एक अध्ययन के मुताबिक लैंगिक संतुलन के लिए मजबूत इरादे और हाइब्रिड वर्क कल्चर के महत्व को दर्शाते हुए 2023 में 100 कंपनियों द्वारा 3।4 लाख महिलाओं को काम पर रखा गया जो कि कुल कर्मचारियों का लगभग 38 प्रतिशत है।
ये कंपनियां साल 2023 में "भारत में महिलाओं के लिए सर्वश्रेष्ठ कंपनी" के रूप में उभरीं। यह अध्ययन अवतार और सेरामाउंट द्वारा किया गया है।
अवतार भारत की प्रमुख विविधता और समावेशन (डीएंडआई) समाधान फर्म है जबकि सेरामाउंट प्रोफेशनल सेवायें देने वाली अमेरिका कंपनी है, जो कार्यस्थल में डीएंडआई को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित है।
अध्ययन में अवतार और सेरामाउंट ने यह भी पाया कि इनमें से 97 फीसदी कंपनियों ने बताया कि उन्होंने हाइब्रिड वर्किंग चलन को अपनाया जिसके नतीजतन बड़ी संख्या में महिलाओं ने इन कंपनियों में रोजगार के लिए आवेदन किया।
कोविड के बाद बदला काम का तरीका
दुनिया भर में कंपनियों ने कोविड महामारी के दौरान वर्क फ्रॉम होम को अपनाया था, जिसके बाद महिलाओं को भी घर में रहकर काम करने का मौका मिलता रहा। अब भी कई कंपनियां हैं जो हाइब्रिड में काम कराना पसंद करती हैं।
सिटी बैंक के दक्षिण एशिया के चीफ ह्यूमन रिसोर्स ऑफिसर आदित्य मित्तल के मुताबिक काम के इतिहास में बड़े बदलाव के बिंदु औद्योगीकरण और कंप्यूटर का आना था। इन दोनों ने वास्तव में लचीलेपन की सीमाओं को आगे बढ़ाया है। उन्होंने कहा महामारी के बाद आया लचीलापन टिकाऊ है और पहली बार कर्मचारियों की जीत हुई है।
बढ़ रही महिला कर्मचारियों की संख्या
अवतार ग्रुप की संस्थापक और अध्यक्ष सौंदर्य राजेश कहती हैं, "2023 में महिलाओं का औसत प्रतिनिधित्व कुल मिलाकर 36।9 प्रतिशत है, जो 2016 में 25 प्रतिशत था। वर्तमान दर पर सर्वश्रेष्ठ कंपनियां में 50:50 जेंडर बैलेंस 2030 तक हकीकत बन जाएगी।"
इस साल भारत में जॉब्स फॉर हर ने 300 कंपनियों का सर्वे किया था और पाया कि सर्वे में शामिल कंपनियों में महिलाएं लगभग 50 फीसदी हैं। 2021 की तुलना में यह 17 फीसदी की वृद्धि है। इस रिपोर्ट में पाया गया कि 70 फीसदी कंपनियों के पास अब अपनी नियुक्ति में लिंग विविधता हासिल करने के लिए अच्छी तरह से परिभाषित लक्ष्य हैं, जो पिछले वर्ष की तुलना में 13 प्रतिशत की वृद्धि का संकेत है।
भारत में महिलाओं को रोजगार देने के मामले में कई स्टार्टअप और बड़े उद्यमों ने कई कार्यक्रम शुरू किए हैं। महिला कर्मचारियों की भर्ती के लिए कंपनियां नौकरी देने वाले प्लैटफॉर्म के साथ मिलकर काम भी कर रही हैं।
विश्व बैंक के मुताबिक, "भारत में औपचारिक और अनौपचारिक कार्यबल में महिलाओं की हिस्सेदारी साल 2005 में 27 फीसद थी लेकिन 2021 में यह घटकर 23 फीसद ही रह गई।” 2018 में हुए सर्वेक्षण के मुताबिक, कार्यक्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी के मामले में 131 देशों की सूची में भारत का 120वां स्थान था।
विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में कार्यक्षेत्र में महिलाओं की कमी के पीछे कई कारण हैं जिनमें बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी, शादी के बाद घर की देखभाल, स्किल्स की कमी, शैक्षणिक व्यवधान और नौकरियों की कमी शामिल हैं
साल 2018 में विश्व बैंक की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि अगर आधी महिलाएं भी कामकाजी हो जाएं तो देश की विकास दर नौ फीसदी तक पहुंच सकती है।