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कोरोना की तालाबंदी और रियल एस्टेट की मंदी से चीनी खजाना खाली

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DW

, गुरुवार, 27 अक्टूबर 2022 (14:04 IST)
चीन का राजकोषीय घाटा बढ़कर अब एक हजार अरब डॉलर तक चला गया है जो अब तक का सर्वाधिक है। रियल स्टेट का संकट और सुस्त होती अर्थव्यवस्था को राहत देने के लिए टैक्स में छूट ने सरकारी खजाना खाली कर दिया है।

यह आंकड़े साल के पहले 9 महीनों के हैं। सरकार के सभी स्तरों के बजट में कमी जनवरी से लेकर सितंबर तक 980 अरब अमेरिकी डॉलर पर पहुंच गई है। ये जानकारी चीन के वित्त मंत्रालय से मंगलवार को जारी आंकड़ों के विश्लेषण से सामने आई है। एक साल पहले की इसी अवधि में 260 अरब डॉलर के राजकोषीय घाटे के मुकाबले यह रकम करीब 3 गुना ज्यादा है।

खर्च बढ़ा, आय घटी
सरकार के राजस्व में कुल मिलाकर जनवरी से सितंबर के बीच 6.6 फीसदी की कमी आई है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि सरकार ने कारोबार जगत को जो टैक्स में रियायतें दी हैं उसके नतीजे में राजस्व घटा है। इसी अवधि में सरकारी खर्च में 6.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। सरकार ने रोजगार के मौके बनाने और विकास को बढ़ाने के लिए देश के निर्माण क्षेत्र में तेजी लाने की कोशिश की है जिसका नतीजा सरकार के बढ़े खर्च के रूप में सामने आया है।

चीन का खजाना खाली
साल दर साल के आधार पर चीन की अर्थव्यवस्था इस साल की तीसरी तिमाही में 3.9 फीसदी की दर से बढ़ी है जो उम्मीद से ज्यादा है। हालांकि शी जिननिंग को ऐतिहासिक तीसरी बार देश का राष्ट्रपति और कम्युनिस्ट पार्टी का नेता चुने जाने से निवेशक थोड़े से डर गए हैं। चीनी मुद्रा की कीमत में कमी आई है और हांगकांग का शेयर बाजार गिरकर वैश्विक मंदी के बाद सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।

रियल स्टेट का संकट
चीन रियल स्टेट सेक्टर में भी अभूतपूर्व संकट का सामना कर रहा है। देश की जीडीपी में निर्माण और रियल स्टेट सेक्टर की हिस्सेदारी एक चौथाई से ज्यादा है। अक्टूबर में पुराने घरों की कीमतें काफी ज्यादा गिर गईं। महीने दर महीने के स्तर पर देखें तो यह गिरावट 2014 के बाद अब तक की सबसे ज्यादा है।

कैपिटल इकोनॉमिक्स के जूलियन इवांस प्रीचार्ड ने एक रिसर्च नोट में लिखा है, घर का बाजार अब भी नीचे की ओर जाते वलय में फंसा हुआ है, वैश्विक मांग आगे और ज्यादा ठंडी पड़ेगी और कमजोर चीनी मुद्रा केंद्रीय बैंक को नीतिगत सहयोग देने से रोक रही है।

शून्य कोविड नीति
बीजिंग की शू्न्य कोविड नीति के कारण अचानक हुई तालाबंदियों और कठोर स्तर की पाबंदियों ने उपभोक्ता मांग को भी काफी ज्यादा प्रभावित किया है। इसका साफ असर भी अर्थव्यवस्था पर महसूस किया जा सकता है। चीन दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्था वाले प्रमुख देशों में आखिरी है जो अब भी शू्न्य कोविड नीति पर चल रहा है।

ग्लोबल फाइनेंस ग्रुप नोमुरा के प्रमुख अर्थशास्त्री तिंग लु का कहना है, शून्य कोविड नीति से राहत देने के लिए अब भी कोई प्रमुख संकेत नजर नहीं आ रहा है। इसके साथ ही लु ने बताया कि इस हफ्ते की शुरूआत में चीन के 28 शहरों के करीब 20 करोड़ से ज्यादा लोग किसी न किसी तरह की तालाबंदी का सामना कर रहे थे। समस्याओं से उबरने की अर्थव्यवस्था की गति बहुत तेज नहीं है।
- एनआर/एए (एएफपी)

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