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चीन को रोकने के लिए भूटान में भारी निवेश कर रहा है भारत

भारतीय प्रधानमंत्री ने पिछले हफ्ते भूटान का दौरा किया था। चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने और भूटान के साथ अपने मजबूत संबंध बनाए रखने के लिए भारत ने वहां कई घोषणाएं की।

DW
गुरुवार, 20 नवंबर 2025 (07:50 IST)
शिवांगी सक्सेना
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले हफ्ते पड़ोसी देश भूटान का दौरा किया। इस दौरान पीएम मोदी ने भूटान के राजा जिग्मे खेसर नामग्याल वांगचुक से राजधानी थिंपू में मुलाकात की। बैठक में दोनों देशों ने ऊर्जा, कनेक्टिविटी और सांस्कृतिक क्षेत्र में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए। यह वर्ष 2014 के बाद से पीएम मोदी का इस हिमालयी देश का चौथा दौरा था। भूटान भारत के लिए बेहद अहम देश है। खासकर तब जब चीन अपना क्षेत्रीय प्रभाव बढ़ा रहा है। 
 
दरअसल भूटान की भौगोलिक स्थिति भारत के लिए चीन से सुरक्षा के दृष्टिकोण से जरुरी है। भूटान पूर्वी हिमालय में भारत और चीन के बीच स्थित है। भूटान, भारत और चीन की सीमाओं पर स्थित डोकलाम जैसे संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी में अहम भूमिका निभाता है। डोकलाम दक्षिण तिब्बत, भूटान और सिक्किम के बीच है। चीन इस इलाके पर दावा करता है। जबकि भूटान इसे अपना क्षेत्र मानता है। यदि चीन इस क्षेत्र में सड़क या सैन्य गतिविधियां बढ़ाता है, तो भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। इसी कारण वर्ष 2017 में भारत और चीन के बीच यहां तनाव भी देखा गया था। 
 
हाल के वर्षों में चीन भूटान में व्यापार, परिवहन, टेलीकॉम और इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों में अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है। अगर भूटान में चीन का प्रभाव और बढ़ता है, तो यह सीधे भारत की सुरक्षा और रणनीतिक हितों के लिए चुनौती बन सकता है। 
 
कई महत्त्वपूर्ण प्रोजेक्ट पर हुए हस्ताक्षर : 
भारतीय प्रधानमंत्री का दो दिवसीय दौरा कई मायनों में अहम रहा। इस दौरान भारत और भूटान सरकार के बीच कुल तीन समझौतों पर हस्ताक्षर हुए। नरेंद्र मोदी ने भूटान के वर्तमान राजा के पिता और पूर्व राजा जिग्मे सिंग्ये वांगचुक की 70वीं जन्मदिन की जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। मोदी ने इस दौरान भी कई घोषणाएं की। 
 
भारत ने असम के हतीसर में एक नया इमिग्रेशन चेक‑पॉइंट बनाने का निर्णय लिया है। इस चेक‑पॉइंट से भूटान के नजदीकी शहर गेलेफू तक जाने वाले यात्रियों की यात्रा आसान और तेज हो जाएगी। भारत दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी स्थापित करने के लिए कई कदम उठा रहा है। इस वर्ष सितंबर में भारत ने ट्रेन परियोजनाओं की घोषणा की थी। भूटान अब भारत के रेल नेटवर्क से सीधे जुड़ जाएगा। 
 
कोकराझार‑गेलेफू लाइन भारत के असम राज्य को भूटान के दक्षिणी जिले गेलेफू से जोड़ेगी। वहीं दूसरी रेलवे लाइन पश्चिम बंगाल के बनारहाट से भूटान के दक्षिण पश्चिमी जिले समत्से तक जाएगी। 
 
भारत बढ़ाएगा भूटान में निवेश : भारत सरकार ने भूटान की पंचवर्षीय योजना के लिए दस हजार करोड़ रुपये देने की घोषणा की है। भारत ने भूटान को ऊर्जा और इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए चार हजार करोड़ रूपए की रियायती क्रेडिट लाइन या ऋण सहायता देने का भी वादा किया है। 
 
इस यात्रा के दौरान पीएम मोदी ने 1020 मेगावॉट पुनात्सांगछू‑II हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना का उद्घाटन किया। इसे बनाने में भारत ने सहयोग किया है। साथ ही पुनात्सांगछू हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना-I का फिर से निर्माण शुरू होगा। 
 
भारत की निजी कंपनियों टाटा पॉवर, अडानी ग्रुप और रिलायंस पॉवर ने भी भूटान की ड्रंक ग्रीन पॉवर कॉर्पोरेशन के साथ समझौते किए हैं। इन समझौतों के तहत आने वाले वर्षों में भूटान में और हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजनाओं का विकास किया जाएगा। साथ ही गेलेफू माइंडफुलनेस सिटी बनाने के लिए भारत ने सहयोग देने की घोषणा की है। इसके अलावा भारत भूटानी समुदाय के लिए वाराणसी में मंदिर और अतिथि गृह बनवाएगा। 
 
भूटान को चीन के हाथों नहीं जाने देना चाहता भारत : जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के स्पेशल सेंटर फॉर नेशनल सिक्योरिटी स्टडीज में एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. अमित सिंह भूटान और भारत के संबंधों में चीन के साथ सीमा विवाद को अहम कड़ी के तौर पर देखते हैं। वर्ष 2017 में डोकलाम में तनाव पैदा हुआ था। अमित सिंह कहते हैं कि भूटान चीन के साथ सीधे संघर्ष में नहीं जाना चाहता। भूटान हमेशा चाहता है कि सीमा विवाद को बातचीत और शांतिपूर्ण तरीकों से हल किया जाए। इसी वजह से भूटान वर्ष 2023 से चीन के साथ बातचीत करने का प्रयास कर रहा है। 
 
इस बीच चीन ने भूटान में अपने निवेश को बढ़ाया है। दोनों देशों के बीच व्यापार लगातार बढ़ रहा है। वर्ष 2023 में भूटान का चीन से कुल आयात लगभग 83.32 मिलियन डॉलर था। 
 
डॉ अमित सिंह बताते हैं कि भारत भूटान के साथ कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स का इस्तेमाल अपनी रणनीतिक सुरक्षा और स्थिति मजबूत करने के लिए कर सकता है। वह कहते हैं, "भारत यह बिल्कुल नहीं चाहता कि भूटान चीन की ओर झुके। इसलिए भारत ने भूटान के साथ विभिन्न परियोजनाओं की शुरुआत की है। ट्रेन कनेक्टिविटी आने से दोनों देशों के बीच व्यापार और पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा भारत और भूटान के बीच धार्मिक और सांस्कृतिक संबंध भी गहरे हैं। भूटान समझता है कि चीन की छवि अच्छी नहीं है। चीन को विस्तारवादी राष्ट्र के रूप में देखा जाता है और वह स्थिरता बनाए रखने में विश्वास नहीं रखता। ऐसे में भारत की दिशा सही है और भूटान भी चाहता है कि भारत उसे इस मामले में समर्थन करे।" 
 
भारत के पूर्वी पड़ोसी देशों में भूटान पहले से अहम
भूटान अपनी कुल आय का लगभग 40 प्रतिशत हिस्सा हाइड्रोइलेक्ट्रिक बिजली उत्पादन और उसके निर्यात से कमाता है। इसका बहुत सारा हिस्सा भारत को निर्यात किया जा रहा है। भारत इसका इस्तेमाल अपने पूर्वी राज्यों के विकास के लिए करता है। भूटान की मुद्रा की कीमत भारतीय रुपये के बराबर है। भूटान आम तौर पर संयुक्त राष्ट्र में भारत के पक्ष में खड़ा रहता है। 
 
ओपी जिंदल ग्लोबल यूनिवर्सिटी के जिंदल स्कूल ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स में एसोसिएट प्रोफेसर एलिजाबेथ रोश ने कहा कि पीएम मोदी की यात्रा का संदर्भ समझना जरुरी है। वो कहती हैं, "वर्ष 2000 के शुरुआती वर्षों में भूटानी सेना ने वहां के राजा के कहने पर भारतीय विद्रोही समूहों (इंसर्जेंट्स) के खिलाफ भारत की मदद की। इस समय भारत के पूर्व में देशों की स्थिति अस्थिर है। बांग्लादेश में राजनीतिक स्थिरता पूरी तरह से कायम नहीं है। भविष्य में उसकी भारत के साथ सहयोग की दिशा भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं दिखाई दे रही। म्यांमार में गृहयुद्ध और आंतरिक संघर्ष जारी है। ऐसे में भारत की नजर भूटान की ओर है।"
 
भारत पड़ोसी देशों के साथ अपनी रणनीति में बदलाव ला रहा है। भारत और भूटान के बीच लंबे समय से घनिष्ठ आर्थिक और सुरक्षा संबंध रहे हैं। भारत इन संबंधों को आगे बढ़ाना चाहता है।

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