संरक्षणवाद को लेकर चिंता में हैं ब्रिक्स देश

Webdunia
शुक्रवार, 15 नवंबर 2019 (10:26 IST)
उभरती अर्थव्यवस्थाओं के संगठन ब्रिक्स के नेताओं ने राजनीति से प्रेरित संरक्षणवाद को खरी-खोटी सुनाई है। इन नेताओं का कहना है कि संरक्षणवाद के इस चलन को रोकने के लिए जो कुछ भी मुमकिन है, करेंगे।
 
ब्राजील में ब्रिक्स के सालाना सम्मेलन में चीन, रूस, भारत और दक्षिण अफ्रीका के नेता पहुंचे हैं। सम्मेलन में उन्होंने ब्रिक्स देशों के बीच आपसी व्यापार और निवेश को बढ़ाने की बात की। इसके साथ ही समूह के न्यू डेवलपमेंट बैंक से आग्रह किया कि वह टिकाऊ विकास और बुनियादी ढांचे के लिए ज्यादा से ज्यादा धन मुहैया कराए।
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने सम्मेलन के दौरान कहा कि संरक्षणवादी और दबंगई की धारा अंतरराष्ट्रीय कारोबार के लिए झटके पैदा कर रही है। इसके साथ ही जिनपिंग ने यह भी कहा कि इससे दुनिया की अर्थव्यवस्था पर नीचे की ओर जाने का दबाव बन रहा है। चीन बीते कुछ महीनों से अमेरिका के साथ कारोबारी जंग में उलझा है। अमेरिका ने चीन से आने वाली कई चीजों पर टैक्स की दरें बढ़ा दी हैं जिसका जवाब चीन ने भी ऐसे ही कदमों से दिया है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन का भी कहना है कि दुनिया की विकास दर 2018 के बाद से बेरोकटोक नीचे जा रही है। अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष के आंकड़ों के हवाले से उन्होंने कहा कि यह विकास दर 10 सालों में अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच जाएगी। रूसी राष्ट्रपति का कहना है कि ब्रिक्स देश विकास में मदद देने के लिए अहम योगदान दे रहे हैं। वैश्विक अर्थव्यवस्था पर कारोबार में अनुचित होड़ और एकतरफा प्रतिबंध के व्यापक इस्तेमाल का असर हो रहा है। इनमें कुछ राजनीति से भी प्रेरित हैं और संरक्षणवाद फल-फूल रहा है।
 
संरक्षणवाद को लेकर भारत की तरफ भी लोगों की नजरें उठ रही हैं। हाल ही में भारत ने दक्षिण-पूर्वी देशों के मुक्त व्यापार समझौते में शामिल होने से इंकार किया है। ब्रिक्स की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि उनका देश 2024 तक 5 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। 2018 में भारत की अर्थव्यवस्था 2.8 ट्रिलियन डॉलर की थी।
 
उन्होंने कहा कि ब्रिक्स का निवेश और कारोबार के लिए लक्ष्य निश्चित रूप से महत्वाकांक्षी होना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने कारोबारी खर्च घटाने के सुझावों का स्वागत किया।
 
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति से अलग से मुलाकात भी की है। इस मुलाकात में चीनी राष्ट्रपति ने मोदी को चीन आने का निमंत्रण दिया। इससे पहले दोनों नेता एक-दूसरे के देश में 2 अनौपचारिक मुलाकातें कर चुके हैं। कश्मीर को लेकर चीन और भारत एक-दूसरे के रुख की आलोचना करते हैं, हालांकि इस मुलाकात में ऐसी कोई बात नहीं हुई।
 
मुलाकात के बाद शी जिनपिंग ने कहा कि वे करीबी संपर्क बनाए रखना चाहते हैं ताकि चीन-भारत के रिश्तों में बेहतर और स्थायी विकास को दिशा दे सकें। चीनी विदेश मंत्रालय से जारी बयान के मुताबिक जिनपिंग ने कहा कि 2020 बहुत जल्द आ जाएगा और मुझे उम्मीद है कि चीन-भारत का रिश्ता इस नए साल में एक नई मंजिल और बड़े विकास तक पहुंचेगा। मैं अगले साल चीन में एक और मुलाकात के लिए आपका स्वागत करता हूं।
 
ब्राजील पर भरोसा
 
मेजबान ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो का कहना है कि उनका देश अंतरराष्ट्रीय भरोसा हासिल करने की तरफ बढ़ रहा है लेकिन इसके लिए उन्होंने और ज्यादा आर्थिक सुधारों और निवेशकों के लिए ज्यादा आकर्षक कारोबारी माहौल बनाने की बात पर बल दिया। बैठक के अलावा बोल्सोनारो की चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात पर भी दुनिया की नजरें टिकी थीं। दोनों नेताओं ने सम्मेलन से अलग मुलाकात में गर्मजोशी दिखाई।
 
बोल्सोनारो ने उम्मीद जताई कि दोनों देश कारोबारी रिश्ते को न सिर्फ बढ़ाएंगे बल्कि कई और दिशाओं में ले जाएंगे। दोनों नेताओं ने सम्मेलन से पहले परिवहन, सेवाओं और निवेश से जुड़े कई गैरबाध्यकारी समझौतों पर दस्तखत किए।
 
बोल्सोनारो ने कहा कि चीन, ब्राजील के भविष्य का ज्यादा से ज्यादा हिस्सा बनता जा रहा है। राष्ट्रपति बनने से पहले बोल्सोनारो चीन को काफी बुरा-भला कहते रहे हैं, हालांकि 11 महीने सत्ता में रहने के बाद उन्होंने चीन को लेकर अपने रुख में काफी बदलाव किया है।
 
साझा भुगतान तंत्र
 
ब्रिक्स देशों का संगठन विकासशील देशों के बीच आपसी सहयोग को बढ़ाने और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी मौजूदगी को मजबूत करने के इरादे से बनाया गया है। दुनिया की कुल आबादी का 41 फीसदी इन्हें देशों में है। दुनिया के सकल घरेलू उत्पाद में भी इन देशों की हिस्सेदारी करीब 23.2 फीसदी है। 
 
इस बार के सम्मेलन में सदस्य देशों ने एक साझा भुगतान तंत्र बनाने की बात की है। रूस और बाकी सदस्य डॉलर पर अपनी निर्भरता को कम करने के तरीके ढूंढ रहे हैं। इन देशों ने आपसी कारोबार अपने देशों की मुद्रा में करने का प्रस्ताव रखा है।
 
रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष के प्रमुख किरील दिमित्रीव का कहना है कि एक कुशल ब्रिक्स भुगतान तंत्र राष्ट्रीय मुद्राओं में भुगतान को बढ़ावा देगा और हमारे देशों में टिकाऊ भुगतान और निवेश को सुनिश्चित करेगा, जो कुल मिलाकर वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का 20 फीसदी से ज्यादा है।
 
दिमित्रीव ब्रिक्स व्यापार परिषद में शामिल हैं। दिमित्रीव ने यह नहीं बताया कि यह भुगतान तंत्र कैसे काम करेगा? रूस ने 2014 में पश्चिमी देशों के प्रतिबंध लगने के बाद बेल्जियम की स्विफ्ट फाइनेंशिलयल मैसेजिंग सर्विस का विकल्प विकसित करने की शुरुआत कर दी थी।
 
एनआर/एमजे (रॉयटर्स)

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