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संक्रमण की झलक से ही सक्रिय हो जाता है इंसानी इम्यून सिस्टम

वैज्ञानिकों ने लोगों को बीमार दिखने वाले अवतारों की तस्वीरें दिखाईं और उनके दिमाग की गतिविधि पर लगातार नजर रखी। इस प्रयोग से कई चौंकाने वाले नतीजे मिले हैं।

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DW

, गुरुवार, 31 जुलाई 2025 (07:54 IST)
जुल्फिकार अबानी
कल्पना कीजिए कि आप एक वर्चुअल रियलिटी (वीआर) हेडसेट पहने हुए हैं। आपको इंसानों जैसे दिखने वाले चेहरों के चलते-फिरते अवतार दिखाए जा रहे हैं और उनमें से कुछ संक्रमण से बीमार लग रहे हैं। ऐसे में क्या आप उम्मीद करेंगे कि इन बीमार चेहरों को देखते ही आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यून सिस्टम सक्रिय हो जाएगा?
 
स्विट्जरलैंड के लुजान विश्वविद्यालय और जेनेवा विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों के अध्ययन के दौरान करीब 250 लोगों में ऐसी ही प्रतिक्रिया देखने को मिली। संक्रमण को देखते ही उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय हो गई।
 
इस अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों को आर्टिफिशियल इमेज ‘अवतार' दिखाए गए। इनमें से कुछ को चकत्ते थे, तो कुछ को कफ। वहीं, कुछ स्वस्थ दिख रहे थे। प्रतिभागियों को न तो असल में बीमार लोग दिखाए गए और न ही असल में बीमार लोगों की तस्वीर, बल्कि काल्पनिक तस्वीरें दिखाई गई थीं। इसके बावजूद, उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली सक्रिय हो गई।
 
इस अध्ययन की सह-लेखिका और जेनेवा विश्वविद्यालय के जांडुस लैब की प्रमुख कामिला यांडुस ने डीडब्ल्यू को भेजे एक ईमेल में लिखा, "हम कह सकते हैं कि दिमाग में इतनी क्षमता होती है कि वह आभासी (वर्चुअल) संक्रमण के संकेतों को पहचान सकता है, सक्रिय हो सकता है और इस सक्रियता को शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली से जोड़ सकता है, जिससे पूरे शरीर में रोगों से लड़ने की ताकत विकसित होती है।”
 
यांडुस और उनकी सहयोगी आंद्रेया जेरिनो का यह अध्ययन ‘नेचर न्यूरोसाइंस' जर्नल में प्रकाशित हुआ है।
 
कोई अवतार भी आपको बीमार महसूस करा सकता है
शोधकर्ताओं ने प्रतिभागियों के मस्तिष्क की गतिविधि पर उस समय नजर बनाए रखी जब वे अवतारों को देख रहे थे। इससे उन्हें यह पता लगाने में मदद मिली कि अलग-अलग दृश्यों को देखने के बाद इंसानी दिमाग किस तरह की प्रतिक्रिया देता है।
 
उदाहरण के लिए, उन्होंने देखा कि जब वर्चुअल रियलिटी में कोई बीमार दिखने वाला अवतार प्रतिभागियों के करीब आता था, तो उनकी प्रतिक्रिया ज्यादा तेज हो जाती थी। यांडुस और जेरिनो ने इसे इस तरह समझा कि दिमाग खतरे की घंटी बजा रहा था।
 
शोधकर्ताओं ने इन प्रतिक्रियाओं की तुलना एक ‘कंट्रोल ग्रुप' से की, जिसमें ऐसे अवतार शामिल थे, जो प्रतिभागियों के करीब और दूर आ जा रहे थे। दूरी बढ़ने पर वे स्वस्थ दिखाई देते थे। उन्होंने कहा कि इससे यह पता चलता है कि हमारी प्रतिरक्षा प्रणाली कितने संवेदनशील तरीके से प्रतिक्रिया करती है।
 
उन्होंने उन प्रतिभागियों के खून के सैंपल भी लिए जिन्हें बीमार दिखने वाले अवतारों का सामना करना पड़ा था। इन सैंपल में एक खास तरह की रोग प्रतिरोधक कोशिकाओं ‘इननेट लिम्फोइड सेल्स' (आईएलसी) की गतिविधि बढ़ी हुई पाई गई।
 
चूंकि आईएलसी संक्रमण के शुरुआती चरणों में अहम भूमिका निभाते हैं और ये शरीर में क्षतिग्रस्त या संक्रमित कोशिकाओं से मिलने वाले शुरुआती संकेतों पर प्रतिक्रिया देते हैं। इसलिए, खून के नतीजे यह संकेत देते हैं कि बीमार दिखने वाले अवतारों को देखकर मस्तिष्क ने प्रतिक्रिया के तौर पर शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाना शुरू कर दिया। और यह सब तब हुआ, जब वास्तव में किसी रोगाणु ने शरीर में प्रवेश नहीं किया था।
 
वर्चुअल रियलिटी की खोज असल जिंदगी में किस तरह काम की होगी?
इस शोध टीम ने अपने अध्ययन के निष्कर्षों का इस्तेमाल कई तरह से करने पर विचार किया है। यह टीम विचार कर रही है कि वर्चुअल रियलिटी स्टिमुली का इस्तेमाल टीकाकरण के असर को बढ़ाने, ऑटोइम्यून या सूजन संबंधी बीमारियों से पीड़ित लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बेहतर बनाने या एलर्जी से पीड़ित लोगों के इलाज में बिना दवा वाले विकल्प के तौर पर किया जा सकता है।
 
यांडुस ने कहा, "इस शोध से इलाज का एक नया तरीका मिला है। हम इस तरीके को एलर्जी में इस्तेमाल करके देख रहे हैं, जैसे मधुमक्खी और ततैया से होने वाली एलर्जी। इसमें हम मरीजों को बार-बार वर्चुअल मधुमक्खी या ततैया के डंक का अनुभव करवाते हैं, ताकि धीरे-धीरे वे इसके प्रति कम संवेदनशील हो सकें।”
 
हालांकि, अभी तक ऐसा कोई ठोस सबूत नहीं मिला है जिससे यह साबित हो सके कि वर्चुअल रियलिटी के जरिए दिखाए गए दृश्यों से हमारा इम्यून सिस्टम जरूरत से ज्यादा सक्रिय हो सकता है, लेकिन यांडुस का कहना है कि ‘अगर बार-बार इन्हीं चीजों को दिखाया जाए, तो शरीर धीरे-धीरे इनके प्रति सहनशील हो जाता है, यानी ‘सहनशीलता' विकसित हो सकती है।'

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