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क्या कभी कारों की जगह ले सकते हैं पब्लिक ट्रांसपोर्ट?

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, शनिवार, 17 मई 2025 (08:07 IST)
जोनास मायर
रेल और बस सेवाएं बेहतर होने से प्रदूषण कम हो सकता है, हवा स्वच्छ हो सकती है और सड़कों पर भीड़-भाड़ भी कम हो सकती है। हालांकि, सवाल यह है कि क्या ऐसा होने पर भी कार से चलने वाले लोग अपनी आदत बदल पाएंगे?
 
इंडोनेशिया की राजधानी जकार्ता की सड़कों पर लगभग दो हजार नीली और सफेद छोटी बसें इधर-उधर आती-जाती दिखती हैं। ये शहर के हर कोने से लोगों को लाती-ले जाती हैं। इसका फायदा यह होता है कि लोगों को पार्किंग यानी अपनी गाड़ी किसी सुरक्षित जगह पर खड़ी करने की चिंता किए बगैर, अपनी जरूरत के हिसाब से कहीं भी आने-जाने में आसानी होती है।
 
छोटी बसों का यह नेटवर्क 1 करोड़ 10 लाख की आबादी वाले इस बड़े शहर की एक बड़ी समस्या का हल निकालने की कोशिश कर रहा है। वह समस्या है सड़कों पर बहुत ज्यादा गाड़ियां। जकार्ता ऐसा अकेला शहर नहीं है। वैश्विक स्तर पर कार, वैन, मोटरबाइकों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण और सड़क दुर्घटनाओं की वजह से हर साल करीब 20 लाख लोगों की मौत होती है। सिर्फ यही नहीं, वैश्विक कार्बन उत्सर्जन के 10 फीसदी हिस्से के लिए भी जीवाश्म ईंधन वाले वाहन जिम्मेदार हैं, जिसकी वजह से जलवायु परिवर्तन की स्थिति दिनों-दिन खराब होती जा रही है।
 
दशकों से, सड़कों पर वाहनों की संख्या बढ़ने पर ज्यादा लेन, फ्लाईओवर और पार्किंग बनाए जा रहे हैं, लेकिन इससे ट्रैफिक कम होने के बजाय, और ज्यादा कारें सड़कों पर आ जाती हैं। साथ ही, जाम लगने की संभावना बढ़ जाती है।
 
अब सुरक्षित, बिना भीड़-भाड़ वाली सड़कें और स्वच्छ हवा के लिए कुछ शहर और देश अपने नागरिकों को सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने और अपनी कारों का इस्तेमाल बंद करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। हालांकि, हर शहर और देश का अपना-अपना दृष्टिकोण है और उन्हें नतीजे भी अलग-अलग मिल रहे हैं।
 
मुफ्त सार्वजनिक परिवहन कितना आकर्षक है?
एस्टोनिया की राजधानी तालिन जैसे कुछ शहरों ने एक आसान समाधान चुना है। 2012 के जनमत संग्रह में, लगभग पांच लाख की आबादी वाले शहर के निवासियों ने स्थानीय लोगों के लिए ट्रेन, ट्राम और बसें मुफ्त करने के लिए मतदान किया।
 
गैर-लाभकारी शोध समूह ‘स्टॉकहोम एनवायरनमेंट इंस्टीट्यूट' में टिकाऊ शहर पर शोध करने वाली शोधार्थी मर्लिन रेहेमा के मुताबिक, "2013 से, सार्वजनिक परिवहन का खर्चा शहर की सरकार उठाने लगी है, जो हर आदमी पर करीब 40 यूरो सालाना आता है। इसके मिले-जुले नतीजे देखने को मिल रहे हैं।”
 
रेहेमा ने कहा, "सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने वाले यात्रियों की संख्या में नाटकीय रूप से गिरावट आई है, जो 42 फीसदी से घटकर अब 30 फीसदी रह गई है। कार का इस्तेमाल लगभग 5 फीसदी बढ़ गया है। जो लोग पहले से ही सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल कर रहे थे वे अब इसका ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। और कुछ हद तक, पहले जो लोग थोड़ी दूर पैदल चलते थे या साइकिल चलाते थे, वे भी अब बस से जाने लगे हैं।”
 
लक्जमबर्ग, माल्टा द्वीप और अमेरिका के कैन्सस शहर में भी सार्वजनिक परिवहन को मुफ्त कर दिया गया है। वहां भी इसी तरह के नतीजे देखने को मिल रहे हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि कोरोना महामारी के दौरान लगे प्रतिबंधों की वजह से भी कुछ हद तक ऐसे नतीजे देखने को मिल रहे हैं, लेकिन इसकी और भी वजहें हैं।
 
ऑटोमोबाइल के प्रति लगाव
यूके की बाथ यूनिवर्सिटी में बिहेवियरल साइंटिस्ट पीट डायसन कहते हैं कि लोग किस तरह से यात्रा करना पसंद करते हैं, इससे जुड़े फैसले मनोविज्ञान यानी सोच पर भी निर्भर करते हैं।
 
उन्होंने कहा, "जब लोग कार रखने से जुड़े मनोवैज्ञानिक पहलुओं को देखते हैं, तो वे अक्सर यह सोचते हैं कि इससे उनकी हैसियत दिखती है और उन्हें गर्व महसूस होता है। कारें सुरक्षा और आराम से जुड़ी हमारी बुनियादी जरूरतें भी पूरी करती हैं, जबकि देर से चलने वाली और यात्रियों से भरी रहने वाली बसें ऐसा नहीं करतीं।”
 
वह आगे कहते हैं कि इस जरूरत को पूरा करने के लिए बसों को कारों से ज्यादा अहमियत देनी होगी, ताकि सफर आसान हो, बसें समय पर चलें और ज्यादा भरोसेमंद बनें। इसके लिए, सार्वजनिक परिवहन को ‘सुरक्षित और आरामदायक' बनाना होगा। कई तरह की सहूलियतें उपलब्ध करानी होंगी। जैसे, यात्रियों को बैठने के लिए सीट और काम करने के लिए टेबल मिले, ताकि वे यात्रा के दौरान भी कुछ काम की या अच्छी चीजें कर सकें।
 
ट्रांसजकार्ता की बस में यात्रा
जकार्ता में चीजें इसी तरह चल रही हैं। बसें वातानुकूलित हैं, महिलाओं के लिए अलग बैठने की जगह है, और किसी भी सहायता और जानकारी के लिए कर्मचारी मौजूद हैं। गुलाबी रंग से रंगी बसें केवल महिलाओं के लिए हैं। हर यात्रा की लागत करीब 0।20 यूरो के बराबर आती है। अगर भारतीय मुद्रा में कहा जाए, तो करीब 19 रुपये के बराबर।
 
मौजूदा समय में, शहर में लगभग 10 फीसदी यात्राएं बस और ट्रेन से की जाती हैं। सरकार 2030 तक इस संख्या को छह गुना बढ़ाना चाहती है। हालांकि, दूसरी ओर कार और मोटरसाइकिल की संख्या भी सड़कों पर बढ़ रही है।
 
गैर-लाभकारी संस्था ‘इंस्टीट्यूट फॉर ट्रांसपोर्टेशन ऐंड डेवलपमेंट पॉलिसी' के दक्षिण-पूर्व एशिया निदेशक गोंग्गोमतुआ सितांगगांग ने कहा, "यहां की सबसे बड़ी चुनौती लोगों को सार्वजनिक परिवहन का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित करना है।”
 
जकार्ता ने एक बस रैपिड ट्रांजिट (बीआरटी) सिस्टम स्थापित किया है, जिसने मौजूदा सड़कों में बदलाव करके खास तौर पर बसों के लिए 14 रास्ते बनाए हैं। इसे ट्रांसजकार्ता नेटवर्क कहा जाता है। यह 250 किलोमीटर या 155 मील तक फैला है और 2,200 नीली और सफेद छोटी बसें इन पर हर समय सरपट दौड़ती रहती हैं। आप शहर में कहीं भी हों, आपको 500 मीटर के अंदर ये बसें मिल जाती हैं।
 
सितांगगांग ने कहा, "इन छोटी बसों से यात्रा करने के लिए कोई शुल्क नहीं देना पड़ता है। ऐसा इसलिए किया गया है, ताकि लोग सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल को बढ़ावा दें। इस तरह से पहले और आखिरी छोर तक जुड़ना, सार्वजनिक परिवहन तक लोगों की पहुंच बनाने के लिए जरूरी है।”
 
कार के इस्तेमाल को कम करने की पहल
कुछ शहर एक अलग दृष्टिकोण अपना रहे हैं और ड्राइविंग को कम आकर्षक बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इसके लिए वे ड्राइविंग करने वालों पर ज्यादा शुल्क लगा रहे हैं। इस वर्ष से, एस्टोनिया में कार मालिकों को शुरुआती रजिस्ट्रेशन फीस और सालाना वाहन टैक्स, दोनों का भुगतान करना होगा। इस बीच, लंदन ने एक कंजेशन चार्ज जोन बनाया, जिससे कारों का ट्रैफिक कम हो गया। वहीं, बस और मेट्रो का इस्तेमाल बढ़ गया।
 
हालांकि, मर्लिन रेहेमा का कहना है कि ड्राइविंग को हतोत्साहित करने के अन्य तरीके भी हैं। जैसे, सार्वजनिक परिवहन के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए अपने शहरों को फिर से डिजाइन करना।
 
पेरिस में ऐसा ही किया जा रहा है। वहां हजारों पार्किंग की जगहें हटा दी गई हैं। कारों के लिए पूरे रास्ते बंद कर दिए गए हैं। बड़ी और प्रदूषण फैलाने वाली एसयूवी के लिए पार्किंग का चार्ज तीन गुना बढ़ा दिया गया है।
 
जकार्ता भी अपने सेंट्रल जोन दुकुह अतास में बुनियादी ढांचे को फिर से डिजाइन करना शुरू कर रहा है, जहां दसियों हजार पार्किंग की जगहें हैं, लेकिन यह बस और रेल कनेक्शन के साथ एक प्रमुख सार्वजनिक परिवहन केंद्र भी है।
 
सितांगगांग ने कहा, "हम पहले कनेक्टिविटी सुधारते हैं, पैदल चलने और साइकिल चलाने के लिए अच्छी जगहें बनाते हैं, और फिर ये सोचते हैं कि उस इलाके में पार्किंग की जगह कैसे कम की जाए।”
 
डायसन ने कहा कि यहां तक कि जो शहर अपने बुनियादी ढांचे में तेजी से बदलाव नहीं कर सकते, वे भी कुछ कदम उठा सकते हैं। उन्होंने बताया, "मौजूदा सिस्टम में कुछ सुधार किए जा सकते हैं। जैसे, इस बारे में बेहतर तरीके से जानकारी दी जाए कि कौन से रास्ते कहां जाते हैं। साथ ही, टिकट और किराये कम किए जा सकते हैं।”

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