आम कैदियों को भी मिल पाती हैं सत्येंद्र जैन जैसी सुविधाएं?

DW
गुरुवार, 24 नवंबर 2022 (08:09 IST)
आमिर अंसारी
भारतीय जेलों में क्षमता से अधिक कैदी बंद हैं। कई बार उन्हें बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल पाती हैं। लेकिन जिस तरह की कथित सुविधाएं सत्येंद्र जैन को मिल रही हैं उससे गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
 
भारतीय जनता पार्टी ने दिल्ली सरकार के मंत्री सत्येंद्र जैन का जेल में फल और सलाद खाते हुए कथित सीसीटीवी फुटेज जारी किया है। इससे पहले भी बीजेपी जैन की मसाज लेने वाला कथित वीडियो जारी कर चुकी है और आरोप लगाया था कि वह जेल में रहते हुए वीआईपी सुविधा पा रहे हैं।
 
जैन के वकील ने निचली अदालत में मंगलवार को दावा किया कि जेल में रहते हुए उनका वजन 28 किलो तक कम हो गया है लेकिन मीडिया रिपोर्टों में तिहाड़ जेल के सूत्रों के हवाले से दावा किया गया कि उनका वजन आठ किलो तक बढ़ गया है।
 
जेल में "मसाज" पर राजनीतिक घमासान
आप नेता जैन पिछले पांच महीनों से मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में न्यायिक हिरासत में हैं। जैन की मसाज के वीडियो 19 नवंबर को बीजेपी द्वारा जारी किए गए थे। इस वीडियो में जैन एक व्यक्ति द्वारा मसाज लेते हुए दिख रहे हैं।
 
हालांकि, जैन के बचाव में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा था कि वे डॉक्टरों की सलाह पर फिजियोथेरेपी ले रहे हैं। साथ ही आप नेताओं ने वीडियो के लीक होने पर सवाल उठाए थे और पूछा कि ये वीडियो बीजेपी के पास कैसे पहुंचे।
 
 
बताया जा रहा है कि जैन को जेल में मिले बेड, गद्दे और टीवी जैसी सुविधाओं में कोई कटौती नहीं की गई है। ऐसा कहा जा रहा है कि बेड और गद्दा उन्हें डॉक्टरों की सलाह पर दिया गया है। वहीं टीवी के बारे में कहा जा रहा है इसकी सुविधा सिर्फ जैन को नहीं बल्कि जेल में यह अन्य कैदियों के लिए भी सामान्य तौर पर दी जाती हैं।
 
इस बीच निचली अदालत में प्रवर्तन निदेशालय ने कहा है कि वीडियो लीक होने के लिए वह जिम्मेदार नहीं है। जैन के वकील राहुल मेहता ने वीडियो लीक होने के बाद कोर्ट में यह मामला उठाया है। जैन के वकील ने ईडी के खिलाफ अवमानना याचिका दाखिल की है और आरोप लगाया है कि जैन का मीडिया ट्रायल चल रहा है।

जैन की तरफ से मेहता ने कहा, "वह आतंकी कसाब जितना खतरनाक नहीं है और उसको भी निष्पक्ष और स्वतंत्र सुनवाई मिली थी। मैं निश्चित रूप से इससे बुरा नहीं हूं, मैं केवल निष्पक्ष और स्वतंत्र सुनवाई की मांग करता हूं।"
 
आम कैदी क्या कर सकते हैं
तिहाड़ जेल अधिकारियों का कहना है कि कैदियों को किसी और के "निजी काम" करने की अनुमति नहीं है। तिहाड़ जेल अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि कैदी या विचाराधीन कैदी जेल के भीतर काम तो कर सकते हैं लेकिन वह सिर्फ सार्वजनिक या सेवा कार्य हो सकते हैं।
 
तिहाड़ के एक अधिकारी ने अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "पहले, केवल अपराधी ही जेल में काम कर सकते थे। नए नियमों के तहत विचाराधीन कैदी भी काम कर सकते हैं लेकिन उन्हें जेल अधीक्षक से अनुमति लेनी होगी।

कुछ कैदी खाना पकाने के लिए वॉलंटियर कर सकते हैं, अन्य सफाई, बागवानी या पीडब्ल्यूडी के काम के लिए। अधिकारियों द्वारा इसकी अनुमति दी जा सकती है, लेकिन किसी की मालिश करना व्यक्तिगत श्रम है, जिसकी अनुमति नहीं है।"
 
इसी अखबार को एक अन्य अधिकारी ने कहा, "यह एक आम बात है- राजनेता, व्यवसायी, प्रभावशाली लोग निजी काम के लिए कैदियों से कहते हैं, हालांकि जेल मैनुअल के तहत यह सख्त वर्जित है। कैदियों को अपना वार्ड छोड़कर दूसरे वार्ड में जाने के लिए अनुमति की आवश्यकता होती है।"
 
जेल मैनुअल के मुताबिक, "किसी भी कैदी को निजी काम के लिए नहीं लगाया जाएगा। किसी भी कैदी को किसी भी समय जेल के किसी अधिकारी या किसी अन्य व्यक्ति द्वारा किसी भी निजी काम या किसी भी प्रकार की सेवा के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाएगा।"
 
जेलों में भीड़
भारत की जेलों में इस समय जितने कैदी बंद हैं उनमें से 70 प्रतिशत ऐसे ही हैं जिनका अभी तक दोष साबित नहीं हो पाया है। तीन लाख से भी ज्यादा ऐसे कैदियों में 74.08 प्रतिशत यानी करीब 2.44 लाख कैदी एक साल से जेल में बंद हैं। इनके अलावा 13.35 प्रतिशत यानि करीब 44,000 कैदी एक साल से ज्यादा से, 6.79 प्रतिशत यानी करीब 22,000 कैदी दो साल से ज्यादा से, 4.25 प्रतिशत यानी करीब 14,000 कैदी तीन साल से ज्यादा से और 1.52 प्रतिशत यानी करीब 5,000 कैदी पांच साल से भी ज्यादा से जेल में बंद हैं।

जेलों में आने वाले कैदियों और आरोपियों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। कई बार जेलों में भीड़ की वजह से कैदियों को बुनियादी सुविधाएं तक नहीं मिल पाती हैं।
Edited by : Nrapendra Gupta 

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