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भारत में क्रिप्टो ट्रेडिंग का उछाल, छोटे शहरों से बढ़ी मांग

छोटे शहरों में क्रिप्टो ट्रेडिंग अपने उफान पर है। टियर थ्री शहरों में यह दोगुना हो गया है। इसमें युवाओं की भागीदारी सबसे ज्यादा है। नियमों की कमी के बावजूद ट्रंप के आने के बाद क्रिप्टो ट्रेडिंग में दिलचस्पी बढ़ी

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DW

, बुधवार, 26 फ़रवरी 2025 (07:51 IST)
विवेक कुमार
नागपुर में फूलों की दुकान चलाने वाले आशीष नागोस हर रोज क्रिप्टोकरंसी ट्रेडिंग सीख रहे हैं। उनके जैसे हजारों लोग भारत के अलग-अलग हिस्सों में इस नए निवेश की ओर बढ़ रहे हैं।पहले नागोस स्टॉक ऑप्शंस में ट्रेडिंग करते थे, लेकिन नए नियमों के कारण यह मुश्किल हो गया। अब 28 वर्षीय नागोस को उम्मीद है कि क्रिप्टो ट्रेडिंग उनके पारिवारिक बिजनस के लिए बैकअप बन सकता है।
 
ग्राहक के इंतजार में अपनी दुकान के सामने बैठे नागोस ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स को बताया, "मैं अपनी दुकान चलाना चाहता हूं, लेकिन जब व्यापार धीमा हो जाए, जैसे दिवाली के बाद, तब ट्रेडिंग से आमदनी हो सके।” उनके आसपास लाल गुलाब और गेंदे के फूलों के गुच्छे रखे थे।
 
पिछले साल क्रिप्टोकरंसी अपनाने वाले देशों में भारत सबसे आगे रहा था। क्रिप्टोकरंसी डेटा उपलब्ध कराने वाली वेबसाइट कॉइनगेको के मुताबिक भारत में नागोस जैसे नए ट्रेडर्स की वजह से बिटकॉइन, इथीरियम, डॉजकॉइन और दूसरे क्रिप्टोकरंसी की ट्रेडिंग की मात्रा अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में दोगुनी होकर 1.9 अरब डॉलर तक पहुंच गई।
 
युवाओं की बढ़ती दिलचस्पी
क्रिप्टो ट्रेडिंग का ग्राफ भारत के छोटे शहरों में तेजी से बढ़ रहा है, अब युवा क्रिप्टो ट्रेडिंग से अपनी आमदनी बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। देश की 1.4 अरब की आबादी में से दो-तिहाई लोग 35 साल से कम उम्र के हैं।
 
पहले स्टॉक्स और डेरिवेटिव्स में निवेश करने वाले युवा अब क्रिप्टो की ओर बढ़ रहे हैं। इसकी एक वजह यह भी है कि अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के चुनाव जीतने के बाद क्रिप्टो सेक्टर को ज्यादा छूट मिलने की उम्मीद जगी है। अकाउंटेंसी फर्म ग्रांट थॉर्नटन भारत के पार्टनर कुश वाधवा के मुताबिक, भारत का क्रिप्टो मार्केट 2035 तक 15 अरब डॉलर से ज्यादा का हो सकता है।
 
रॉयटर्स से बातचीत में भारत के क्रिप्टो ट्रेडिंग एक्सचेंज मुद्रेक्स के सह-संस्थापक एडुल पटेल कहते हैं, "जमीनी स्तर पर क्रिप्टो को लेकर बहुत जिज्ञासा है, खासकर ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद क्रिप्टो का पूरा परिदृश्य बदल रहा है।"
 
जनवरी में ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद क्रिप्टोकरंसी की कीमतों में जबरदस्त उछाल आया। निवेशकों को उम्मीद है कि उनकी सरकार क्रिप्टो सेक्टर पर नरम रुख अपनाएगी। बिटकॉइन, इथीरियम और अन्य डिजिटल मुद्राओं के दाम तेजी से बढ़े। अमेरिकी बाजारों में बड़े संस्थानों ने भी इसमें निवेश बढ़ाया और बिटकॉइन की कीमत लगभग 104,110 पर पहुंच गई। हालांकि उसके बाद जल्दी ही यह गिरकर 90 हजार डॉलर प्रति बिटकॉइन आ गई थी।
 
छोटे शहरों से क्रिप्टो में बड़ा निवेश
भारत में क्रिप्टो ट्रेडिंग के लिए टॉप 10 शहरों में से 7 छोटे शहर थे, जिनमें जयपुर, लखनऊ और पुणे शामिल हैं। यह डेटा कॉइनस्विच का है, जो भारत का एक बड़ा क्रिप्टो प्लेटफॉर्म है। कॉइनस्विच के वाइस प्रेसिडेंट बालाजी श्रीहरि ने कहा, "अब वृद्धि मेट्रो शहरों से नहीं, छोटे शहरों से आ रही है। यह स्टॉक मार्केट और क्रिप्टो दोनों में दिख रहा है।"
 
भारत सरकार ने क्रिप्टो ट्रेडिंग को लेकर सख्त टैक्स लगाए हैं। इसके बावजूद 25 वर्षीय सागर नेवारे जैसे युवा इसमें सक्रिय हैं। नेवारे बताते हैं, "मेरे पिता को कुछ साल पहले अपना प्लास्टिक पैकेजिंग बिजनस बंद करना पड़ा था। मेरा सपना है कि मैं क्रिप्टो से पैसे कमाकर उसे फिर से शुरू करूं।" नेवारे वह नागपुर के ट्रांसपोर्ट ऑफिस में काम करते हैं और हर महीने 25,000 रुपये कमाते हैं।
 
नेवारे जैसे युवा नागपुर के "थॉट्स मैजिक ट्रेडिंग अकैडमी" में हर रोज ट्रेडिंग सीखते हैं। इस क्लास को यश जायसवाल चलाते हैं, जो खुद इक्विटी ऑप्शन्स ट्रेडर हैं। उनकी क्लास के कमरे की दीवार पर एक पोस्टर है, जिस पर लिखा है, "आप बस एक ट्रेड दूर हैं अपने सपनों की जिंदगी से।"
 
क्रिप्टो पर सरकार की उलझन
भारत में क्रिप्टोकरसी का नियमन कौन करेगा, यह साफ नहीं है। देश में क्रिप्टो ट्रेडिंग से होने वाले मुनाफे पर 30 फीसदी टैक्स लगता है, जो दुनिया में सबसे सख्त नियमों में से एक है। लेकिन भारत ने अब तक इसे पूरी तरह बैन नहीं किया और न ही कोई नया कानून बनाया है।
 
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का मार्केट रेगुलेटर इसे नियंत्रित करने को तैयार है, लेकिन सरकार का रुख अब भी स्पष्ट नहीं है। हालांकि, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) इसे लेकर लगातार चेतावनी देता रहा है। 2022 के बजट में क्रिप्टो पर टैक्स भी लगाया गया था।
 
आरबीआई ने दिसंबर 2024 की अपनी फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट में कहा, "क्रिप्टो एसेट्स और स्टेबलकॉइन का व्यापक उपयोग आर्थिक स्थिरता के लिए खतरा हो सकता है।" भारत के वित्त मंत्रालय, आरबीआई और मार्केट रेगुलेटर ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की।"
 
भारत का बाजार
भारत में क्रिप्टोकरंसी बाजार, जिसका मूल्य 2023 में 6.2 अरब अमेरिकी डॉलर था, तेजी से बढ़ रहा है। इसका मुख्य कारण डिजिटलीकरण, खुदरा निवेशकों की बढ़ती भागीदारी और ब्लॉकचेन का विकास है। केन रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, नियामक अनिश्चितताओं के बावजूद, क्रिप्टो को अपनाने की प्रवृत्ति मजबूत बनी हुई है, खासकर मुंबई, दिल्ली और बेंगलुरु जैसे बड़े शहरों में। वजीरएक्स, कॉइनडीसीएक्स और जेबपे जैसे प्लेटफॉर्म इस क्षेत्र का नेतृत्व कर रहे हैं।
 
रिपोर्ट कहती है कि भारत में फाईनेंशियल टेक्नोलॉजी का पूरा बाजार 1.4 अरब मोबाइल कनेक्शन और 70 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ताओं के दम पर आगे बढ़ रहा है। इसका फायदा क्रिप्टो ट्रेडिंग को मिल रहा है। हालांकि, बैंकिंग प्रतिबंध, वित्तीय साक्षरता की कमी और ऊर्जा खपत से जुड़ी चिंताएं अभी भी प्रमुख चुनौतियां बनी हुई हैं। सरकार भी ब्लॉकचेन के विकास को बढ़ावा देने और इसे विनियमित करने के लिए कदम उठा रही है, जिसमें 70 करोड़ रुपये ब्लॉकचेन एक्सेलेरेटर और सीबीडीसी (सेंट्रल बैंक डिजिटल करंसी) के अनुसंधान में निवेश किए गए हैं।
 
केन रिसर्च का अनुमान है कि भारत का क्रिप्टो बाजार आगे भी विस्तार करेगा लेकिन अगर एक संगठित कानूनी ढांचा पेश किया जाता है, तो यह बाजार में विश्वास और भागीदारी को काफी हद तक बढ़ा सकता है, जिससे भारत वैश्विक क्रिप्टोकरंसी परिदृश्य में एक प्रमुख खिलाड़ी बन सकता है।

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