साल 2018 में इंटरनेट पर बचकर रहें

Webdunia
गुरुवार, 30 नवंबर 2017 (11:51 IST)
ऑनलाइन सिक्योरिटी के लिए साल 2018 खतरनाक रह सकता है। एक शोध के मुताबिक अगले साल हैकर्स नयी रणनीतियों और कारोबारी मॉडलों का इस्तेमाल कर उपकरणों पर सीधा हमला कर सकते हैं। 
 
इंटरनेट सिक्योरिटी कंपनी मैकैफे ने दुनिया से ऑनलाइन सिक्युरिटी को लेकर चौंकन्ना रहने के लिए कहा है। कंपनी के मुताबिक, "साल 2017 में दुनिया में सनसनी फैलाने वाला रेनसमवेयर बस एक नमूना था। हैकर्स साल 2018 के लिए इससे भी खतरनाक नीतियों और कारोबारी मॉडलों के साथ सामने आ सकते हैं।"
 
कंपनी के एक शोध के मुताबिक, "हैकर्स ऐसे नये हमलों कर सकते हैं जो कंप्यूटर और नेटवर्क को बाधित या बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं।" शोध रिपोर्ट में कहा गया है कि हैकर्स अमीर लोगों को निशाना बना सकते हैं और उनका लक्ष्य ऐसे उपकरणों से जुड़ना रहेगा जो कंप्यूटर और स्मार्टफोन के मुकाबले कम सुरक्षित होते हैं। 
 
मैकैफे के चीफ टेक्निकल ऑफिसर (सीटीओ) स्टीव ग्रोवमैन ने कहा, "साल 2017 के रेनसमवेयर से पता चला कि ऑनलाइन सिक्युरिटी से खतरे कितने आक्रामक हो सकते हैं और हमलावर कैसे नये तरीकों से आपकी सुरक्षा नीतियों में सेंध लगा सकते हैं।"
 
कंपनी ने आशंका जतायी है कि साइबर अटैक के बढ़ते नेटवर्क को देखते हुए संभव है कि हैकर्स लोगों को ऐसे अटैक करने के लिये नियुक्त कर सकते हैं। मैकैफे के चीफ साइंटिस्ट राज समानी के मुताबिक, "साल 2017 में साबित हो गया कि हैकिंग सर्विसेज को कमर्शियल बनाना कितना आसान है। ऐसी हैंकिग सर्विसेज को विरोधी खेमे को बेच कर दुनिया में कही भी राजनीति, कारोबार या अन्य क्षेत्रों को प्रभावित किया जा सकता है।"  
 
मैकैफे की साल 2018 की थ्रेट्स प्रिडक्शन रिपोर्ट में कहा गया है कि लोगों के गोपनीय डाटा और बच्चों से जुड़ी जानकारी को लेकर इसलिए भी खतरा है क्योंकि डिवाइस मेकर्स इन जानकारियों को इकट्ठा कर इसका इस्तेमाल मार्केटिंग में करते हैं। रिपोर्ट के मुताबकि, "कनेक्टिविटी डिवाइस निर्माता और सर्विस प्रदाताओं की कोशिश व्यक्तिगत डाटा को अधिक से अधिक जुटाने की होती है ताकि कंपनी निजी लाभ को बढ़ा सके। कई बार ये डाटा यूजर की सहमति से तो कई बार सहमति के बिना भी जुटाया जाता है।"
 
मैकैफे ने उम्मीद जतायी है कि यूरोपीय संघ के मई 2018 से लागू होने जनरल डाटा प्रोटेक्शन नियमन (जीडीपीआर) का असर जरूर होगा। यह नियमन सीमित करेगा कि कैसे डाटा को इस्तेमाल किया जाना है और कैसे इसे बेचा जाना है। यह यूरोपीय संघ के साथ बाहरी कंपनियों के रिश्तों को भी प्रभावित करेगा।
 
एए/एके (एएफपी)
 

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