हरियाणा में नाबालिग लड़कियों को विवाह से बचाने का कानून पास हुआ

Webdunia
शनिवार, 7 मार्च 2020 (10:24 IST)
रिपोर्ट : चारु कार्तिकेय
 
हरियाणा विधानसभा ने बाल विवाह को पूरी तरह से अवैध घोषित करने वाला कानून पारित कर दिया है। इस बिल का उद्देश्य नाबालिग लड़कियों को विवाह और जबरदस्ती बनाए जाने वाले यौन संबंधों से बचाना है।
ALSO READ: विवाह में CAA के नाम की मेहंदी, गाय को साक्षी मानकर की शादी
भारतीय न्यायिक व्यवस्था में नाबालिग बच्चियों की सुरक्षा से संबंधित एक त्रुटि को दूर करने की दिशा में कभी कन्या भ्रूण हत्या के लिए जाने जाने वाले हरियाणा ने एक सराहनीय कदम उठाया है।
 
3 मार्च को हरियाणा विधानसभा ने बाल विवाह को पूरी तरह से अवैध घोषित करने वाला एक कानून 'बाल विवाह निषेध (हरियाणा संशोधन विधेयक, 2020)' सर्वसम्मति से पारित कर दिया। इस बिल का उद्देश्य भारतीय दंड संहिता की धारा 375 और पोक्सो कानून के अनुच्छेद 6 के बीच सामंजस्य बनाना है।
 
आईपीसी 375 के तहत पुरुष और उसकी 15 वर्ष से 18 वर्ष तक की उम्र की पत्नी के बीच यौन संबंध वैध हैं, जबकि पोक्सो कानून के अनुच्छेद 6 के तहत 18 वर्ष से कम उम्र की बच्ची के साथ यौन संबंध बनाना बलात्कार माना जाता है। इसका आधा समाधान सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर 2017 में कर दिया था, ये निर्देश देते हुए कि एक विशेष कानून होने की वजह से पोक्सो आईपीसी के ऊपर है और दोनों में विरोध होने पर पोक्सो के प्रावधानों को माना जाएगा। 
 
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान कर्नाटक राज्य ने निकाला है जिसने बाल विवाह निषेध कानून में ही संशोधन करके बाल विवाहों को पूरी तरह से अवैध घोषित कर दिया है। ऐसा करने से किसी भी पुरुष द्वारा 18 साल से कम उम्र की बच्ची से विवाह करने को अपराध माना जाएगा और उससे यौन संबंध बनाने को अपने आप ही बलात्कार माना जाएगा। अदालत ने सभी विधानसभाओं को हिदायत दी थी कि वे इसी तर्ज पर बाल विवाह कानून में संशोधन करें।
 
इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि सुप्रीम कोर्ट को हिदायत दिए 2 साल से भी ज्यादा बीत गए लेकिन अभी तक किसी विधानसभा ने यह कदम नहीं उठाया था। हरियाणा विधानसभा यह संशोधन लाने वाली पहली विधानसभा बन गई है।
 
नाबालिग लड़कियों का विवाह भारत में एक बड़ी समस्या है। यूनिसेफ के अनुसार भारत में 2 करोड़ से भी ज्यादा बाल वधुएं हैं और दुनिया में जितनी बाल वधुएं हैं, उनमें हर 3 में से 1 भारत में ही हैं। यूनिसेफ यह भी कहता है कि भारत में बाल विवाह के आंकड़े दशक-दर-दशक गिर रहे हैं और दक्षिण एशिया के दूसरे देशों के मुकाबले भारत ने इस मामले में अच्छी तरक्की की है।
 
साल 1929 के बाद शारदा अधिनियम में संशोधन करते हुए 1978 में महिलाओं की शादी की आयु सीमा बढ़ाकर 15 से 18 साल कर दी गई थी। अब भारत सरकार विवाह की न्यूनतम उम्र सीमा को और भी बढ़ाने के बारे में विचार कर रही है।
 
बजट 2020-21 को संसद में पेश करने के दौरान वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने एक टास्क फोर्स बनाने का प्रस्ताव दिया, जो लड़कियों की शादी की उम्र पर विचार करेगा और 6 महीने में अपनी रिपोर्ट देगा।

अभिजीत गंगोपाध्याय के राजनीति में उतरने पर क्यों छिड़ी बहस

दुनिया में हर आठवां इंसान मोटापे की चपेट में

कुशल कामगारों के लिए जर्मनी आना हुआ और आसान

पुतिन ने पश्चिमी देशों को दी परमाणु युद्ध की चेतावनी

जब सर्वशक्तिमान स्टालिन तिल-तिल कर मरा

कोविशील्ड वैक्सीन लगवाने वालों को साइड इफेक्ट का कितना डर, डॉ. रमन गंगाखेडकर से जानें आपके हर सवाल का जवाब?

Covishield Vaccine से Blood clotting और Heart attack पर क्‍या कहते हैं डॉक्‍टर्स, जानिए कितना है रिस्‍क?

इस्लामाबाद हाई कोर्ट का अहम फैसला, नहीं मिला इमरान के पास गोपनीय दस्तावेज होने का कोई सबूत