वह लड़ाई जिसने अरब दुनिया में इसराइल की धाक जमा दी

Webdunia
गुरुवार, 1 जून 2017 (10:48 IST)
वर्ष 1967 में हुआ अरब-इसराइल युद्ध बस छह दिन के लिए चला, लेकिन इसने अरब दुनिया में इसराइल को ताकतवर देश के तौर पर स्थापित किया। आइए जानते हैं इस युद्ध से जुड़ी कुछ अहम बातें।
 
कब हुआ युद्ध
अरब-इसराइल युद्ध 5 जून 1967 को शुरू हुआ। सवेरे सवेरे इसराइली विमानों ने काहिरा के नजदीक और स्वेज के रेगिस्तान में स्थित मिस्र के हवाई सैन्य अड्डों पर बम बरसाये। चंद घंटों के भीतर मिस्र के लगभग सभी विमान धराशायी हो चुके थे। वायुक्षेत्र पर नियंत्रण कर इसराइल ने लगभग पहले दिन ही इस लड़ाई को जीत लिया था।
 
कैसे छिड़ा युद्ध
स्थानीय समय के अनुसार तेल अवीव से सवेरे 7।24 बजे खबर आयी कि मिस्र के विमानों और टैंकों ने इसराइल पर हमला कर दिया है। इसराइल के दक्षिणी हिस्से में भारी लड़ाई की रिपोर्टें मिलने लगीं। लेकिन आज बहुत से इतिहासकार मानते हैं कि लड़ाई की शुरुआत इसराइली वायुसेना की वजह से हुई, जिसके विमान मिस्र के वायुक्षेत्र में घुस गये।
 
मारे गिराए विमान
आधी रात को इसराइल ने कहा कि उसने मिस्र की वायुसेना को तबाह कर दिया है। लड़ाई के पहले ही दिन 400 लड़ाकू विमान मारे गिराये गये। इनमें मिस्र के 300 विमान जबकि सीरिया के 50 विमान शामिल थे। इस तरह लड़ाई के पहले ही दिन इसराइल ने अपनी पकड़ मजबूत बना ली।
 
तबाही और नुकसान
रात को इसराइली संसद नेसेट की बैठक हुई और इसराइली प्रधानमंत्री लेविस एशकोल ने बताया कि सारी लड़ाई मिस्र में और सिनाई प्रायद्वीप में चल रही है। उन्होंने बताया कि मिस्र, जॉर्डन और सीरिया की सेनाओं को गंभीर नुकसान पहुंचाया गया है।
 
खत्म हुई लड़ाई
11 जून को युद्धविराम समझौते पर हस्ताक्षर हुए और लड़ाई खत्म हुई। लेकिन इस जीत से इसराइल ने दुनिया को हैरान कर दिया। इससे जहां इसराइली लोगों का मनोबल बढ़ा, वहीं अंतरराष्ट्रीय जगत में उनकी प्रतिष्ठान में भी इजाफा हुआ। छह दिन में इसराइल की ओर से गए सैनिकों की संख्या जहां एक हजार से कम थी वहीं अरब देशों के लगभग 20 हजार सैनिक मारे गए।
 
इसराइल का दबदबा
लड़ाई के दौरान इसराइल ने मिस्र से गाजा पट्टी और सिनाई प्रायद्वीप, जॉर्डन से वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलेम और सीरिया से गोलन हाइट की पहाड़ियों को छीन लिया था। अब सिनाई प्रायद्वीप मिस्र का हिस्सा है जबकि वेस्ट बैंक और गजा पट्टी फलस्तीनी इलाके हैं, जहां फलस्तीनी राष्ट्र बनाने की मांग बराबर उठ रही है।
(रिपोर्ट: एएफपी/एके)
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