खाने पीने की चीजों से बनने वाले घर अब सिर्फ परीकथाओं में नहीं बल्कि हकीकत की दुनिया में भी मिलेंगे। जापान के रिसर्चरों ने बेकार खाने से सीमेंट बनाने में कामयाबी हासिल की है। इस सीमेंट को आप खा भी सकते हैं।
फूड वेस्ट यानी खाने का वो हिस्सा जो हम या तो इस्तेमाल नहीं करते या जो इसके लायक ही नहीं है। इसी बेकार के खाने से टोक्यो यूनिवर्सिटी के दो रिसर्चरों ने सीमेंट बनाई है। कोटा माशिंदा और युया सकाई ने ऐसी तकनीक विकसित की है जो बेकार खाने को सीमेंट में बदल देता है और इसे मकान बनाने में इस्तेमाल किया जा सकता है।
फूड वेस्ट से सीमेंट कैसे बना
दुनिया में पहली बार ऐसी प्रक्रिया सामने आई है जिसमें सीमेंट सिर्फ बेकार खाने से बना है। रिसर्चरों का कहना है कि तनाव सहन करने की क्षमता और लचीलापन उनके सीमेंट को आम सीमेंट की तुलना में चार गुना ज्यादा मजबूती देता है। दोनों रिसर्चरों को इस सीमेंट से ग्लोबल वार्मिंग को घटाने में मदद मिलने की उम्मीद है। इसके साथ ही बेकार खाने की समस्या से भी निजात मिलेगी। खराब हो जाने पर कूड़े के ढेर में फेंका गया खाना वातावरण में बहुत सारी मीथेन गैस छोड़ती है।
इंडस्ट्रियल साइंस में एसोसिएट प्रोफेसर सकाई ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो सीमेंट आधारित कंक्रीट की जगह ले सकती है। टिकाऊ मटीरियल पर रिसर्च करने के दौरान उन्हें इसमें कामयाबी मिली। दुनिया भर में कार्बन डाईऑक्साइड के कुल उत्सर्जन का 8 फीसदी सीमेंट के उत्पादन के दौरान होता है।
सकाई ने सबसे पहले कंक्रीट बनाने का एक तरीका विकसित किया। इसमें पाउडर में तब्दील लकड़ी के बुरादे को गर्मी दे कर जमाया जाता है। तीन चरणों वाली प्रक्रिया में सुखाना, पाउडर बनाना और जमाने का काम एमेजॉन पर बिकने वाले आम मिक्सरों और कंप्रेसरों का इस्तेमाल कर किया जा सकता है।
चाय पत्ती और प्याज के छिलके से सीमेंट
सकाई और उनके छात्र मशिंदा ने यही काम फूड वेस्ट के साथ करने का फैसला किया। इससे पहले फूड वेस्ट से सीमेंट बनाने की कोशिशों में प्लास्टिक को भी मिलाना पड़ता था ताकि टुकड़े एक दूसरे के साथ रहें। कई महीनों की नाकामी के बाद उन्होंने देखा कि वे तापमान और दबाव में थोड़ा बदलाव कर सीमेंट का जोड़ हासिल कर सकते हैं। सकाई ने बताया, "हर तरह का फूड वेस्ट अलग तापमान और दबाव के स्तर की मांग करता है और ग्लोबल वार्मिंग यही सबसे बड़ी चुनौती थी।"
फूड वेस्ट को निर्माण में इस्तेमाल करने के जो दूसरे प्रयोग हुए हैं उनमें ज्यादातर कॉफी या फिर जैविक कचरे की राख को सामान्य सीमेंट में मिलाया जाता है।
सकाई और माशिदा का कहना है कि उन्होंने चाय पत्ती, नारंगी, प्याज के छिलके, कॉफी, कैबेज और यहां तक कि लंचबॉक्स में बचे रह जाने वाले खाने से सीमेंट बनाई है। रिसर्चरों ने इसमें मसालों का इस्तेमाल कर इनका स्वाद बदला और देखा कि सीमेंट का रंग, खुशबू और स्वाद लोगों को काफी लुभाने वाला है। इन चीजों को अगर कोई खाना चाहे तो इन्हें टुकड़ों में तोड़ कर उबालना होगा।
सीमेंट को वाटरप्रूफ और चूहों या कीड़ों का आहार बनने से रोकने के लिए इस पर जापानी लाख की परत लगाई जा सकती है।
कई समस्याओं से मुक्ति दिलाने वाला
फूड वेस्ट जापान समेत पूरी दुनिया में एक बड़ी समस्या है। जापान में 2019 में 57 लाख टन फूट वेस्ट पैदा हुआ था। सरकार इसे घटा कर 2030 तक 27 लाख टन तक लाना चाहती है। माशिंदा ने अपने बचपन के दो दोस्तों के साथ मिल कर पिछले साल एक कंपनी शुरू की है। वो दूसरी कंपनियों के साथ मिल कर फूड सीमेंट से कप, कटलरी और फर्नीचर बनाने पर काम कर रहे हैं। सकाई का कहना है कि इस प्रक्रिया का इस्तेमाल आपदा वाले इलाकों में अस्थायी घर बनाने में किया जा सकता है।
माशिंदा का कहना है, "माना अगर कभी पीड़ितों तक खाना नहीं पहुंच पाया तो वे फूड सीमेंट से बने अस्थायी फर्नीचरों को खा सकते हैं।" फूड सीमेंट बार बार इस्तेमाल हो सकता है और यह आसानी से प्रकृति में विघटित हो जाता है इसलिए जब जरूरत ना हो तो इसे जमीन में दबाया जा सकता है।
माशिंदा ने कहा, "हमारी अंतिम आशा प्लास्टिक की जगह लेने वाला सीमेंट बनाना है और साथ ही सीमेंट से बनी ऐसी चीजें जिनका बोझ पर्यावरण पर ना पड़े।"