Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

जर्मन चुनाव के नतीजे: मर्ज की जीत लेकिन कुर्सी अभी दूर

जर्मनी में रूढ़िवादी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन सबसे बड़ी पार्टी बनी है लेकिन सरकार बनाने के लिए उसे गठबंधन तैयार करना होगा, जो एक बड़ी चुनौती होगी। फ्रेडरिक मर्ज के लिए चांसलर की कुर्सी अभी

Advertiesment
हमें फॉलो करें जर्मन चुनाव के नतीजे: मर्ज की जीत लेकिन कुर्सी अभी दूर

DW

, सोमवार, 24 फ़रवरी 2025 (09:07 IST)
-विवेक कुमार
 
German election: जर्मनी में रूढ़िवादी पार्टी क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन सबसे बड़ी पार्टी बनी है लेकिन सरकार बनाने के लिए उसे गठबंधन तैयार करना होगा, जो एक बड़ी चुनौती होगी। फ्रेडरिक मर्ज के लिए चांसलर की कुर्सी अभी दूर है। जर्मनी के संसदीय चुनाव में सेंटर राइट गठबंधन सीडीयू/सीएसयू ने जीत दर्ज की। इसे लेकर अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने कहा, 'यह जर्मनी और अमेरिका दोनों के लिए शानदार दिन है।'ALSO READ: Germany Election 2025: जर्मनी के नए चांसलर होंगे फ्रेडरिक मर्ज, ओलाफ स्कोल्ज हारे
 
उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर लिखा, 'अमेरिका की तरह, जर्मनी के लोग भी ऊर्जा और इमिग्रेशन पर बेतुकी नीतियों से तंग आ चुके थे।' सीडीयू/सीएसयू को 28.5 फीसदी वोट मिले, जो पिछली बार की तुलना में थोड़े ज्यादा हैं। हालांकि पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला जिससे उसे गठबंधन बनाने की चुनौती का सामना करना पड़ेगा।
 
दूसरी ओर धुर-दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी को 20.6 फीसदी वोट मिले। यह अब तक का उसका सबसे अच्छा प्रदर्शन है और पिछली बार से लगभग दोगुना मत प्रतिशत है। ट्रंप के करीबी अमेरिकी उद्योगपति इलॉन मस्क ने इस पार्टी का खुलकर समर्थन किया था और चुनाव से पहले कई बार इसके नेताओं से मुलाकात की थी।ALSO READ: 90,000 भारतीयों को वीजा देगा जर्मनी, वडोदरा में युवाओं से क्या बोले PM मोदी
 
एएफडी के सह-नेता टीनो क्रूपाला ने कहा कि उनकी पार्टी गठबंधन के लिए बातचीत करने को तैयार है। उन्होंने कहा, 'हमारे लगभग एक करोड़ मतदाताओं को हाशिए पर नहीं डाला जा सकता।' हालांकि सीडीयू/सीएसयू के नेता और संभावित चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने एएफडी से किसी भी तरह की साझेदारी से इनकार किया। उन्होंने कहा, 'हमारी पार्टी का दृष्टिकोण लोकतांत्रिक और समावेशी है। एएफडी की नीतियां हमारे मूल्यों से मेल नहीं खातीं।' अन्य प्रमुख पार्टियों ने भी एएफडी के साथ किसी भी तरह के गठबंधन की संभावना को खारिज कर दिया है।
 
मैर्त्स के सामने चुनौतियां
 
गठबंधन तय हो जाने के बाद फ्रेडरिक मर्ज को पहली बार सरकार चलाने का मौका मिलेगा। उन्होंने कहा, 'जर्मनी को एक बार फिर स्थिर सरकार मिलेगी।' मैर्त्स ने धुर दक्षिणपंथी एएफडी की नीतियों का विकल्प देकर उसके समर्थकों को अपनी ओर लाने की कोशिश की है, लेकिन चुनाव में एएफडी की बढ़ी ताकत उनके लिए नई चुनौती हो सकती है।ALSO READ: जर्मनी की राजनीति में भारतीयों की जड़ें जमाने में जुटे गुरदीप
 
मैर्त्स ने जनवरी में संसद में आप्रवासन को लेकर सख्त रुख अपनाने संबंधी प्रस्ताव पेश किया था, जो केवल एएफडी के समर्थन से पास हुआ। इससे उनकी पार्टी के अंदर भी विवाद खड़ा हो गया। कुछ उदारवादी नेताओं ने इसे सीडीयू की पहचान के खिलाफ बताया।
 
आर्थिक और कूटनीतिक संकटों के बीच मैर्त्स को अब गठबंधन बनाने की कठिन चुनौती का सामना करना पड़ेगा। संसद में कितनी पार्टियां पहुंचती हैं, गठबंधन का विकल्प इसी पर निर्भर करेगा। सरकार गठन में हफ्तों से महीनों तक का समय लग सकता है। इस समय के प्रोजेक्शन के अनुसार सोशल डेमोक्रैटिक पार्टी (एसपीडी) के साथ गठबंधन बहुमत सरकार बनाने की अकेली संभावना है, लेकिन वैचारिक मतभेद बातचीत को जटिल बना सकते हैं।ALSO READ: जर्मनी में भारतीय सबसे अधिक कमाते हैं, आखिर क्या है इसकी वजह?
 
यूरोपीय संघ में जर्मनी की भूमिका, यूक्रेन युद्ध पर नीतियां और चीन के साथ व्यापारिक संबंध गठबंधन वार्ताओं में प्रमुख मुद्दे होंगे। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यदि गठबंधन जल्दी नहीं बना तो जर्मनी में राजनीतिक अस्थिरता बढ़ सकती है जिससे यूरोप की अर्थव्यवस्था और वैश्विक बाजार प्रभावित हो सकते हैं।
 
एक ही सहयोगी चाहेंगे मैर्त्स
 
मैर्त्स ने जर्मनी के सार्वजनिक प्रसारक एआरडी से बातचीत में गठबंधन को लेकर संभावनाओं पर चर्चा की। उन्होंने कहा, 'हमने यह चुनाव जीता है, और स्पष्ट रूप से जीता है। अब मैं एक ऐसी सरकार बनाने की कोशिश करूंगा जो पूरे देश का प्रतिनिधित्व करे और जर्मनी की समस्याओं को हल करे।'ALSO READ: बीमार अर्थव्यवस्था को पटरी पर कैसे लाएगा जर्मनी?
 
उन्होंने साफतौर पर कहा कि एएफडी कोई विकल्प नहीं है। मैर्त्स ने कहा, 'वह सरकार कैसी दिखेगी, यह अभी तय नहीं है। लेकिन यह कोई रहस्य नहीं है कि मैं दो के बजाय एक गठबंधन सहयोगी को प्राथमिकता दूंगा। और एएफडी के साथ गठबंधन कोई विकल्प नहीं है। उनके समर्थकों को यह पहले से पता था और फिर भी उन्होंने उन्हें वोट दिया।'
 
शुरुआती गणना के मुताबिक उद्योग समर्थक पार्टी एफडीपी 5 फीसदी की सीमा पार नहीं कर पाई है। उसे सिर्फ 4.4 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं। इससे पार्टी को संसद में सीट नहीं मिलेगी। एफडीपी नेता क्रिस्टियान लिंडनर ने कहा, 'हमने जर्मनी के लिए राजनीतिक जोखिम उठाया। आज हम इसकी भारी कीमत चुका रहे हैं, लेकिन यह देश के लिए सही फैसला था।'
 
एफडीपी की हार को उसकी गठबंधन सरकार में निभाई गई भूमिका और हाल के आर्थिक फैसलों से जोड़ा जा रहा है। विश्लेषकों के अनुसार एफडीपी की कर-नीति और सरकारी खर्चों में कटौती के प्रति कड़े रुख ने मतदाताओं को नाराज किया।

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

विटामिन डी की कमी को नजरअंदाज करना भारी पड़ सकता है