कोई नमक छिड़कता है, तो कोई बाल संवारता है। कोई दाहिना पैर उठाता, तो कोई जमीन चूमता। विज्ञान चाहे कुछ भी कहे, खिलाड़ियों से लेकर टीम के कोच तक मैच जीतने के लिए न सिर्फ खेल कौशल पर, बल्कि इन बातों पर भी विश्वास जताते हैं।
क्रिस्टियानो रोनाल्डो
पुर्तगाल के स्टार स्ट्राइकर क्रिस्टियानो रोनाल्डो अपनी मान्यताओं को पूरा करने का कोई मौका नहीं छोड़ते। रियाल मैड्रिड की टीम बस में वह हमेशा सबसे पीछे बैठते हैं। वहीं प्लेन में वह सबसे आगे की सीट लेते हैं। फुटबॉल फील्ड में वह हमेशा दाहिना पैर उठा कर घुसते हैं। इतना ही नहीं हाफ टाइम में वह अपने बाल जरूर संवारते हैं। इन सब के पीछे क्या कारण हैं, ये तो रोनाल्डो हीं जानते हैं।
नेमार
नेमार की गिनती फुटबॉल की दुनिया के सबसे बेहतरीन खिलाड़ियों में होती है। हालांकि वह स्वयं कई मौकों पर कह चुके हैं कि क्रिस्टियानो रोनाल्डो और लियोनेल मैसी दूसरे ग्रह से आए हैं। खैर, नेमार की भी अपनी मान्यताएं कम नहीं। वह हर मैच के पहले अपने पिता को याद करते हैं। फील्ड में प्रवेश करने के लिए वह हमेशा पहले दाहिना पैर ही उठाते हैं। इसके बाद वह घास छूकर प्रार्थना भी करते हैं।
सर्खियो खावियर गोइकोचेया
साल 1990 के विश्वकप में अर्जेंटीना के खिलाड़ी सर्जियो ने विपक्षी टीम के पेनल्टी किक को रोकने के लिए फील्ड में पेशाब करना अपनी आदत बना लिया था। यह विपक्षी टीम को असहज करने का एक तरीका था। अर्जेंटीना के इस खिलाड़ी की यह ट्रिक फाइनल मैच में पहुंचने तक तो कामयाब रही। लेकिन फाइनल में जर्मनी ने अर्जेंटीना को 1-0 से हरा कर ट्रॉफी अपने नाम कर ली।
मानुएल नॉयर
जर्मन टीम के गोलकीपर और कप्तान नॉयर भी कुछ तरह की बातों में विश्वास करते हैं। आमतौर पर नॉयर की एक्शन साफ-सुथरा और अच्छा नजर आता है। वह मैच शुरू होने से पहले दोनों टीम के गोल पोस्ट को छूते हैं। इतना ही नहीं, सेंकड हाफ के पहले भी नॉयर ऐसा ही करते हैं।
बास्टियान श्वाइनश्टाइगर
साल 2014 के फुटबॉल विश्वकप के हीरो रहे बास्टियान आज भी करिश्माई खेल के जादूगर माने जाते हैं। पूर्व जर्मन कप्तान अब अमेरिका की शिकागो फायर क्लब के लिए खेलते हैं। बास्टियान गीले मोजे और जूते पहनकर खेलते थे। उन्हें लगता था कि इससे उनकी टीम मैच जीत जाएगी।
लोरां ब्लाँ और फैबियन बार्थेज
लोरां कई साल तक फ्रांस की टीम की कप्तानी संभालते रहे। हर अंतरराष्ट्रीय मैच के पहले वह अपने साथी खिलाड़ी फाबियान बार्थेज के गंजे सिर को चूमते। शायद यह टीम के लिए गुडलक लेकर आया। इसके बाद टीम कई मैच जीती, जिसके चलते टीम के अन्य खिलाड़ी भी फाबियान के सिर पर चूमने लगे। फिर क्या, सारे खिलाड़ी मैच के पहले फाबियान के गंजे सिर को चूमने के लिए लाइन लगा कर खड़े हो जाते।
गैर्ड मुलर
फुटबॉल जूते हमेशा फिट होने चाहिए। लेकिन पूर्व जर्मन खिलाड़ी मुलर मैच में हमेशा अपने साइज से तीन साइज बड़े जूते पहनते। उनका मानना था कि वे इस तरह से अपने पैर का बेहतर इस्तेमाल कर पाते हैं। वहीं ऑस्ट्रियाई खिलाड़ी योहान एटमायर हमेशा अपने साइज से छोटे जूते पहन कर खेलने पर जोर देते थे। उनका कहना था जूते को पैरों में कंडोम की तरह फिट होना चाहिए।
गैरी लिनेकर
गैरी इंग्लैंड में फुटबॉल का एक जाना-माना चेहरा रहे हैं। 80 के दशक में इनका नाम इंग्लैंड के शानदार स्ट्राइकर में शामिल रहा। लिनेकर वॉर्मअप सेशन के दौरान गोल नहीं करते थे। उनका मानना था कि अगर वह ऐसा करेंगे तो असल मैच में गोल नहीं कर सकेंगे।
एरिक काँतोना
अमूमन डॉक्टर फुटबॉल खिलाड़ियों को मैच के पहले सॉना स्नान या गर्म पानी से नहाने से मना करते हैं। डॉक्टरों के मुताबिक गर्म पानी का स्नान खिलाड़ियों के लिए नुकसानदायक हो सकता है। लेकिन फ्रेंच खिलाड़ी एरिक डॉक्टरों की इस सलाह को दरकिनार करते हुए मैच के दिन सुबह तकरीबन 8 बजे पांच मिनट गर्म पानी में जरूर नहाते।
रियाल मैड्रिड
आज रियाल मैड्रिड के लिए दुनिया का कोई भी खिताब पाना बड़ी बात नहीं है। टीम ने 2018 की चैपिंयस ट्रॉफी भी अपने नाम की है। लेकिन 1912 में टीम के लिए ये मुकाबले आसान नहीं थे। पांच साल तक टीम ने कोई मैच नहीं जीता था। अपनी हार के फेर को खत्म करने के लिए टीम ने फुटबॉल मैदान के बीच में एक लहसुन को गाड़ दिया। यकीन मानिए, इस सीजन में टीम ने स्पेनिश क्लबों की लीग कोपा डेल रे जीत ली।
रोमेयो अंकोनितानी
रोमेयो इटली के एसी पीसा क्लब में 1978 से 1994 तक कप्तान रहे। उनका मानना था कि नमक की उनकी टीम की जीत में अहम भूमिका है। वह मैच के पहले फील्ड पर नमक डालते थे। जितना अहम मैच, फील्ड पर उतना ज्यादा नमक। एक मौके पर टीम विपक्षी टीम के साथ बहुत ही अहम मुकाबले में उलझी थी, उस वक्त अंकोनितानी ने फील्ड पर 26 किलो नमक डाल दिया।
मारियो जगालो
ब्राजील के पूर्व खिलाड़ी और कोच मारियो का 13 नंबर के साथ अटूट प्रेम था। मिस्र के सेंट एंटोनी की मारियो पूजा करते थे। मारियो एक बिल्डिंग के 13वें माले पर रहते थे। उन्होंने महीने की 13 तारीख को शादी की थी। जब वह फुटबॉल खेलते थे, तो हमेशा 13 नंबर की जर्सी पहनते थे। साल 1994 में मारियो की कप्तानी में ब्राजील की टीम ने विश्वकप अपने नाम किया था।
कार्लोस बिलार्डो
1986 में अर्जेंटीना के कप्तान कार्लोस बिलार्डो ने अपनी टीम को पोल्ट्री आइटम मसलन चिकन, अंडे आदि खान से मना कर दिया था। वे इसे अपशगुन मानते थे। वह हर मैच से पहले खिलाड़ियों को टूथपेस्ट के ट्यूबों का आदान-प्रदान करने के लिए भी कहते, क्योंकि उन्होंने जिस मैच के पहले एक साथी खिलाड़ी से टूथपेस्ट उधार ली थी, टीम वह मैच जीत गई थी। खैर, अर्जेंटीना विश्वकप तो जीत ही गया था।
जोवानी त्रापातोनी
महान इतालवी कोच जोवानी त्रापातोनी को लेकर कहा जाता है कि वह काफी अंधविश्वासी थे। यह भी माना जा सकता है वह काफी धार्मिक थे। अपनी टीम को फील्ड में भेजने से पहले वह पवित्र जल उस फील्ड पर छिड़कते थे। उनकी बहन नन थी।
योआखिम लोएव
जर्मन टीम के फुटबॉल कोच योआखिम लोएव भी लकी चार्म में विश्वास करते हैं। सालों तक नीला स्वेटर उनका पसंदीदा बना रहा। उनकी इस पसंद की साल 2010 के विश्वकप में कई फुटबॉल फैंस ने जमकर नकल भी की। नतीजतन, कई दुकानों में ऐसा नीला स्वेटर खत्म हो गया। चैंपियनशिप के बाद उन्होंने यह असली स्वटेर डीएफबी सॉकर म्यूजियम को दान कर दिया। वह आज भी नीले रंग में नजर आते हैं।