Hanuman Chalisa

Select Your Language

Notifications

webdunia
webdunia
webdunia
webdunia

आवारा पशुओं के खिलाफ कुछ इस तरह फूटा किसानों का गुस्सा

Advertiesment
हमें फॉलो करें Hobo Animals
, शुक्रवार, 28 दिसंबर 2018 (12:31 IST)
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़, मथुरा और हाथरस जिलों में आवारा मवेशियों से परेशान किसानों ने उन्हें सार्वजनिक भवनों के भीतर बंद कर दिया, जिससे प्रशासन के हाथ-पैर फूल गए हैं।
 
 
आवारा जानवर पिछले कुछ दिनों से पूरे प्रदेश की समस्या बने हुए हैं। सबसे ज्यादा परेशान किसान हैं क्योंकि ये मवेशी सबसे ज्यादा फसलों को ही नुकसान पहुंचाते हैं। परेशान किसानों ने विरोध स्वरूप इन आवारा पशुओं को स्कूलों, अस्पतालों और सामुदायिक भवनों जैसी सरकारी इमारतों के भीतर बांधना शुरू कर दिया।
 
देखते ही देखते अलीगढ़, मथुरा और हाथरस के तमाम स्कूलों और अस्पतालों में मवेशी ही मवेशी दिखने लगे। स्कूलों में तो इस समय जाड़े की छुट्टियां चल रही हैं लेकिन अस्पताल में लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कुछ अस्पतालों में इसके चलते आउटपेशेंट डिपार्टमेंट (ओपीडी) जैसी महत्वपूर्ण सेवा भी ठप हो गई।
 
स्थिति बिगड़ते देख स्थानीय प्रशासन ने ग्रामीण इलाकों के आवारा मवेशियों को सरकारी इमारतों से निकालने के काम शुरू किया। अलीगढ़ के जिलाधिकारी चंद्रभूषण सिंह ने बताया कि अब सभी इमारतों से मवेशियों को निकाला जा चुका है। मथुरा और हाथरस में भी प्रशासन का दावा है कि मवेशी बाहर कर दिए गए हैं। लेकिन किसानों का गुस्सा अभी भी कम नहीं हुआ है।
 
 
शासन ने किसानों की इस कथित हरकत को लेकर चेतावनी दी है लेकिन किसान मवेशियों को लेकर आंदोलन पर उतारू हो गए हैं। आज भी मथुरा में आस-पास के किसानों ने बड़ी संख्या में इस परेशानी के खिलाफ प्रदर्शन किया।
 
 
मथुरा में किसान यूनियन के नेता दीपक शर्मा बताते हैं, "इसकी शुरुआत अलीगढ़ जिले के एक गांव से हुई। कुछ दिन पहले ग्रामीणों ने सैकड़ों आवारा पशुओं को एक प्राथमिक विद्यालय में बंद कर दिया। इसके चलते दो दिन स्कूल बंद रहा। बाद में डीएम समेत कई स्थानीय अधिकारी वहां पहुंचे और मवेशियों को वहां से निकाल कर सरकारी गोशालाओं में पहुंचाया।”
 
 
दीपक शर्मा के मुताबिक, इसके बाद विरोध का ये तरीका आस-पास भी फैल गया और देखते ही देखते तीनों जिलों के किसानों ने तमाम अस्पतालों और स्कूलों में मवेशी बांध दिए। शहरों में सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए बने सामुदायिक भवनों में भी मवेशी छोड़ दिए गए, जिससे आम लोग काफी परेशान हो गए।
 
बताया जा रहा है कि सरकार और गोरक्षा समिति ने गायों की रक्षा को लेकर जो मुहिम चला रखी है, उसके चलते पिछले करीब डेढ़ साल में राज्य भर में आवारा पशुओं की समस्या काफी बढ़ गई है।
 
 
यही नहीं, इन मवेशियों को एक जगह से दूसरी जगह ले जाना भी काफी जोखिम भरा काम हो गया है। किसान नेता दीपक शर्मा बताते हैं कि इसी वजह से सड़कों पर गोवंश की संख्या बढ़ती जा रही है।
 
 
जानकारों के मुताबिक, किसानों को इससे काफी नुकसान तो हो ही रहा है, सड़कों पर आए दिन दुर्घटनाओं में बढ़ोत्तरी भी इन पशुओं की वजह से हो रही है। परेशान किसान इन पशुओं के खिलाफ लगातार आवाज उठा रहे हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। दीपक शर्मा के मुताबिक, "जब कहीं सुनवाई नहीं हो रही है तो किसान क्या करे? उसने यही रास्ता निकाला ताकि जब लोग परेशान होंगे तो प्रशासन खुद कुछ इंतजाम करेगा।”
 
 
वहीं एक प्रशासनिक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि एक तो राज्य में पर्याप्त गोशालाएं नहीं है। दूसरे, जो हैं भी वहां बीमार और असहाय गायों की देखभाल करने को कोई राजी नहीं है। आम लोग भी अपनी उन गायों को खुला छोड़ देते हैं जो दूध नहीं देतीं। इन्हीं वजहों से जहां देखो, वहीं गोवंश दिख रहे हैं।
 
 
वहीं, प्रशासन इस समस्या के लिए गांव वालों को ही दोषी बता रहा है। अलीगढ़ के एसडीएम अशोक कुमार शर्मा कहते हैं, "गाय जब तक दूध देती है तो लोग घर पर रखते हैं लेकिन जैसे ही दूध देना बंद कर देती है तो लोग उसे गलियों में छोड़ देते हैं।”
 
 
प्रशासन का दावा है कि वो मवेशियों को गोशालाओं और सुरक्षित जगहों पर पहुंचा रहा है। लेकिन इनकी संख्या सीमित होने के कारण सभी मवेशियों पर तुरंत नियंत्रण पाना संभव नहीं है।

 
इससे पहले, छुट्टा जानवरों यानी अन्ना जानवरों से बुंदेलखंड के लोग परेशान थे और वहां किसानों ने तमाम फसलों को उगाना ही बंद कर दिया था। वहीं अब ये समस्या राज्यव्यापी बन गई है।
 
 
लखनऊ के एक किसान राजमणि यादव कहते हैं, "पहले नीलगाय से किसान परेशान थे और अब गोवंश से परेशान हैं। खेती करना वैसे ही एक महंगा सौदा हो गया है, तिस पर जब खड़ी फसल ये मवेशी चट कर जाते हैं तो किसान का जैसे सब कुछ लुट जाता है। उसके पास तो फिर खाने के लाले पड़ जाते हैं।”
 
रिपोर्ट समीरात्मज मिश्र

Share this Story:

Follow Webdunia Hindi

अगला लेख

बांग्लादेश के चुनाव में गड़बड़ी फैला रहा है पाकिस्तान: हसीना