जर्मन राष्ट्रपति नहीं जाएंगे कीव, बोले- यूक्रेन नहीं चाहता था मैं आऊं

DW
गुरुवार, 14 अप्रैल 2022 (08:12 IST)
यूक्रेन ने जर्मनी से कहा है कि अगर राष्ट्रपति की जगह चांसलर कीव जाएं, तो उसे खुशी होगी। यूक्रेन को जर्मनी से अपर्याप्त समर्थन की शिकायत रही है। उसकी मांग है कि जर्मनी उसे भारी हथियार उपलब्ध करवाए।
 
जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर का प्रस्तावित कीव दौरा रोक दिया गया है। श्टाइनमायर, बाकी यूरोपीय राष्ट्राध्यक्षों के साथ यूक्रेन की राजधानी कीव जाने वाले थे। मगर यूक्रेन उनकी यात्रा के लिए उत्साहित नहीं था। इस बारे में जानकारी देते हुए श्टाइनमायर ने 12 अप्रैल को कहा, "मैं वहां जाने के लिए तैयार था, लेकिन मुझे यह बात स्वीकार करनी होगी कि कीव ऐसा नहीं चाहता था।" श्टानमायर ने यह बात पोलैंड की राजधानी वॉरसॉ में कही। वह यहां राष्ट्रपति आंद्रेज डूडा के साथ वार्ता के लिए आए थे। 
 
पोलैंड के राष्ट्रपति डूडा का प्रस्ताव था कि यूरोपीय देशों को यूक्रेन के साथ एकजुटता का मजबूती से संकेत देना चाहिए। इसके लिए हालिया दिनों में उन्होंने जोर दिया कि लिथुआनिया, लातिविया और एस्तोनिया यानी तीनों बाल्टिक देशों के अलावा बाकी यूरोपीय देशों के राष्ट्राध्यक्ष साथ मिलकर कीव का दौरा करें। इसी क्रम में जर्मन राष्ट्रपति के भी कीव के दौरे पर जाने की योजना थी।
 
श्टाइनमायर नहीं, शॉल्त्स
श्टाइनमायर की कीव यात्रा स्थगित होने के घटनाक्रम पर अपना पक्ष रखते हुए बर्लिन में यूक्रेन के राजदूत आंद्री मेलेनिक ने कहा कि यूक्रेन जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स को आमंत्रित कर रहा है। उन्होंने बताया,"हमने उन्हें बताया कि अगर जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स कीव आएं, तो मेरे राष्ट्रपति और यूक्रेनी सरकार की बहुत खुशी होगी।"

पिछले हफ्ते भी मेलेनिक ने कहा था कि यूक्रेन सरकार राष्ट्रपति श्टाइनमायर की जगह चांसलर शॉल्त्स के कीव आने की उम्मीद कर रही है। जर्मनी में सरकारी कामकाज और नीति निर्माण जैसे मामलों में राष्ट्रपति की भूमिका ज्यादातर औपचारिक है। मेलेनिक के मुताबिक, श्टाइनमायर के कीव दौरे का सांकेतिक महत्व होता।
 
जर्मनी से शिकायत
यूक्रेन को जर्मनी से अपर्याप्त समर्थन की शिकायत रही है। वह कहता रहा है कि जर्मनी को अपना समर्थन बढ़ाना चाहिए, यूक्रेन को ज्यादा संसाधन मुहैया कराने चाहिए। यूक्रेन की मांग है कि जर्मनी उसे टैंक और तोप समेत अतिरिक्त भारी हथियार उपलब्ध करवाए। मगर चांसलर श्लॉत्स ने इस आग्रह को ब्लॉक कर दिया। वह यूक्रेन मामले में जर्मनी के अलग से प्रयास करने की जगह यूरोपीय संघ की ओर से साझा कोशिशें किए जाने के पक्ष में हैं।
 
इसी क्रम में मेलेनिक ने समाचार एजेंसी डीपीए से कहा, "राष्ट्रपति की जगह जर्मन चांसलर या सरकार के बाकी सदस्यों को यूक्रेन जाना चाहिए। वे यूक्रेन को आगे समर्थन मुहैया कराने से जुड़े ठोस फैसले ले सकते हैं।" मेलेनिक ने यह भी रेखांकित किया कि चेक रिपब्लिक समेत कई अन्य नाटो देशों ने यूक्रेन को भारी हथियार दिए हैं। यूक्रेन सरकार ने उम्मीद जताई है कि जर्मनी भी जल्द ही बाकी नाटो सदस्यों की तरह ज्यादा मदद देने के लिए राजी हो जाएगा।
 
यूक्रेन के साथ एकजुटता
पोलैंड, ब्रिटेन, ऑस्ट्रिया, चेक रिपब्लिक, स्लोवेनिया और स्लोवाकिया के लीडर पहले ही कीव जाकर राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से मुलाकात कर चुके हैं। यूरोपियन कमीशन की अध्यक्ष उर्सुला फॉन डेय लाएन भी बीते हफ्ते यूक्रेन गई थीं। इन सभी यात्राओं से यूक्रेन के प्रति यूरोपीय देशों और संस्थाओं के समर्थन और एकजुटता का संदेश गया। यूक्रेन जर्मनी से भी इसी तरह ठोस समर्थन दिखाने की अपील कर रहा है।
 
राष्ट्रपति श्टाइनमायर को लेकर यूक्रेन की ओर से पहले भी कुछ सख्त प्रतिक्रियाएं आती रही हैं। श्टाइनमायर जर्मनी के विदेश मंत्री रहे हैं। पूर्व चांसलर अंगेला मैर्केल के कार्यकाल में श्टाइनमायर दो बार विदेश मंत्री रहे थे। 2014 में जब रूस ने यूक्रेन पर पहला हमला किया, तब भी श्टानमायर विदेश मंत्री थे। इसी दौरान रूस ने क्रीमिया पर कब्जा किया था। मगर इसके बावजूद श्टानमायर के कार्यकाल में ऊर्जा खरीद, खासतौर पर गैस आयात को लेकर जर्मनी और रूस के बीच मजबूत संबंध बने। यूक्रेन, अमेरिका और कई यूरोपीय देशों की आपत्तियों के बावजूद नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन के निर्माण का काम जारी रहा। श्टाइनमायर इस पाइपलाइन के प्रमुख समर्थकों में से थे।
 
श्टाइनमायर का बदला रुख
24 फरवरी को रूस के यूक्रेन पर किए गए हमले के बाद श्टाइनमायर ने बतौर विदेश मंत्री अपनी रूस नीति पर बयान दिया। उन्होंने माना कि हालिया सालों में जर्मनी को रूस के प्रति अपनी नीति में और सतर्क और सशंकित होना चाहिए था। जर्मन ब्रॉडकास्टर जेडडीएफ से बात करते हुए उन्होंने कहा, "हम कई मोर्चों पर नाकाम हुए। यह सच है कि हमें पूर्वी यूरोप के अपने सहयोगियों की चेतावनियों को ज्यादा गंभीरता से लेना चाहिए था, खासतौर पर 2014 के बाद।" एक इंटरव्यू में श्टाइनमायर ने यह भी कहा कि नॉर्ड स्ट्रीम 2 पाइपलाइन परियोजना को जारी रखना साफ तौर पर एक भूल थी।उन्होंने कहा कि रूस के खिलाफ मिल रही चेतावनियों को अनदेखा करने की गलती के कारण पूर्वी यूरोप में जर्मनी की साख और विश्वसनीयता को नुकसान पहुंचा है।
 
श्टाइनमायर के इस बयान का यूक्रेनी विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबा ने स्वागत किया था। 5 अप्रैल को इस पर एक ट्वीट करके उन्होंने लिखा, "मैं जर्मन राष्ट्रपति फ्रांक वाल्टर श्टाइनमायर के उस ईमानदार बयान का स्वागत करता हूं, जिसमें उन्होंने रूस के प्रति जर्मनी की पूर्व नीति में बरती गई गलतियों को स्वीकार किया।मैं जर्मनी और बाकी ईयू देशों से अपील करता हूं कि वे अब ठोस कदम उठाकर अतीत की अपनी गलतियों को दुरुस्त करें। हथियार और प्रतिबंध। हमारे पास और समय नहीं है।"
 
जर्मनी में यूक्रेन के राजदूत मेलेनिक श्टाइनमायर की पूर्व रूस नीति के मुखर आलोचक रहे हैं। उन्होंने भी राष्ट्रपति के बयान का स्वागत किया। साथ ही यह अपील भी की कि जर्मनी सिर्फ शब्दों से नहीं, बल्कि ठोस कदम उठाकर यूक्रेन का साथ दे। मेलेनिक ने कहा, "मैं और मेरे लोग चाहेंगे कि जर्मन राष्ट्रपति केवल खेद ना जताएं, बल्कि अपनी सरकार को बूचा में हुए नरसंहार और यूक्रेन में रात-दिन हो रही बाकी नृशंसताओं से भी सबक लेने को कहें।" इससे पहले एक जर्मन अखबार को दिए इंटरव्यू में भी मेलेनिक ने श्टाइनमायर की आलोचना करते हुए कहा था कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की तरह वह भी सोचते थे कि "यूक्रेनी लोग तो हैं ही नहीं।"

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