत के अंदर भेज दिया है और ये इस तरह का कदम है जिसे कोई तानाशाह ही उठाएगा।

अब अमेरिकी संसद की एक समिति ने भी इस गतिरोध का संज्ञान लिया है। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स की विदेशी मामलों की समिति ने कहा है कि वह भारत के खिलाफ चीन के आक्रामक रवैये को लेकर बहुत चिंतित है और वह चीन से बातचीत के जरिए इस गतिरोध का समाधान खोजने की अपील करती है। समिति के अध्यक्ष एलियट एंगेल ने कहा कि मैं बहुत चिंतित हूं। चीन एक बार फिर दिखा रहा है कि वह मतभेदों को अंतरराष्ट्रीय कानून से सुलझाने की जगह अपने पड़ोसी देशों को धौंस दिखाने में विश्वास रखता है।

उन्होंने यह भी कहा कि वे इस बात का जोर देकर समर्थन करेंगे कि चीन आदर्शों की इज्जत करे और भारत के साथ अपने सीमा विवाद का समाधान कूटनीति और अन्य उपलब्ध तरीकों के जरिए खोजे। दोनों देशों की सेनाओं के बीच सीमा पर 5 मई से तनातनी चल रही है। शुरू में दोनों तरफ के सिपाहियों के बीच हाथापाई भी हुई थी। दोनों देशों के सैन्य कमांडरों के बीच लगातार बातचीत भी चल रही है, लेकिन मीडिया में आई कुछ खबरों के मुताबिक इनसे कुछ हासिल नहीं हो पाया है और अब बातचीत बीजिंग में कूटनीतिक स्तर पर हो रही है।

भारत सरकार मान रही है कि स्थिति चिंताजनक है। बीजेपी के महासचिव राम माधव ने मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में माना है कि सीमा पर जो हो रहा है, वह चिंताजनक है, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि दोनों देशों के बीच बातचीत चल रही है।

इसी बीच कई जानकारों का कहना है कि इस बार गतिरोध पिछले किसी भी प्रकरण के जैसा नहीं है। रक्षा मामलों के विशेषज्ञ अजय शुक्ला का कहना है कि चीन की सेना वास्तविक नियंत्रण रेखा पार कर भारत के इलाके में काफी अंदर तक आ गई है। हालांकि भारत सरकार ने वास्तविक स्थिति पर अभी तक कोई विस्तृत वक्तव्य नहीं दिया है।
रिपोर्ट : चारु कार्तिकेय

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